Squadron Leader AK Singh interview

डॉ. एमपीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरपर्सन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह और डॉ. भानु प्रताप सिंह में कर्री मुठभेड़, पढ़िए अनसुनी बातें, देखें वीडियो

BUSINESS NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL साक्षात्कार

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. डॉ. एमपीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरपर्सन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह (Dr MPS Group of Institutions Chairperson Squadron Leader AK Singh) के नाम अनेक उपलब्धियां हैं। भारतीय वायु सेना से वे शिक्षा क्षेत्र में आए। अपने पिता डॉ. एमपी सिंह के नाम से डॉ. एमपीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीयूशंस की स्थापना की। कुछ ही समय में डॉ. एमपीएस ग्रुप ने धाक जमा ली। इसके लिए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल डॉ. राम नाईक ने ग्रुप को ज्वेल्स ऑफ वेस्टर्न यूपी से सम्मानित किया। डॉ. एमपीएस ग्रुप का नाम राजधानी दिल्ली तक में छाया हुआ है। इस कारण डॉ. एमपीएस ग्रुप को प्रसिद्ध मीडिया घरानों और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा। समाजसेवा भी वे बिना किसी प्रचार के करते हैं। स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह से पहली बार हमने उनकी निजी जिन्दगी के बारे में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान उनकी Love Story के बारे में पता चला। फिर तो बात होती गई और नए-नए रहस्य खुलते गए। उनकी सफलता का रहस्य भी ज्ञात हुआ है, जो हर किसी के लिए अनुकरणीय है। यह तो सब जानते ही हैं कि वे शानदार मोटीवेशनल स्पीकर हैं। हां, आपको यह भी बताना है कि स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह भी मेरी तरह पत्नी से डरते हैं। यहां हम प्रस्तुत कर रहे हैं पूरी बातचीत।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके जीवन का लक्ष्य क्या था?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः मैं कुछ ऐसा कार्य करूं जिससे मेरे समाज, देश और जो लोग मुझसे जुड़े हुए हैं, उनका हित कर पाऊं। पहले कोशिश थी कि आगरा कॉलेज में शिक्षक बनूं लेकिन शायद नियत को कुछ और मंजूर था और इसीलिए मैं भारतीय वायु सेना में चला गया। भारत देश की सेवा करना अपने आप में गौरव का विषय है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः तो क्या आप सैनिक नहीं बनाना चाहते थे?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः जी नहीं। मेरे पिताजी डॉ. एमपी सिंह प्रख्यात शिक्षाविद थे। वे चाहते थे कि मैं पीएचडी करके शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ूं। जीवन में हर आदमी की एक नियति होती है और मुझे लगता है कि भारतीय वायु सेना में जाना मेरी किस्मत में लिखा था।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः डॉ. एमपीएस इंस्टीट्यूट खोलना पहले तय था या बाद में विचार बना?
स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः ये बाद में विचार बना। मेरी धर्मपत्नी श्रीमती नीलम सिंह पहले से शिक्षा से जुड़ी हुई हैं। वे पहले शिक्षिका थीं। बाद में उन्होंने आकाश इंस्टीट्यूट में काफी समय तक काम किया। उनके साथ रहकर मुझे भी कुछ जानने का अवसर मिला। मुझे लगा कि यही ऐसा क्षेत्र है जहां अपने समाज की, युवाओं की सेवा कर सकते हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः भोजन में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः साउथ इंडियन डिशेज जैसे डोसा, मसाला डोसा, इडली। बहुत ज्यादा पसंद करता हूँ।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या वायु सेना में रहने के दौरान साउथ इंडियन भोजन की रुचि जाग्रत हुई?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः भारतीय वायु सेना में रहने के दौरान चेन्नई, बंगलोर आदि स्थानों पर रहा, वहां पर साउथ इंडियन खाना बहुत अच्छा लगता है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः भोजन मां के हाथ का अच्छा लगता है या पत्नी के हाथ का?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः दोनों के हाथ का अच्छा लगता है लेकिन माताजी अब 70 साल से ऊपर की हैं वे खाना नहीं बनाती हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः दोनों के भोजन में कोई फर्क महसूस होता है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः दोनों का अलग ही आनंद है। मां अपने बच्चे को खिलाती है तो उनमें अलग भावना होती है। पत्नी के खाने में अलग भावना होती है। दोनों की भावना में फर्क है, स्वाद का फर्क नहीं है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कभी पत्नी को अपने हाथ से खाना खिलाया है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः ऐसा अवसर तो कभी नहीं मिला।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या पत्नी ने भी अपने हाथ से खाना खिलाया है कभी?
स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः ऐसा मौका नहीं मिला क्योंकि हम पुरातन पीढ़ी के लोग हैं। ऐसा माहौल घर में नहीं था कि पत्नी को खाना खिलाऊं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप भीषण सर्दी में भी रोजाना स्नान करते हैं?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः ऐसा तो नहीं है। बस में शाम को नहीं नहाता हूँ। अगर में एक दिन भी शेव न बनाऊं और नहीं नहाऊं तो लगता है बीमार हो गया हूँ।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा में भीषण सर्दी पड़ती है, तब भी नहाते हैं क्या?
स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः हां जी। मैं बारह महीने गरम पानी से नहाता हूँ। मैं बहुत ठंडी जगह पर रहा हूँ। वहां गर्म पानी से नहानी अनिवार्य होता था। इसीलिए आदत पड़ गई है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः घूमने के लिए सबसे ज्यादा कौन सा स्थान अच्छा लगता है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः पूरा भारत अतुलनीय, अद्भुत है। भारत का हर क्षेत्र दर्शनीय है। मैं विदेशों में जहां भी गया, जैसे-  रूस, उक्रेन, थाईलैंड, हांगकांग, मॉरीशस आदि देशों में भी घूमने का लुत्फ लिया।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी हॉबीज क्या हैं?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः मुख्य हॉबी पढ़ना है। किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। खेलना। छात्र और शिक्षकों के बीच व्याख्यान देना बहुत अच्छा लगता है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः पसंदीदा गाना कौन सा है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः न मुंह छिपा के जिओ न और न सर झुका के जिओ

