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अ. भा. लोधी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विधायक विपिन कुमार डेविड ने कहा- लोधी समाज मजबूत तो राष्ट्र भी होगा मजबूत

BUSINESS NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE REGIONAL साक्षात्कार

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. अखिल भारतीय लोधी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपिन कुमार डेविड यूं तो एटा से भाजपा के विधायक हैं, लेकिन वे राजनीति और समाज कार्य में घालमेल नहीं करते हैं। वे कहते हैं- मुझे गर्व है कि मैं लोधी समाज का हूँ, लेकिन विधायक सर्वसमाज का हूँ। कृषि आधारित लोधी समाज की आर्थिक दशा सुधारने के लिए वे बड़ा अभियान शुरू करने जा रहे हैं। वे कृषि को लोधी समाज का प्रमुख हथियार बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि लोधी समाज मजबूत तो राष्ट्र भी मजबूत होगा। ऑनलाइन सदस्यता अभियान चलाकर पूरे देश में छा जाने का प्रण है। लोधी समाज के नाम पर चल रहे तमाम संगठनों को एक छतरी के नीचे लाने के लिए वे सबके आगे नतमस्तक होने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने महासभा के पदाधिकारियों को खास संदेश दिया है। संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह ने विपिन कुमार डेविड से तमाम मुद्दों पर फोन पर लम्बी बातचीत की। साक्षात्कार अप्रैल, 2020 में कोरोना काल में लिया गया था। 15 माह बाद प्रकाशित किया जा रहा है।


डॉ. भानु प्रताप सिंहः अखिल भारतीय लोधी महासभा के गठन का मूल उद्देश्य क्या है?

विपिन कुमार डेविडः अखिल भारतीय लोधी महासभा सामाजिक संगठन है। मुख्य उद्देश्य अपने समाज को सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक, शिक्षा, कृषि और राजनीतिक क्षेत्र में मजबूत बनाना है। समाज का सर्वांगीण विकास करना है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः महासभा के देशभर में कितने सदस्य हैं और यह संख्या कहां तक ले जाने का लक्ष्य है?

विपिन कुमार डेविडः वर्तमान में 12 राज्यों में गठन है। जहां भी समाज रह रहा है, उन जिलों में जिलास्तर पर गठन है। अभी हमने कोई सदस्यता अभियान नहीं चलाया, जिससे यह पता चल सके कि कुल कितने सदस्य हैं। हम शीघ्र ही पूरे भारतवर्ष में ऑनलाइन सदस्यता अभियान शुरू करने वाले हैं। इसके बाद संख्या बल का पता चल सकेगा।

कार्यकर्ताओं के साथ विपिन कुमार डेविज दाएं से दूसरे।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लोधी समाज की देश में क्या स्थिति है, मतलब किन-किन प्रदेशों में समाज का प्रभुत्व है?

विपिन कुमार डेविडः समाज के प्रभुत्व की बात करें तो सामाजिक, जनसंख्या और विभिन आयामों में उत्तर प्रदेश नम्बर वन है। यहां संख्या बल भी है। राजनीतिक दृष्टिकोण से विधायक और सांसदों की संख्या सही है। मुख्यमंत्री और मंत्री भी रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक प्रभुत्व में है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी लोधी समाज रहता है। नेपाल की सीमा से बुंदेलखंड तक लोधी समाज है।

मध्य प्रदेश में लोधी समाज उत्तर प्रदेश से अधिक हैं। लेकिन वहां राजनीतिक भागीदारी में कमी है। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 15 सीटें जीत सकते हैं। मध्य प्रदेश में आर्थिक दृष्टि से भी स्थिति संतोषजनक नहीं है।

तीसरे नम्बर पर छत्तीसगढ़ है। वहां हमारा एक विधायक है। आंकड़ों पर नजर डालें तो एक सांसद और चार विधायक हो सकते हैं।

महराष्ट्र में मध्य प्रदेश की सीमा से शोलापुर तक लोधी समाज है, लेकिन राजनीतिक रूप से मजबूत नहीं है। वहां राज्य सरकार की सूची में तो लोधी समाज अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में हैं, लेकिन केन्द्र सरकार की सूची में नहीं हैं।

राजस्थान में हमारी संख्या कुछ जिलों में है। फिर भी एकजुटता है। संघर्ष किया तो हमारे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विधायक भी बने हैं।

