बरेली। कोच ने नेशनल स्तर की धाविका का जिस समय यौन शोषण किया था, तब वह 14 वर्ष की किशोरी थी। कोच की इस घिनौनी हरकत के बाद लगातार सात साल तक यह बालिका मानसिक तनाव के दौर से गुजरी। शनिवार को वह घड़ी आ गई जिसका वह पल-पल इंतजार कर रही थी। अदालत ने कोच साहिबे आलम को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
पीड़िता अब 21 साल की युवती है। कोर्ट से फैसला आने के पर संतोष जताते हुए पीड़िता के परिवार ने कहा कि यह फैसला उनकी बेटी के लिए मानसिक राहत लेकर आया है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) कुमार मयंक ने इस मामले में कोच को दोषी ठहराते हुए आर्थिक जुर्माना भी लगाया है।
पुलिस अधीक्षक नगर/नोडल अधिकारी ऑपरेशन कन्विक्शन मानुष पारीक ने बताया कि नेशनल एथलीट के पिता ने कोच साहिबे आलम के खिलाफ नाबालिग पुत्री को नेशनल एथलीट बनाने का प्रलोभन देकर छेड़छाड करने, दुष्कर्म की कोशिश करने तथा जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट थाना बारादरी में धारा 354क/376/511 भादवि व 08 पाक्सो एक्ट में दर्ज कराई थी।
दर्ज रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में मानसून मैराथन की आड़ में कोच साहिबे आलम ने वादी की 14 वर्षीय बेटी (एथलीट) को नैनीताल ले जाकर शोषण का षड्यंत्र रचा। कोच ने पीड़िता को नैनीताल के मोहिनी इन होटल में ठहराया, जहां उसने उसे जबरन अश्लील वीडियो दिखाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और दुष्कर्म का प्रयास किया। घर लौटकर पीड़िता ने अपने परिवार को आपबीती सुनाई, लेकिन कोच की धमकियों के कारण काफी समय बाद थाना बारादरी में शिकायत दर्ज करवाई जा सकी।
विवेचक उप निरीक्षक गिरीशचन्द्र जोशी ने विवेचना पूर्ण कर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। वाद में 14 गवाह पेश किए गये। स्पेशल पाक्सो कोर्ट दोषसिद्ध करते हुए अभियुक्त कोच साहिबे आलम, निवासी बिहारीपुर मैमरान थाना कोतवाली बरेली को यह सजा सुनाई।
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