Kya hai fatehpur sikri ka rahsya

‘क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य’ पुस्तक पर डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में विद्वानों ने की चर्चा

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL

Agra, Uttar Pradesh, India.  वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक ‘क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य’ का प्रकाशन निखिल प्रकाशन आगरा ने किया है। इस पुस्तक पर बुधवार को विद्वानों ने लम्बी परिचर्चा की। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के सामुदायिक रेडियो पर 28 अक्टूबर, 2020 को ‘साहित्य सागर’ कार्यक्रम में हुई चर्चा में फतेहपुर सीकरी के कई रहस्यों का खुलासा हुआ। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय और अमर उजाला का संयुक्त उद्यम है।

प्रो. लवकुश मिश्रा ने किया विषय प्रवर्तन

विषय प्रवर्तन करते हुए पर्यटन एवं होटल प्रबंध संस्थान के निदेशक प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने कहा- प्रतिष्ठित पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह  संवेदनशील पत्रकार हैं। विषयों पर बारीक पकड़ रखते हैं। हिन्दी अखबार में सेवाएं देने के कारण हिन्दी पर पकड़ रखते हैं। उनकी हाल ही में किताब आई है- क्या है फतेपुर सीकरी का रहस्य। आगरा विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। आगरा में यूनेस्को द्वारा घोषित तीन विश्वदाय स्मारक ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की संस्था है यूनेस्को। आगरा लम्बे समय तक मुगलों की राजधानी रहा है। करीब 13 वर्षों तक फतेहपुर सीकरी भी राजधानी रहा है। क्या फतेहपुर सीकरी मुगलों से पहले भी शहर था? पत्रकार के रूप में डॉ. भानु प्रताप सिंह ने लेख लिखे। सीकरी में बीर छबीली टीला पर उत्खनन हुआ। वहां जैन मूर्तियां निकली हैं, जो म्यूजिम में रखी हुई हैं। इसका मतलब यह नहीं कहा जा सकता है कि फतेहपुर सीकरी का इतिहास मुगलों से शुरू होता है। फतेहपुर सीकरी की पहाड़ियों पर रॉक आर्ट आज भी है लेकिन संरक्षण न होने के कारण नष्ट हो रही है।

मोहम्मद गजनी और मोहम्मद गोरी के समय मंदिर तोड़े

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के अध्यक्ष एवं क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य पुस्तक की प्रस्तावना लिखने वाले प्रो. सुगम आनंद ने कहा- वर्तमान फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने किया, यह सही है। पंचमहल से देखें तो साकरी की पूरी चारदीवार दिखाई देती है। जलाशय टूट जाने के करण अकबर सीकरी से आगरा वापस आया। जब जलाशय टूटा तो शाही राजकुमारों की जान खतरे में पड़ गई थी। यह गलत है कि पानी की कमी के कारण अकबर ने सीकरी को छोड़ा। सैकरिक्य प्राचीन है। सीकरी की बसावट प्रागैतिहासिक काल है। पहाड़ियों में मानव ने अपने अवशेष चित्रकारी के रूप में छोड़े हैं। आदि मानव के रहने के साथ मानव सभ्यता विकसित हुई। सीकरी सनातन, जैन, बौद्ध का केन्द्र था। बहुत सारे मंदिर वहां पर थे। आगरा में भी थे। मोहम्मद गजनी और मोहम्मद गोरी के समय ये मंदिर तोड़े गए। बहुत सारे मंदिर आज भी हैं या उनका स्वरूप परिवर्तित कर दिया गया। सीकरी का दूसरी जुड़ाव सिकरवार राजपूतों से है। अकबर ने उस टीले पर अपनी राजधानी बनाई, जिस पर शेख सलीम चिश्ती का निवास था, जिनके आशीर्वाद से बेटा हुआ। सीकरी की बसावट देखी जाए तो उत्खनन बताते हैं कि वहां निवास करने की निरंतरता लगातार रही है। यहां परिपक्व सभ्यता विकसित हुई।

सीकरी का प्राचीन नाम सैकरिक्य

सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहासविद डॉ. तरुण शर्मा ने कहा कि जब भी हम फतेहपुर सीकरी की बात करते हैं तो अकबर और उसके द्वारा किए गए कार्य ही याद आते हैं, जबकि फतेहपुर सीकरी में अकबर का कार्यकाल बहुत छोटा है। फतेहपु सीकरी की रॉक आर्ट की गुफाओं में बैठकर आ चुका हूं मैं स्वयं। उत्खनन में प्रतिमाओं के साथ अभिलेख मिले हैं, जिसमें सीकरी को सैकरिक्य कहा गया है। सैक शब्द का मतलब है जो चारों और जलराशि से घिरा हुआ है। इसके आसपास तीन नदियां हैं और झील थीं। तब सैकरिक्य जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था। मूर्तियों को मोहम्मद गोरी ने आक्रमण के समय विध्वंश किया किया।