दिल्ली-एनसीआर में हमारी संख्या है, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से पार्षद तक की टिकट नहीं ले पाए हैं। व्यावसायिक रूप से द्वितीयक स्थिति में हैं, लेकिन प्राइम पोजीशन में नहीं हैं।

हरियाणा में हमारी भागीदारी ठीक है। नौकरी और व्यवसाय में भी ठीक स्थिति है।

पंजाब में लोधी समाज सरकारी और निजी नौकरियों में हैं।

उत्तराखंड में नौकरी में हैं। हरिद्वार और देहरादून के बीच में डोइवाला में हमारी ब्लॉक प्रमुख भी हैं। यहां की विधानसभा सीट पर हमारा दावा बनता है।

झारखंड के जमशेदपुर में लोधी समाज प्रमुखता से है। वहां हमारा संगठन मजबूत है। नौकरी और व्यवसाय में हैं। कई गांवों मं खेती आधारित उद्योग हैं।

बिहार और बंगाल में अभी संगठन का गठन नहीं हुआ है, लेकिन वहां के प्रमुख लोग संपर्क में हैं। जल्दी ही संगठन की पताका फहराएगी।

गुजरात में संगठन है। अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, राजकोट में स्थित ठीक है। नौकरी के साथ बिजनेस भी अच्छा कर रहे हैं।

तेलंगाना की बात करें तो हैदराबाद में हमारे विधायक हैं। वहां समाज का प्रभुत्व ठीक है।

उड़ीसा में अपने लोग हैं, लेकिन वहां सांगठनिक दृष्टि से अभी हम नहीं पहुंचे हैं।

गोवा में हमारा संगठन है। वहां राष्ट्रीय अधिवेशन भी हुआ है।

कर्नाटक के बंगलुरु में प्रमुख रूप से सक्रिय हैं। वहां काम चल रहा है।

अधिवेशन में

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप उत्तर प्रदेश से हैं, विधायक भी हैं, इसलिए यह प्रश्न आवश्यक है कि लोधी समाज की उत्तर प्रदेश में क्या स्थिति है?

विपिन कुमार डेविडः उत्तर प्रदेश में आर्थिक दृष्टि से विभिन्न आयामों में काम कर रहे हैं। मैंने लगातार भ्रमण किया है। आज भी मैं कहूंगा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश व्यवसाय की दृष्टि से ठीक है। गाजियाबाद में हमारे लोग मजबूत हैं। फैक्ट्री और स्कूल चला रहे हैं। कोल्ड स्टोरेज की बात करें तो एटा, फिरोजाबाद, इटावा, फरुर्खाबाद, अलीगढ़ में हैं। कृषि मंडी में प्रभुत्व की बात करें तो बुलंदशहर से फर्रुखाबाद से आगे गंगा के किनारे तक हमारी उपस्थित है। उत्तर प्रदेश में लोधी समा स्वर्णकार का भी काम कर रहे हैं। हमारे समाज के मैरिज होम बहुत हैं। वर्तमान पीढ़ी ने जमीन न बेचकर मैरिज होम बनाए हैं। बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा मैनपुरी में देख सकते हैं। बरेली में नर्सिंग कॉलेज भी हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसी तरह के प्रयास शुरू किए गए हैं, लेकिन वहां खेती पर अधिक ध्यान है। बुंदेलखंड में भी ठीक स्थिति है।

आगरा से लेकर पीलीभीत तक बृज क्षेत्र में हमारी स्थिति बहुत मजबूत है। बुलंदशहर में दो, अलीगढ में एक, एटा-कासंगज में चार, फिरोजाबाद में दो, आगरा में एक, बरेली में दो, पीलीभीत में दो, शाहजहांपुर में दो, फरुर्खाबाद में सांसद, कन्नौज में एक विधायक है। रामपुर में हमारे सांसद थे। यह सीट लोधी समाज की है लेकिन इस समय आरक्षित है। बुंदेलखंड में राजनीतिक दृष्टि से हमारा प्रभुत्व होना चाहिए लेकिन एक विधायक और एक सांसद है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक मजबूत हैं। लखनऊ क्षेत्र में कई सीट लोधी बहुल होने के बाद भी हमें किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। खुशी है कि इस बार भाजपा ने लखनऊ का जिलाध्यक्ष लोधी समाज के व्यक्ति को बनाया है। हरदोई, लखीमपुर खीरी, बहराइच, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, गोरखपुर में ठीक हैं, लेकिन विधायक या सांसद नहीं है। फतेहपुर में अच्छी स्थिति है। उन्नाव में सांसद हैं। इलाहाबाद, अमेठी, रायबरेली, बांदा, हमीरपुर ललितपुर झांसी में अच्छी उपस्थित है। उत्तर प्रदेश में हम 18 विधायक हैं। लोधी महासभा का प्रयास है कि यह संख्या 30-35 तक हो जाए। फिर हम राजनीतिक रूप से एक ताकत के रूप में उभरेंगे और समाज के लिए कुछ भी करने की स्थिति में होंगे।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी दृष्टि में देशभर में लोधी समाज की मुख्य समस्याएं क्या हैं?

