बीके शालू दीदी

आगरा में ब्रह्माकुमारीज के इतिहास में पहला अनोखा विवाहः दुल्हन बनीं बीके शालू दीदी, दूल्हा बने शिव बाबा, मैरिज होम बना ब्रह्माकुमारीज शास्त्रीपुरम सेंटर

RELIGION/ CULTURE

नृत्य नाटिका के माध्यम से बताई इस विवाह की महत्ता

माउंट आबू में हुआ था विवाह, आगरा में दिया रिसेप्शन

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा में अनोखा विवाह हुआ। इसमें दुल्हन बनीं बीके शालू दीदी। दूल्हा बने शिव बाबा। बाराती बने बीके (ब्रह्माकुमार) भाई-बहन। मैरिज होम बना ब्रह्माकुमारीज का शास्त्रीपुरम सेंटर। धूमधाम के साथ विवाह की रस्म निभाई गई। भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग साथ फेरे हुए। रिसेप्शन में ब्रह्मा भोजन हुआ। उपहार देने की रस्म भी हुई। आगरा में ब्रह्माकुमारीज के इतिहास में पहली बार इस तरह अनोखा विवाह हुआ है।

शिवलिंग
शिवलिंग के रूप में दूल्हा की जोरदार एंट्री

एक बार फिर वैवाहिक रस्में निभाईं

यूं तो शालू दीदी का विवाह शिव बाबा के साथ ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू (राजस्थान) में जून माह में हुआ था। 9 जुलाई को ब्रह्माकुमारीज के शास्त्रीपुरम सेंटर पर रिसेप्शन हुआ। इससे पूर्व एक बार फिर से विवाह की सभी रस्में पूर्ण श्रद्धा के साथ पूर्ण की गईं।

बीके शालू दीदी
दुल्हन के रूप में बीके शालू दीदी की शानदार एंट्री

दुल्हा और दुल्हन की जोरदार एंट्री

सबसे पहले दुल्हा के रूप में शिव के प्रतिक शिवलिंग का श्रृंगार करके बारात के रूप में लाया गया। फिर चुनरी के साथ दुल्हन बीके शालू दीदी की जोरदार एंट्री हुई। बैंडबाजा ने मधुर धुन बिखेरी। घराती नृत्य करते हुए आए। दूल्हा राजा की आरती उतारी गई। तिलक किया गया। मंच पर उपस्थित बीके मधु दीदी, बीके सरिता दीदी का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। दुल्हन बीके शालू दीदी के परिजनों ने उमंग और उत्साह के साथ बारातियों का यथोचित सम्मान किया।

बीके शालू दीदी आगरा
भगवान शिव के साथ विवाह शालू दीदी का।

घरातियों का जबरदस्त स्वागत

दुल्हा की ओर से बीके मधु दीदी ने घरातियों का जबरदस्त स्वागत किया। दुल्हन के घर वालों ने सभी को उपहार दिए। अंगूठी पहनाई। बीके शालू दीदी के लौकिक माता-पिता ने उनका हाथ बीके मधु दीदी और बीके सरिता दीदी के हाथ में सौंप दिया। लग्न में लाई जाने वाली फलों की टोकरी भी लाई गई।

शिवलिंग विवाह
शिव के साथ विवाह के दौरान बाएं मथु दीदी और दाएं सरिता दीदी। मध्य में बीके शालू दीदी।

यह अलौकिक शिव विवाह

प्रारंभ में बीके मधु दीदी ने कहा कि शिव पार्वती की ऐसा विवाह था जिसमें सभी आए थे। यही शिव की बारात दोबारा आ रही है। यह अलौकिक शिव विवाह है। अलौकिक समर्पण समारोह है। ऐसा विवाह समारोह कभी देखा नहीं होगा। शालू बहन 11 साल से सेवाएं दे रही हैं। इनके लौकिक मम्मी-पापा का मन था कि कुछ करें। मधुबन, माउंटआबू में कार्यक्रम हुआ है।

बीके ब्रह्माकुमारी
शालू दीदी के विवाह कार्यक्रम में उपस्थित बीके भाई-बहन।

नृत्य नाटिका ने दिया संदेश

फिर एक घंटा तक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। विभिन्न गीतों और संवादों के माध्यम से बताया गया कि समर्पित बीके बहनों की महत्ता क्या है, समर्पण क्यों किया जाता है, समाज और राष्ट्र को क्या लाभ है? इस नृत्य नाटिका में बीके शालू दीदी के लौकिक परिजनों ने भी भाग लिया। प्रातः 10.15 बजे से अपराह्न 2.30 बजे तक कार्यक्रम चला। बीके भाई-बहन अपलक कार्यक्रम देखते रहे।

 

मधुबन में हुए समर्पण समारोह का वीडियो दिखाया

सबसे पहले मधुबन (माउंट आबू) में हुए समर्पण समारोह की झलकियां एक वीडियो के माध्यम से दिखाई गईं।

नृत्य
विवाह की खुशी में नृत्य समारोह

बीके सरिता दीदी ने सुनाई मुरली

कार्यक्रम का शुभारंभ बीके सरिता दीदी ने मुरली सुनाकर किया। यह अनोखा विवाह देखने लिए इतनी संख्या हो गई कि सड़क पर कुर्सियां बिछानी पड़ीं।

 

बंशी वादन और शास्त्रीय नृत्य

शुरुआत में डॉ. भानु प्रताप सिंह ने बंशी वादन किया। गीत के बोल थे- बड़ी देर भई नंदलाला। मोनका सिंह ने घर आयो परदेशिया.. गीत पर शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया। भरत भाई ने मेरी प्यारी बहनियां बनेगी दुल्हनियां.. गीत पर जबर्दस्त नृत्य किया। कुमारी आराध्य, निशा, अल्का बहन, नीरू बहन, झलक, परी बाबू, उज्जवल, शबनम बहन, कविता बहन, पूनम बहन, तनु बहन, आदित्य, अविका, काजोल, स्वाति बहन ने नृत्य प्रस्तुति दी।

बीके शालू दीदी बीके सरिता दीदी
अंगूठी पहनाने की रस्म।

उल्लेखीय उपस्थिति

इस अवसर पर बीके कविता, बीके लक्ष्मी, बीके वीरपाल सिंह, बीके जॉनी भाई. बीके स्नेहलता, बीके प्रदीप, बीके रघुनाथ, बीके गोविंद बंसल,

विदाई शालू दीदी की
विवाह के बाद बीके शालू दीदी की विदाई।

कठोर आध्यात्मिक जीवन जी रहीं बीके शालू दीदी

बीके शालू दीदी 11 वर्ष से प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सेवा में हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन शिव बाबा के सेवा में समर्पित कर दिया है। करन करावनहार शिव बाबा संग विवाह के साथ ही वे पूरी तरह समर्पित हो गई हैं। वे कठोर आध्यात्मिक जीवन जीती हैं। अमृत वेला प्रातः 3.30 बजे से उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है। रात्रि 10 बजे तक अनथक आध्यात्मिक जागरण का क्रम चलता रहता है। माउंट आबू में 450 बहनों का समर्पण कार्यक्रम हुआ था।

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Dr. Bhanu Pratap Singh