गमों का दौर भी आए तो मुस्करा के जिओ

न जाने कौन सा पल मौत की अमानत हो

हर एक पल की खुशी को गले लगाके जिओ

डॉ. भानु प्रताप सिंहः देशभक्ति के गीत आपको बहुत पसंद है, कोई ध्यान में आ रहा है क्या?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः मेरा रंग दे बसंती चोला

ओ मेरा रंग दे बसंती चोला

मां ए रंग दे बसंती चोला

इस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पर

इसे पहन झांसी की रानी मिट गई अपनी आन पे

आज उसी को पहन के निकला

हम मस्तों का टोला, मां ए रंग दे बसंती चोला।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या बाथरूम में कभी गाना नहीं गुनगुनाया?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः जी, चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना कभी अलविदा न कहना..।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी नजर में सबसे अच्छा अभिनेता और अभिनेत्री कौन सी है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः अमिताभ बच्चन, दिलीप कुमार, भारत भूषण आदि ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने फिल्म जगत को मुकाम दिया। किसी एक अभिनेता का चयन करना बहुत मुश्किल है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी नजर में सबसे अच्छी अभिनेत्री कौन सी है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः नई में तो कैटरीना कैफ, प्रियंका चोपड़ा। पुरानी में राखी, हेमा मालिनी, रेखा अपने आप में अद्भुत अदाकारा रही हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप सिनेमा हॉल में जाकर फिल्म देखते हैं?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः बहुत सी देखी हैं। वैसे आजकल घर पर फिल्म देखते हैं। शौक काफी रहा है फिल्म देखने का।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सबसे अच्छा नेता कौन सा है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः आधुनिक पीढ़ी के नेताओं की बात करें तो आज के समय में एक ही नेता पर नजर टिक जाती है- नरेन्द्र मोदी। वे भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री हैं। पुराने नेताओं में श्रीमती इंदिरा गांधी बहुत पसंद हैं। उन्होंने देश हित में कई अच्छे निर्णय लिए।