विपिन कुमार डेविडः लोधी समाज प्रमुखता से कृषि से जुड़ा हैं, लेकिन आज यह घाटे का सौदा मानी जाती है। किसी भी समाज की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति एक-दूसरे से संबद्ध हैं। इसमें से एक का प्रभाव तीनों पर पड़ता है। हम ज्यादातर गांवों में रहते हैं। खेती खराब तो बच्चों को बाहर पढ़ाने में असमर्थ हो जाते हैं। खेती का मालिक होने के बाद भी पूरा परिवार मजदूर बनकर रह जाता है। हमारे पास कृषि योग्य जमीन हैं और हम इसी को हथियार बनाना चाहते हैं। इसीलिए हम कृषि में लागत घटाकर अच्छा विपणन कैसे करें, इस पर काम कर रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि लोधी समाज की युवा पीढ़ी मार्केटिंग पर ध्यान दे, कृषि आधारित उद्योग स्थापित करे ताकि हर कोई रोजगार पा सके। हम तीन चीजों को संयुक्त करना चाहते हैं। खेती के बाद जिन पर अधिक पैसे है, वे खेती आधारित उद्योग स्थापित करें और शहर में बैठे हमारे लोग विपणन व्यवस्था मजबूत करें। जैविक कृषि के क्षेत्र में कई उद्योगपति आगे आए हैं। केमिकल फ्री खेती को बढ़ावा दिया तो आज वे करोड़ों का व्यापार कर रहे हैं। ये काम हम कराना चाहते हैं। आधुनिकता के साथ कृषि करें। लोधी समाज के अधिकांश लोग खेती करते हैं, लेकिन परंपरागत रूप से। खेती में वैज्ञानिक ढंग लाने की जरूरत है। लोधी महासभा इस पर अलग से कार्य कर रही है।

समाज उत्थान पर चर्चा।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः यह देखने में आया है कि अधिकांश लोधी समाज भारतीय जनता पार्टी के साथ है। अन्य दलों में कम है। इसका क्या लाभ और हानि है?

विपिन कुमार डेविडः हमारा नेतृत्व जो करता है, लोग उसका अनुसरण करते हैं। उदाहरण के तौर पर देखें कि कांग्रेस स्वतंत्रता अंदोलन से जुड़ी थी, लेकिन हर व्यक्ति जो अपने आपको देश से जोड़कर देखता था, वह कांग्रेस का समर्थक बनता चला जाता था। यही कारण रहा कि कांग्रेस ने वर्षों तक राज किया। हमारे समाज की लीडरशिप कांग्रेस में थी, लेकिन उसे स्थापित नहीं किया गया। उसी दौरान विपक्ष उभरकर आया और भारतीय जनसंघ और बाद में भाजपा बनी। जनसंघ ने 1977 से  पहले बाबू हिम्मत सिंह (बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश) को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। इसी कारण हम सब भाजपा की राजनीति में आ गए। पूरा लोधी समाज बाबूजी कल्याण सिंह जी के साथ आ गया। उमा भारती जी भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख चेहरा बनीं। जब हमने भाजपा में उनका चेहरा देखा तो लोधी समाज स्वभावतः इनकी ओर  चला गया। भाजपा ने लोधी समाज को मुख्यमंत्री तक बनाया। उमा भारती जी मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक रहीं। ऐसी स्थिति में लोधी समाज कहां जाएगा, जाहिर है भाजपा की ओर ही जाएगा। अन्य दलों ने लोधी समाज में नेता बनाने का प्रयास किया। चेहरे तो दिए लेकिन शक्ति नहीं दी। इस कारण लीडरशिप विकसित नहीं हो पाई। विधायक भी ज्यादातर भाजपा से रहे हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लोधी समाज अधिकांशतः किसान हैं। वर्तमान में किसानों को लेकर चल रही योजनाओं से आप कितने संतुष्ट हैं?

