केंद्र ने पावर प्लांट्स को पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन करने का आदेश दिया

केंद्र ने पावर प्लांट्स को पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन करने का आदेश दिया

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कोयला संकट के मद्देनजर केंद्र सरकार ने आपातकालीन शक्तियों का इस्‍तेमाल किया है। इमरजेंसी कानून लागू करके सभी पावर प्लांट्स को अपनी पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन करने का आदेश दिया गया है। केंद्र ने सख्‍त लहजे में कहा कि कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। केंद्र ने राज्यों से यह भी कहा है कि किसी बिजली प्लांट को कोयला और गैस की कमी नहीं होने दी जाएगी। जितनी जरूरत है, उस हिसाब से इनकी सप्लाई की जाएगी। यह आदेश विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 11 के तहत दिया गया। इस कानून के जरिए केंद्र सरकार को असाधारण परिस्थितियों में कई खास अधिकार मिल जाते हैं। सरकार बिजली बनाने वाली किसी भी कंपनी को काम करने या स्‍टेशन मेंटेन रखने के लिए कह सकती है।
इलेक्ट्रिसिटी एक्‍ट का सेक्‍शन 11 क्‍या कहता है?
विद्युत अधिनियम की धारा 11 के अनुसार असाधारण परिस्थितियों में सरकार ऊर्जा कंपनियों को अपने हिसाब से ऑपरेट करने और आउटपुट मेंटेन रखने के लिए कह सकती है। इस धारा में ‘असाधारण परिस्थितियों’ का मतलब वैसी परिस्थितियों से हैं जहां राज्‍य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्‍यवस्‍था को खतरा हो या प्राकृतिक आपदा आई हो या जनहित में कोई अन्‍य परिस्थितियां पैदा हुई हों। सेक्‍शन 11 में यह भी कहा गया कि यथोचित आयोग इन निदेशों के प्रतिकूल वित्‍तीय असर को पूरा करने पर विचार कर सकता है। यानी कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई की जा सकती है।
क्‍या देश में असाधारण परिस्थितियां हैं?
देश में घरेलू कोयले की सप्लाई बढ़ने के बावजूद बिजली प्रोडक्शन जरूरत के हिसाब से नहीं बढ़ पाया है। इस वजह से कई राज्यों में बिजली की भारी कमी है। बिजली प्रोडक्शन के लिए कोयले की रोजाना खपत और सप्लाई के अंतर की वजह से पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक भी तेजी से कम हुआ है।
राज्‍यों को जल्‍द कोयला इम्‍पोर्ट करने का निर्देश
केंद्र ने विदेशी कोयले पर चलने वाले कुछ निष्क्रिय पावर प्लांट्स में फिर से प्रॉडक्शन शुरू करने के लिए कहा है। इस फैसले के बाद कोयले की ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों की वजह से प्रोडक्शन न कर पा रहे पावर प्लांट्स भी बिजली का उत्पादन कर पाएंगे। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने पावर प्लांट में कोयले की उपलब्धता बढ़ाने के लिए राज्यों को कोयले का आयात जल्दी करने की सलाह दी है ताकि अतिरिक्त कोयला मई 2022 के महीने से ही पावर प्लांट तक पहुंच जाए। राज्यों को कोयला आयात करने की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए कहा गया है।
किस राज्‍य का क्‍या इम्‍पोर्ट स्‍टेटस है?
सूत्रों के अनुसार बिजली मंत्री आर. के. सिंह की ओर से कोयले के आयात को लेकर की गई समीक्षा बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार यह नोट किया गया कि तमिलनाडु और महाराष्ट्र ने कोयले के आयात के लिए आदेश दिए हैं जबकि पंजाब और गुजरात निविदाओं को अंतिम रूप देने के उन्नत चरण में हैं। राज्यों को समय पर अपने बिजली संयंत्रों के कोयले का आयात करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश राज्य निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड ने अभी तक निविदा जारी नहीं की है या कोयले के आयात के लिए कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं की है।
कोयले का 5वां सबसे बड़ा भंडार
कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने कहा कि भारत के पास दुनिया में कोयले का 5वां सबसे बड़ा भंडार है। ऐसे में सप्लाई के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सरकार का लक्ष्य घरेलू कोयला उत्पादन को वित्त वर्ष 23-24 तक 1.2 अरब मीट्रिक टन तक बढ़ाने का है।
कीमत बढ़ने से पावर प्लांट को भारी नुकसान?
इंटरनेशनल मार्केट में कोयले की कीमत काफी तेजी से बढ़ी है। इंपोर्टेड कोयले पर चलने वाले प्लांट्स के लिए पावर पर्चेज एग्रीमेंट में अंतर्राष्ट्रीय कोयले की कीमतों में बढ़ोत्तरी को पास करने के प्रावधान नहीं है। यानी वो कोयले की कीमतों के हिसाब से बिजली की कीमतों को नहीं बढ़ा सकते। इंपोर्टेड कोयले की मौजूदा कीमत पर अगर ये प्लांट ऑपरेट होंगे तो उन्हें इससे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh