एमबीए की पढ़ाई संग करोड़ों की कमाई, कुछ ऐसा है गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय
मूल्यांकन भी डिजिटल, परीक्षा के 45 दिन में परिणाम, इनक्यूबेशन सेंटर कर रहा कमाल
सर्वाधिक स्टार्टअप शुरू किए, कंपनी हाथ में होने पर ही दी जाती है एमबीए की डिग्री
डॉ. भानु प्रताप सिंह
Ahmedabad, Gujarat, India. गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय, अहमदाबाद (Gujarat technological University GTU) के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) नवीन शेठ जाने-माने शिक्षाविद और प्रशासक हैं। इसका लाभ जीटीयू को मिला है। उन्होंने इसका कायाकल्प किया है। सबुकछ डिजिटल कर दिया है। वे जीटीयू को वैश्विक स्तर का विश्वविद्यालय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। बिगड़े विश्वविद्यालयों को सुधारने का उनके पास अचूक मंत्र है। वे स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि विश्वविद्यालय का काम सिर्फ डिग्री बांटना नहीं है। वे इस बात के समर्थक हैं कि कोरोना काल के बाद आयुर्वेद की पढ़ाई प्राथमिक शिक्षा से शुरू कर देनी चाहिए। वे हर्बल मेडिसन के विशेषज्ञ हैं। तमाम शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। भारत सरकार की कई समितियों के सदस्य हैं। हमने उनसे लंबी बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं मुख्य अंश-
डॉ. भानु प्रताप सिंहः अधिकांश विश्वविद्यालयों का ढर्रा बहुत बिगड़ा हुआ है। प्रवेश, परीक्षा, परिणाम समय पर नहीं होते हैं। विश्वविद्यालय ठीक से काम करें, इसके लिए क्या करना चाहिए?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः सही सवाल है। हम टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग करते हैं। पूरा प्रशासन और परीक्षा प्रणाली को डिजिटल कर दिया है। पेपर की डिलीवरी डिजिटल है। हम साल में दो बार परीक्षा लेते हैं। 3200 प्रश्नपत्र होते हैं। एक भी बार पेपर लीक जैसी समस्या नहीं आई है क्योंकि कोडेड सिस्टम है। उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन भी डिजिटल है। उत्तर पुस्तिका साथ के साथ स्कैन होती है और स्कैंड प्रति जांचकर्ता के पास पहुंचती है। सॉफ्टवेयर इस प्रकार का बनाया है कि पूरा पेज पढ़ लेगा तभी अगला पेज खुल सकता है। एक दिन में 50 उत्तर पुस्तिकाओं से अधिक की जांच नहीं कर सकता है। इसका लाभ यह है कि बाद में कोई फेरबदल होने का सवाल नहीं उठता है। टीचर के पास अगर लैपटॉप और नेट है तो कहीं भी उत्तर पुस्तिका जांच सकता है। परीक्षा के 45 दिन में परिणाम घोषित कर देते हैं। ऐसे बदलाव किए हैं। हमारा सिस्टम देखने के लिए केरल, आँध्र प्रदेश और राजस्थान विश्वविद्यालयों के कुलपति और परीक्षा नियंत्रक आए थे। इसी प्रक्रिया में अन्य विवि की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने का संदेश छिपा हुआ है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः अधिकांश विश्वविद्यालय छात्रों को डिग्री बांट रहे हैं। इसके अलावा आप और क्या कर रहे हैं?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः कुछ विश्ववद्यालय ऐसा करते होंगे जो अच्छी बात नहीं है। भारतीय शिक्षा प्रणाली दुनिया के केन्द्र में थी। नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरी दुनिया के लोग पढ़ने आते थे। हमें उसी तरह का वैश्विक स्तर बनाना चाहिए। डिग्री ‘बेचने’ का कोई फायदा नहीं है। छात्र को भी नहीं है। इस समय कौशल (स्किल) का महत्व है। उद्योग भी दक्ष लोगों को पसंद करता है। इसी कारण डिप्लोमा वालों को नौकरी जल्दी मिलती है, डिग्रीधारी इंजीनियरों को नौकरी मिलने में विलम्ब होता है। इसका कारण यह है कि डिप्लोमा और आईटीआई छात्रों के पास थोड़ा कौशल होता है। नई शिक्षा नीति में कौशल और रोजगारपरक शिक्षा पर जोर है। धीरे-धीरे बदलाव अवश्य आएगा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप छात्रों को डिग्री के साथ रोजगार दे रहे हैं, इसके लिए क्या सिस्टम बनाया है?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः छात्रों के रोजगार के लिए हमने इनक्यूबेशन सेंटर (incubation centre) स्थापित किया है। इसके तहत अगर कोई छात्र उद्यम शुरू करने का विचार लेकर आता है तो उसे पोषित करते हैं, तकनीकी सहायता देते हैं और पैसा भी देते हैं। प्रयोग करने के लिए स्थान देते हैं। इस प्रकार के 400 छात्रों को मदद दी। इनमें से 150 छात्रों ने उत्पाद बना लिए। कंपनी बनाई। पेटेंट भी कराया। मैं गर्व के साथ बोलता हूँ कि पूरे भारत में जीटीयू इस प्रकार का पहला विश्वविद्यालय जहां इतने अच्छे और सर्वाधिक स्टार्टअप, स्टार्टअप इंडिया और डीआईपीपी के साथ पंजीकृत हुए हैं। छात्रों ने इन स्टार्टअप के माध्यम से 16 करोड़ रुपये कमाए हैं। 