विपिन कुमार डेविडः केन्द्र सरकार ने माना है कि किसान की हालत ठीक नहीं है। इसीलिए किसान सम्मान निधि शुरू की। अनुदान तभी दिया जाता है जब यह लगे कि स्थिति खऱाब है। केन्द्र सरकार इस बात को समझ रही है और इसी कारण 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य है। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के समय में हमने यह देखा है कि कृषि की जरूरत है। इसके बिना न जान है और न ही जहान है। जब कभी देश की कृषि व्यवस्था सूखा, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि के रूप में बिगड़ती है तो उसका प्रभाव हर क्षेत्र पर पड़ता है। कारखाने भी प्रभावित होते हैं। हमारी हर व्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि को मजबूत करना ही होगा। सरकार को वर्तमान स्थिति में कृषि उपज और मार्केटिंग के बीच में बफर जोन बनाना होगा। बफर जोन का काम ये रहेगा कि किसान को निश्चित आय मिले ही, चाहे उत्पादन कम हो या अधिक। किसान की क्षतिपूर्ति होती रहे। जिस दिन ऐसा कर देंगे तो किसान भारत की अर्थव्यवस्था की सर्वाधिक मजबूत कड़ी साबित होगा। मैंने 2022 के लिए हुई परिचर्चा में ये सुझाव रखा था। अब आगे बैठक होगी तो उसमें प्रमुखता से ये मांग उठाऊंगा।

स्वागत करते कार्यकर्ता।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लोधी समाज के नाम पर कई राष्ट्रीय संगठन चल रहे हैं। क्या इन्हें एक छतरी के नीचे नहीं आना चाहिए, इसके लिए आपके स्तर से कोई प्रयास किए गए हैं क्या?

विपिन कुमार डेविडः मैं बिलकुल सहमत हूं। सभी संगठनों को एक छतरी के नीचे आना ही चाहिए। मैं इसके लिए तमाम लोगों के घरों पर गया हूं। सबसे आह्वान किया है कि अखिल भारतीय लोधी महासभा सबको साथ लाने का प्रयास कर रही है। आज की तारीख में संगठन कार्यों से चलता है। एक साथ आएं। कुछ लोगों को लगता है कि मुझे कांग्रेस की राजनीति करनी है तो अलग रहूं तो महत्ता होगी लेकिन ये लोग भूल जाते हैं कि समाज कार्य अलग है और राजनीति अलग है। हमारे पदाधिकारियों की सूची देखें तो पाएंगे कि हर पार्टी के लोग हैं। सभी लोग मंच पर आते हैं। कोई परहेज नहीं है। मैं कहूंगा कि कोई भी संगठन नाम रख लेने से या फेसबुक पर डालने से नहीं चलता है। संगठन है तो उसकी कार्यकारिणी हो, चुनाव हों और अधिवेशन होना चाहिए। केवल लोधी महासभा के ही 9 अधिवेशन और चुनाव हो चुके हैं। शीघ्र ही पूरे राष्ट्र में सदस्यता अभियान चलेगा। लोधी महासभा ने मुझे अध्यक्ष का दायित्व दिया है। मेरा अपना कोई अस्तित्व नहीं है। महासभा ही मेरा अस्तित्व है। समाज के लोग ही इसमें प्राण फूंक रहे हैं। मेरा कोई अहम नहीं है। सबसे तालमेल होना चाहिए। सभी संगठनों को लोधी महासभा के बैनर तले आना चहिए और मैं इसके लिए सबके आगे नतमस्तक होने के लिए तैयार हूं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर कुछ लोग आपत्ति कर रहे हैं। क्या कहना चाहते हैं?

