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चिंतामणि पार्श्वनाथ प्रभु के 18 अभिषेक कराने जयपुर से आए गोलेछा, 5 सितम्बर को क्षमावाणी पर्व

RELIGION/ CULTURE

प्रभु का अभिषेक वास्तव में आत्मा का अभिषेकः वैराग्य निधि महाराज

Agra, Uttar Pradesh, India. चिंतामणि पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन मंदिर, रोशन मोहल्ला में साध्वी श्री वैराग्य निधि महाराज साहब की निश्रा में विधिकारक यशवंत गोलेछा (जयपुर) द्वारा परमात्मा के 18 अभिषेक कराए गए। चिंतामणि पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा 84 रत्नों में सबसे महत्वपूर्ण थसभ रत्न से निर्मित और 400 वर्ष प्राचीन है। यह संतप्त हृदय को शीतलता प्रदान करने वाली है। इस मौके पर वैराग्य निधि महाराज ने कहा कि प्रभु का अभिषेक वास्तव में आत्मा का अभिषेक है। आत्मिक शुद्धि व निर्मलता का कारक है। आत्म प्रदेशों में लगे कर्ममल व मलोमालिन्य के निर्गमन का कारण बनता है।

 

मूलनायक परमात्मा चिंतामणि पार्श्वनाथ के अभिषेक दिनेश कुमार, प्रवीण कुमार छजलानी एवं विनय कुमार, मनीष कुमार बादशाह परिवार द्वारा संयुक्त रूप से किए गए। परमात्मा शीतलनाथ के अभिषेक अशोक कोठारी, हर्षित कोठारी परिवार द्वारा किए गए। अन्य परमात्मा एवं गुरुदेवों के अभिषेक भीसंघ के श्रावक-श्राविकाओं ने बड़े ही भक्तिभाव से किए। स्वधर्मी वात्सल्य का लाभ अजीत कुमार, दिनेश कुमार, अर्पित कुमार वैद परिवार ने लिया।

 

जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि 5 सितम्बर, 2022 को जैन मंदिर दादाबाड़ी में प्रातः 10:00 बजे से साध्वी वैराग्य निधि महाराज की निश्रा में क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा। इसके अंतर्गत प्राणी मात्र से क्षमा याचना की जाएगी।

 

इस मौके पर अशोक कोठारी, राजेंद्र धारीवाल, विमल जैन, विपिन जैन, सीए चिराग जैन, सुनील जैन, दुष्यंत जैन, अंकित पाटनी, सलिल सेठिया, संचित, गौरव ललवानी, पंकज लोढा आज की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

rajkumar jain
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तपस्या करने वालों का सम्मान

जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने समवशरण तप (15 एकासने एक उपवास) किया है। इसके तहत परमात्मा की पूजा विधि की जाती है। अर्पिद वैद ने 12 उपवास, अरहंत वागचर ने 11 उपवास किए। राजकुमार जैन की धर्मपत्नी ममता जैन ने अक्षयनिधि तप किया। शनिवार को सबका सम्मान बहुमान श्री संघ द्वारा किया गया। तप अनुमोदन हेतु जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराद ने पंचतीर्थ की भावभीनी यात्रा कराई। इस तरह तप की अनुमोदना का लाभ लिया, जो कर्म निकंदना व आत्मवंदना का कारण बनी।

 

इस मौके पर परमविदुषी जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराज ने कहा कि सूर्य की तप्त रश्मियों से तपकर कच्चे, खट्टे, हरे आम लाल, मधुर व पक्व हो जाते हैं। सोना जितना तपता है, उतना निखरता है। इसी संदेश को स्वीकार कर तपस्वियों ने आहार त्याग के साथ—साथ अहम क्षीणता का सम्यक प्रयास किया।

 

सभी तपस्वियों का बहुमान श्री संघ की ओर से सुनील कुमार जैन, वीरेंद्र सिंह बोहरा, संजय दूगड़, बृजेंद्र, प्रदीप लोढ़ा, रॉबिन जैन ने किया। परमात्मा के दर्शन क्यों करने हैं, मंदिर जी क्यों आना है, इस पर प्रियंका जैन, मोनिका, वेला वैद, स्वाति जैन, नूतन जैन, शिल्पा लोढ़ा ने शानदार प्रस्तुत दी।

 

श्री संघ अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि कार्यक्रम में चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार जैन, वीरेंद्र सिंह, मनोज बोहरा, ध्रुव जैन, विमल जैन, संदेश सुशील जैन, शरद चौरड़िया, राजीव पाटनी, केके कोठारी, सलिल, विजय सेठिया, नितिन प्रमोद, धीरज ललवानी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Dr. Bhanu Pratap Singh