600 लोगों को नौकरी दी है। बता दें कि बिजनेस इनक्यूबेटर एक ऐसा संगठन है जो स्टार्टअप कंपनियों और व्यक्तिगत उद्यमियों को प्रबंधन, प्रशिक्षण और कार्यालय स्थान से शुरू होने वाली और उद्यम पूंजी वित्तपोषण के साथ समाप्त होने वाली सेवाओं की एक पूर्ण श्रेणी प्रदान करके अपने व्यवसाय को विकसित करने में मदद करता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः मैंने सुना है कि जीटीयू का एमबीए पाठ्यक्रम सबसे अलग है, आखिर कैसे?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः एंटरप्रिन्योर, इन्नोवेशन और स्टार्टअप का एमबीए कोर्स है यहां। एआईसीटी ने पूरे भारत में छह-सात विश्वविद्यालयों में यह कोर्स स्वीकृत किया है। एमबीए करने वाला छात्र विश्वविद्यालय से अपनी कंपनी बनाकर निकलता है और बिना इसके हम डिग्री नहीं देते हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप हर्बल मेडिसिन के विशेषज्ञ हैं। आपको नहीं लगता है कि कोरोना काल को देखते हुए सभी विवि में हर्बल विज्ञान की पढ़ाई होनी चाहिए?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः हर्बल और प्राकृतिक चिकित्सा की शक्ति को कोविड-19 महामारी में पूरे भारत ने अनुभव किया। इतनी बड़ी आबादी होते हुए भी बाकी देशों से बहुत अच्छी तरह सुलझा पाए। सरकार ने भी अच्छे कदम उठाए। औषधीय पौधों में शोध करना मेरा विषय है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान-विज्ञान पर फोकस किया है। मेरे हिसाब से औषधीय पौधारोपण होना चाहिए। हमने अपने विश्वविद्यालय में 100 औषधीय रौधे रोपे हैं। ये पौधे हम जनता को भी उपलब्ध कराते हैं, जिनमें गिलोय प्रमुख है। आयुर्वेद में दिनचर्या, ऋतुचर्या के बारे में प्राइमरी से पढ़ाया जाना चाहिए। घर की औषधि के बारे में जानकारी बच्चों को होनी चाहिए। जरूरी नहीं है कि वनस्पति विज्ञान पढ़ने वालों को ही जानकारी दी जाए। प्राथमिक शिक्षा में ही देना चाहिए। यह हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बहुत उपयोगी रहेगा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आपको लगता है कि कोविड-19 के प्रकोप के बाद प्राथमिक चिकित्सा और महामारी के बारे में हर किसी को पढ़ाया जाना चाहिए?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद में सिस्टम है ‘स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षण’ यानी हमें स्वस्थ होना है। हमको कोई रोग न हो, ऐसा स्वस्थ शरीर बने, यह हमारा सिद्धांत है। आयुर्वेद पद्धति से चलें तो प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, फिर कोई भी वायरस आए तो हमारा शरीर सुरक्षित रहता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात राज्य के हैं, इस नाते क्या आपको अधिक लाभ मिलता है?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः प्रधानमंत्री जी पहले गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तब उन्होंने विकास के लिए कई क्षेत्रों में कई कदम उठाए। शिक्षा क्षेत्र में अद्भुत प्रयोग किए। सेक्टोरियल यूनिवर्सिटी, फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी (raksha shakti university, Ahmedabad) हमारी टेक्नोलॉजिकल यूनवर्सिटी को स्थापित किया। इन विश्वविद्यालयों स्तर वैश्विक हो, यह प्रयास किया। फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय दर्जा मिला है। हमारी जीटीयू भी इस दिशा में आगे बढ़ रही है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को क्या संदेश है?
प्रो. (डॉ.) नवीन शेठः मैं कुलपतियों का साथी हूँ, उन्हें संदेश देना ठीक नहीं है। फिर भी मैं अपने अनुभव से बताता हूँ कि विद्यार्थियों का प्रवेश, परीक्षा, परिणाम और डिग्री देना ही कुलपति का काम नहीं है। यूनिवर्सिटी का अर्थ है विश्वविद्यालय तो वैश्विक स्तर का माहौल होना चाहिए। बच्चा कोई आइडिया लेकर आता है तो उसकी रचनात्मकता को मंच दें, उसे मेंटर करें। सिर्फ प्रवेश, परीक्षा, परिणाम और डिग्री के माहौल से बाहर आना चाहिए।
गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय के बारे में अद्भुत बातें, बता रहे हैं कुलपति प्रो. नवीन शेठ
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