डॉ. भानु प्रताप सिंहः मेरा संकल्प है कि अखिल भारतीय लोधी महासभा के पद पर रहते हुए मैं अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी नहीं करूंगा। इसी कारण विधायक का चुनाव लड़ते वक्त मैंने पद छोड़ दिया था। विश्वास दिलाता हूं कि मेरी पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) अब जान पाई है कि मैं महासभा का अध्यक्ष हूं। मैंने महासभा के लैटरहेड तक का प्रयोग नहीं किया। एटा में मैं सर्वसमाज का विधायक हूं। मैं लोधी समाज का हूं, ये मुझे गर्व है, लेकिन सर्वसमाज का हूं। एटा में केवल लोधी समाज को लेकर गतिविधियां नहीं चला सकता हूँ। हमारा समाज काम कर रहा है, लेकिन यहां मैं शिरकत नहीं करता हूँ। न किया है और न करूंगा। समाज के अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम करूंगा और किया है। मैं वह व्यक्ति हूँ जब स्व. प्यारेलाल ने कह दिया था कि अगर डेविड को महामंत्री नहीं बनाया तो मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनूंगा। तब आठ प्रदेशों के लोग मौजूद थे। मैंने कहा था कि मेरे पास समय की कमी है। समाज के लोगों ने कहा कि आप पर समाज का ऋण है, उसे उतारें, तब मैंने पूरे भारत में काम शुरू किया। इसके बाद कड़ी से कड़ी जुड़ती गई। जब मैं राष्ट्रीय महामंत्री बना तो संगठन नहीं था। तब बार-बार बताना होता था कि हम कौन से वाले संगठन के महामंत्री हैं। हमारा काम बोलता गया। एटा, अलीगढ़, उत्तराखंड, रामटेक (महाराष्ट्र), जयपुर, वृंदावन (मथुरा), दिल्ली, लखनऊ में राष्ट्रीय अधिवेशन हुए। फरवरी 2019 में गोवा में राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। जालिम सिंह पटेल ने मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय अधिवेशन कराने की तैयारी की थी, लेकिन राष्ट्रीय तालाबंदी के कारण न हो सका। वृंदावन में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में मैंने त्यागपत्र दे दिया था। अधिवेशन में 13 प्रांतों के लोग थे। सबने दबाव डाला कि फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना है। मुझे समाज के आगे नतमस्तक होना पड़ा।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप भाजपा के विधायक हैं। क्या यह संभव है कि राजनीति और सामाजिक विचारधारा को अलग-अलग किया जा सके?

विपिन कुमार डेविडः मैं भाजपा का विधायक हूं। अध्यक्ष बनने से पहले राष्ट्रीय महामंत्री रहा हूँ। हम सामाजिक संगठन चला रहे हैं। किसी दूसरे समाज के विरोध में नहीं है। समाज को मजबूत करने के लिए है। संगठन के माध्यम से समाज में राजनीतिक रूप से चैतन्यता लाना है। शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। हम किसी समाज को चुनौती नहीं दे रहे हैं। किसी से कोई टकराव नहीं है। लोधी समाज मजबूत तो राष्ट्र भी मजबूत होगा। सामाजिक चेतना से राष्ट्र आगे बढ़ रहा है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लोधी महासभा के राष्ट्रीय, प्रदेश और जिलास्तर के पदाधिकारियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

विपिन कुमार डेविडः एक ही संदेश है कि पद महत्वपूर्ण होता है लेकिन यह लिखने के लिए नहीं होता है। यह दायित्व है। इसकी महत्ता को समझें। यह सोचते हुए कि हम इस पद पर रहते हुए समाज के लिए वो काम कर जाएं कि लोग याद रखें। ऐसा काम करें कि समाज में बदलाव दिखे। जब हमारा कार्यकाल समाप्त हो तो पहले से अंतर दिखाई दे। जितने भी पदाधिकारी हैं, जहां भी और जैसी स्थिति में हैं, अपना योगदान दें। आप लोग दूसरों के वाट्सऐप और फेसबुक पर टीका-टिप्पणी न करें, केवल अपने कार्यों पर ध्यान दें। दूसरों पर अंगुली उठाना हमारा काम नहीं है। हमारा काम समाज को मजबूती प्रदान करना है।

कोरोना काल में असहायों की मदद।

प्रोफाइल

नामः विपिन कुमार डेविड

पिता का नामः स्व. गंगा प्रसाद

जन्मतिथिः 20 अप्रैल, 1970

शिक्षाः परास्नातक

राजनीतिक पार्टीः भाजपा, विधायक (एटा, उत्तर प्रदेश)

वैवाहिक वर्षगांठः 1 मई, 1995

पत्नीः श्रीमती प्रेमलता

संतानः दो पुत्री, दो पुत्र

व्यवसायः खेती और उद्योग

रुचिः सामाजिक कार्य और पुराने गाने सुनना

संपर्कः 9837237917

ई-मेलः [email protected]

पताः 61, अरुणा नगर, एटा, उत्तर प्रदेश। पिन- 207001