अधिक से अधिक लोगों तक किताब पहुंचे

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष और दाऊदयाल वोकेशन इंस्टीट्यूट, खंदारी परिसर के निदेशक प्रोफेसर शरत चंद्र उपाध्याय ने कहा- आगरा शहर को मुगलाकलीन शहर कहा जाता है। वहां अकबर ने राजधानी बनाई तो निश्चित रूप से वहां सभ्यता पहले से रही होगी। इस बात के प्रमाणस्वरूप वहां अवशेष मिल रहे हैं। गोरी ने आक्रमण किए हैं, तो जाहिर है कि पहले से सभ्यता रही होगी। साधु संतों की नगरी रही होगी। किताब अच्छी तरह से लिखी हुई है। भाषा लेखन उत्कृष्ट है। अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचनी चाहिए।  

बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख

डॉ. तरुण शर्मा ने कहा कि बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख है। वह झील में जा रहा तो जाहिर है कि कुछ न कुछ रहा होगा। आज हम जिस आगरा के देखते हैं, लेकिन बादलगढ़ का किला तो अकबर से पहले का था। गुजरात जाना है तो फतेहपुर सीकरी होकर जाना है। सीकरी से गोवर्धन होते हुए मथुरा जाते थे। फतेहपुर सीकरी जंक्शन पॉइंट था।  इसमें प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर का भी आलेख है, जो देश के जाने-माने इतिहासकार हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों के आलेख हैं। पुस्तक में किसी का भी आलेख, जो चाहे वह डीवी शर्मा का हो या अर्खित प्रधान का हो, शोध के बाद ही रखा गया है।

सिकरवार राजपूतों से फतेहपुर सीकरी का संबंध

किताब लोगों को आकर्षित करती है क्योंकि मौके पर पर जाकर डॉ. भानु प्रताप सिंह ने रिपोर्टिंग की। यह किताब आगे के शोधार्थियों के लिए मार्ग खोलने वाली है। मूर्ति स्थापित करने से पहले गर्व की अनुभूति का उल्लेख है। जब मुस्लिमों ने मंदिरों का विध्वंश किया तो उन्हें मस्जिद बना दिया। अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा शिव मंदिर है। ऐसे ही फतेहपुर सीकरी में जैन मंदिर तोड़े गए। अखबार की भाषा आम जन की होती है। यह आम जन की पुस्तक हो सकती है। इसमें छोटे-छोटे टॉपिक हैं, जो आसानी से समझ में आते हैं। इस पर और शोध की जरूरत है। सिकरवार राजपूतों से फतेहपुर सीकरी का संबंध जोड़ा गया है। डॉ. भानु प्रताप सिंह ने इस कार्य को संकलित किया, सहेदा और प्रकाशित किया। उन्हें महसूस हुआ कि इस पर शोध की जरूरत है।

शोधार्थियों के लिए उपयोगी

प्रो. लवकुश मिश्रा ने कहा- इसे छात्र पढ़ें ताकि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को जानकारी स्थानांतिरत हो सके। यह अलग तरीके की किताब है। इसमें लेखक ने अपने लेखों के साथ-साथ इतिहाकार और पुरातत्व विभाग के लोगों के लेख हैं। शोधार्थियों के लिए उपयोगी है। यह पुस्तक ऐतिहासिक दस्तावेज के साथ सरल भाषा में इतिहास लेखन और इतिहास को संकलित करके एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का सफल प्रयास है। डॉ. भानु प्रताप सिंह ने आम जन की भाषा में प्रामाणिकता के साथ लिखी है।

सीकरी की प्राचीनता का रहस्य

प्रो. सुगम आनंद ने कहा कि विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह जिज्ञासु बने। फतेहपुर सीकरी में 1990-2000 में जब मूर्तियां निकली तो लगा कि इसका इतिहास पुराना हो सकता है। यही उत्कंठा सीकरी की प्राचीनता के रहस्य को दर्शाता है। इसलिए भी इसका महत्व बढ़ जाता है क्योंकि स्थानीय इतिहास को दिशा देता है।

आगे भी लेखन कार्य की आशा

समापन करते हुए प्रो. लवकुश मिश्रा ने कहा- इस नेक कार्य के लिए डॉ. भानु प्रताप सिंह को बधाई। उम्मीद की गई कि वे आगे भी इस तरह का लेखन कार्य करते रहेंगे। उन्होंने विवि के सामुदायिक रेडियो 90.4 को ट्यून करने की अपील भी की।