अलीगढ़ में गरीबी से तंग आकर माँ और दो बेटियों ने ज़हर खाकर कर ली आत्महत्या – Up18 News

अलीगढ़ में गरीबी से तंग आकर माँ और दो बेटियों ने ज़हर खाकर कर ली आत्महत्या

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अलीगढ़ में थाना कोतवाली नगर के इस्लाम नगर में एक मकान के अंदर मां और दो बेटियों के शव पड़े हुए थे, परिवार के मुखिया की मौत पहले ही हो चुकी थी। मां और दोनों बेटियों का गरीबी के कारण जीवन यापन मुश्किल हो गया था। तीनों ने रोटी की चिंता में जहर खाकर आत्महत्या कर ली।

अलीगढ़ के इस्लाम नगर में आत्महत्या करने वाली मां और दो बेटियों की कहानी मन को झझकोर देने वाली है। गरीबी से तीनों का हाल बेहाल था और बीमारी ने उन्हें तोड़ दिया था। रोटी खाने तक के लिए रुपए नहीं थे। पास पड़ोस के लोग तरस खाकर उन्हें खाना दे देते थे।

इस्लाम नगर में 16 फुटा रोड निवासी 55 वर्षीय नगीना पत्नी खलील खां, उनकी दो बेटियां बानो और पाकी एक किराए के मकान में रहते थे। थाना प्रभारी कोतवाली ने बताया कि मृतक नगीना नशा आदि करती थी, जिससे उसकी तबीयत अत्यधिक खराब रहती थी। अत्यधिक तबीयत खराब रहने के कारण नगीना ने परेशान होकर स्वयं व अपनी दोनों पुत्रियों को खाने में विशाल विषैला पदार्थ खिला दिया । जिसके कारण तीनों की मौत हो गई।

अलीगढ़ एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि बुधवार देर रात इस्लाम नगर के एक मकान में एक ही परिवार के तीन लोगों के आत्महत्या की खबर मिली। पुलिस मौके पर पहुंची, वहां पर नगीना नामक महिला और उसकी दो बेटियों द्वारा आत्महत्या करने की घटना तस्दीक किया गया। लोगों ने बताया कि महिला के पति की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी।

महिला की तबियत भी खराब रहती थी, जिससे उनका जीवन बसर का मुश्किल हो रहा था। परिवार अवसाद में था, इसलिए विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या का कदम उठाया गया। पुलिस को घटनास्थल से पॉलिथिन में एक संदिग्ध पदार्थ मिला है। शवों को मोर्चरी भेजा गया है अन्य आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। घटना के बारे में अभी तहरीर प्राप्त नहीं हुई है।

पड़ोसी ने बताया कि नगीना की बीमारी के बाद उनकी बेटियां बानो और पाकी मेहनत मजदूरी करने लगी। दिनभर मेहनत करने के बाद शाम तक 200-250 रुपए कमा लेती थी। ऐसे में बड़ी मुश्किल से रोटी का जुगाड़ होता था। ऐसे में मां की महंगी दवाई लानी उनकी बस में नहीं थी।

बीते दिनों रिश्तेदारों ने नगीना को डॉक्टर को दिखाया, जिसके बाद दो दिन में 16 हजार की दवाई आ गई। रिश्तेदारों और मुहल्ले की मदद से दवाई आई। इसके बाद रिश्तेदारों ने नगीना को मेडिकल कॉलेज में दिखाने की सोची और होली के बाद वह मेडिकल कालेज जाने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही पूरा परिवार काल के गाल में समां गया।

Dr. Bhanu Pratap Singh