डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. राधास्वामी मत के आदि केंद्र हजूरी भवन पीपल मंडी आगरा में पंचम गुरु दादाजी महाराज (प्रो. अगम प्रसाद माथुर, पूर्व कुलपति आगरा विश्वविद्यालय) की पवित्र समाध तैयार है। विशेष सतसंग होगा। दादाजी महाराज की पवित्र रज रखी जाएगी। 3 से 7 दिसम्बर, 2023 तक अति विशेष सतसंग महोत्सव होगा। दादाजी महाराज ने 25 जनवरी, 2023 को चोला छोड़ दिया था। तभी से समाध का निर्माण कार्य चल रहा है।

ये हैं कार्यक्रम
3-12-2023 को प्रातः 11:00 बजे से विशेष आरती सतसंग परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल, स्थानः समाध – परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल
3-12-2023 को सायं 7:00 बजे से संध्या नियमित सतसंग, स्थानः समाध – परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल
4-12-2023 को प्रातः 11:00 बजे से वार्षिक आरती सतसंग एवं भंडारा परम पुरुष पूरन धनी लालाजी महाराज दाता दयाल
5-12-2023 को प्रातः 11.00 बजे से परम पुरुष पूरन धनी दादाजी महाराज की पवित्र रज रखी जायेगी। स्थानः नवनिर्मित पवित्र समाध स्थल, परम पुरुष पूरन धनी दादाजी महाराज
5-12-2023 से 6-12-2023, प्रातः 11:30 बजे से प्रातः 11:30 बजे तक आरती सतसंग एवं भंडारा, तत्पश्चात निरंतर सतसंग। स्थानः नवनिर्मित पवित्र समाध परम पुरुष पूरन धनी दादाजी महाराज।
6-12-2023 को सायं 6:45 बजे से विशेष आरती सतसंग – 125 वाँ आरती सतसंग (अंग्रेजी तिथि) परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयालः स्थानः समाध परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल
7-12-2023 को प्रातः 11:00 बजे से 125 वाँ वार्षिक आरती सतसंग एवं भंडारा। स्थानः परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल। स्थानः समाध परम पुरुष पूरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल।

दादाजी महाराज के बारे में
अगम प्रसाद माथुर का जन्म 27 जुलाई, 1930 को पीपल मंडी स्थित हजूरी भवन में हुआ था। उन्होंने सेंट जोंस कालेज से शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1952 में उन्होंने आगरा कालेज में अध्यापन शुरू किया। वर्ष 1982 से 1985 तक और 1988 से 1991 तक वह आगरा विश्वविद्यालय (वर्तमान डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय) के दो बार कुलपति रहे। वर्ष 1980 में उन्होंने यादगार-ए-सुलह-ए-कुल का आयोजन आगरा किला व फतेहपुर सीकरी में कराया था।
राधास्वामी मत के दूसरे आचार्य हजूर महाराज ने वर्ष 1885 में पीपल मंडी स्थित अपनी जन्मस्थली के नजदीक तीन टीलों को खरीदकर सात चौक वाला मकान बनवाया था। मत संस्थापक और आचार्य हजूर महाराज की पवित्र कर्मस्थली को राधास्वामी मतावलंबी हजूरी भवन के नाम से पुकारते हैं। यहां पर हजूर महाराज, तृतीय आचार्य लालाजी महाराज, चतुर्थ आचार्य कुंवरजी महाराज की पवित्र समाध, उनकी पवित्र लीला स्थली और निज कक्ष, हजूरी रसोई और हजूरी आवास मौजूद हैं। पंचम आचार्य दादाजी महाराज की समाध बन गई है।
हजूरी रसोई में हजूर महाराज ने साधुओं व बाहर से आने वाले अनुयायियों के निशुल्क भोजन व प्रसाद की व्यवस्था की थी। वर्ष 1980 में दादाजी महाराज के निर्देशन में रसोई की चार मंजिला इमारत बनवाई गई थी। रसोई में सुबह व शाम एक हजार से अधिक लोग भोजन करते हैं।
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