डॉ. भानु प्रताप सिंहः वस्त्रों में कौन सा रंग पसंद है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः स्काई ब्ल्यू जो भारतीय वायु सेना, अंतरिक्ष और आकाश का रंग है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपको किससे डर लगता है और क्यों?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः डर तो एक ही इंसान से लगता है, अपनी बीवी से लगता है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कॉलेज लाइफ में कोई महिला मित्र बनी क्या?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः हां। जो आज मेरी पत्नी है, वह मेरे साथ पढ़ती थीं। मेरी मित्र और गर्ल फ्रेंड थीं। मैंने निर्णय कर लिया था कि शादी करूंगा तो उसी से करूंगा।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपने क्या लव मैरिज की थी?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः जी।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः घर वालों ने अड़ंगा डाला क्या?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः घर वालों की तरफ से ना हो गई थी। पिताजी ने साफ मना कर दिया था क्योंकि श्रीमती नीलम सिंह मेरी जाति की नहीं थी। मैंने उनके निर्णय के विरुद्ध जाकर विवाह किया।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः फिर आपने घर वालों को कैसे मनाया?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः जब मेरा पहला बेटा हुआ तो मैंने अपने पिता जी को अहमदाबाद से टेलीग्राम भेजा- ब्लैस्ड विद द ग्रांड सन। इसके बाद वे पिघल गए। वैसे तो मुझे घर से निकाल दिया गया था। टेलीग्राम के बाद उन्होंने मुझे बुलाया।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः शादी के बाद भारतीय वायुसेना में गए?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः शादी से पहले।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः उस समय श्रीमती नीलम सिंह क्या करती थीं?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः मैंने बताया कि वे आर्मी स्कूल आगरा में पीजीटी थीं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी भेंट कैसे हुई उनसे?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः हम आगरा कॉलेज में साथ पढ़ते थे। एक ही क्लास, एक ही सेक्शन था। शुरू में तो बहुत दिक्कतें आईं क्योंकि उन्हें मैं ज्यादा पसंद नहीं। फिर धीरे-धीरे समय बीतता गया तो मुझे पसंद करने लगीं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः पहली मुलाकात कैसे हुई?
स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः सीनियर क्लास में इंट्रोडक्शन लेते हैं। उनका लिया और मेरा भी लिया। तभी से मैंने सोच लिया था कि यही लड़की मेरी जीवनसाथी बनेगी।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः ऐसा कोई वाकया जब आपकी पत्नी से तकरार हुई हो और आपने अलग अंदाज में मनाया हो?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः जब दो प्राणी होते हैं तो विचारों में भिन्नता होती है। दोनों अगर बुद्धिजीवी हों तो वैचारिक भिन्नता और टकराव। इसे आप हल्की-फुल्की लड़ाई भी कह सकते हैं। कभी बोलचाल बंद हो जाती है। कभी खाना भी छोड़ देते हैं। वो कहती हैं कि जब भी कभी ऐसा हो तो मुझे अकेला छोड़ दो। मैं अकेला नहीं छोड़ता हूँ और एकदम पीछे पड़ जाता हूँ।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या उन्होंने कभी मनाया है आपको?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः हां, उन्होंने भी मनाया है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जीवन का कोई ऐसा किस्सा जो सबके साथ शेयर करना चाहते हैं?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः मेरे जीवन में ऐसी कोई बात नहीं है जो सार्वजनिक न हो। जीवन में ऐसे कई मौके आए, जब लगा कि जीवन क्या है? कुछ दोस्त शाम को बैठे हुए थे। पार्टी कर रहे थे। एक दोस्त को अगली सुबह कैनबरा विमान लेकर जाना था, जो खराब स्थिति में था। अगली सुबह थोड़ी देर बाद ये खबर आई कि विमान क्रैश हो गया और वे नहीं रहे। वे आगरा में पोस्टेड थे उनका नाम संजीव था। मैं फौरन घटनास्थल पर गया। यह घटना मैं आज तक नहीं भूलता है। ऐसे बहुत सारे किस्से हैं जो झकझोर देते हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी सफलता का रहस्य क्या है?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः फौज में कभी भी हारना नहीं सिखाया जाता, हमेशा जीतना सिखाया जाता है। फौज के लोग जो भी काम अपने हाथ में लेते हैं, दृढ़निश्चय और आत्मविश्वास के साथ करते हैं। इस तरह की मनोदशा है तो सफलता निश्चित है। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपको आगरा पसंद है तो क्यों?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः आगरा के लोग बहुत मिलनसार हैं। आगरा में अच्छे दोस्त ढूंढ सकते हैं। जैसे आप मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं, आप मेरे मित्र और भाई की तरह हैं। रवीन्द्रपाल सिंह टिम्मा मेरे अच्छे मित्र थे। उनका कोरोना से देहांत हो गया। आगरा के लोग कॉमर्शियल माइंड वाले नहीं हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप अपने जीवन से संतुष्ट हैं?

स्क्वाड्रन लीडर एके सिंहः बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न है। यह लगा रहता है कुछ और करूँ। संतुष्टि के बारे में बताना बहुत मुश्किल है।

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