आगरा विवि के संस्कृति भवन में इतना सुंदर कार्यक्रम पहली बार देखा
सांझी कला ने मन मोहा, 12 जनवरी को चयनित 18 फिल्मों का प्रदर्शन
गुटखा बेच रहे फिल्मी कलाकारों को हीरो न कहो, इन्हें पद्मश्री न दो
Agra, Uttar Pradesh, India. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) का परिसर संस्कृति भवन। बाग फरजाना में है। यहां अकसर कार्यक्रम होते रहते हैं। कई बार इन कार्यक्रमों में गया हूँ। आज 11 जनवरी, 2023 का कार्यक्रम विशेष था। इतना विशेष कि इसे अवशेष भ संग्रहणीय हैं। बड़ा कार्यक्रम लेकिन संक्षिप्त। अतिथियों का सधा हुआ और न्यूनतम शब्दों में उद्बोधन। एकदम अनुशासन में आबद्ध। ज्ञानवर्धक। संदेशपरक। समाज की चिन्ता। सद्साहित्य पढ़ने की अपील। शहर की प्रमुख हस्तियों का एकत्रीकरण। सांक्षी कला का दिग्दर्शन। दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त फिल्मी हस्तियों के सुंदर चित्र। संचालक के कोमल स्वर से अभिसंचित।
बृज फिल्म फेस्टिवल की। इसका आयोजन विश्व संवाद केन्द्र ब्रज प्रांत और ललित कला संस्थान ने किया है। पहले दिन प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया। यह प्रदर्शनी इसलिए अनूठी है कि यहां अब तक दादा साहब फाल्के फुरस्कार प्राप्त सभी फिल्मी हस्तियों के चित्र प्रदर्शित हैं। मथुरा की सांसद और प्रख्यात डांसर हेमा मालिनी का चित्र भी सुशोभित किया गया है। दादा साहब फाल्के के चित्र से शुरू हुई प्रदर्शनी अमिताभ बच्चन तक है। उन फिल्मी हस्तियों के चित्र हैं, जिनके नाम आज की नई पीढ़ी ने सुने भी नहीं होंगे। इस तरह प्रदर्शनी खासी ज्ञानवर्धक है। अरे हां, प्रदर्शनी के देहरी पर सांझी कला ने मंत्रमुग्ध कर दिया। ऊपर पानी और तल में कालिया नाग को वश में करते भगवान श्रीकृष्ण। मथुरा की यह कला विलुप्त हो रही है, जिसे ललित कलां संस्थान में संरक्षित किया जा रहा है। 12 दिसम्बर को सांझी कला में पानी पर तैरते चित्र प्रदर्शित होंगे।
संस्कृति भवन के मुख्य द्वार से प्रवेश करिए तो फूलों की सुंदर रंगोली ने स्वागत किया। मुख्य भवन के द्वार पर पुष्पों ने मन मोहा। यहां भी रंगोली। स्वागत पटल पर राधा और कृष्ण की चित्रमय रंगोली। ललित कला संस्थान के छात्रों की शानदार हुनर देख मन प्रफुल्लित हो गया। अतिथियों के स्वागत में लाल कारपेट। प्रदर्शनी कक्ष से बाहर उद्घाटन समारोह हुआ। यहां कोई मंच नहीं। यहां, चार-पांच अतिथियों के लिए सोफा बिछाया गया था। अतिथियों का स्वागत सादगी के साथ किन्तु भव्य रूप में किया गया।
![briJ film festival](https://livestorytime.com/wp-content/uploads/2023/01/brih-film-festival.jpg)
अब बात करते हैं उद्घाटन समारोह की। आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण, तपन ग्रुप के मुखिया सुरेश चंद गर्ग, एमपीएस ग्रुप चेयरपर्सन स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह, होम्योपैथी में 70 लाख मरीज देखने का विश्व कीर्तिमान बनाने वाले डॉ. पार्थसारथी शर्मा, संवाद केन्द्र के अध्यक्ष बलवीर शरण गोयल, बृज प्रांत प्रचार प्रमुख केशव देव शर्मा, सह प्रांत प्रचार प्रमुख कीर्ति कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित किया।
उद्घाटन करते हुए एडीजी राजीव कृष्ण ने बड़े मार्के की बात कही। उन्होंने कहा- किसी भी समाज और सभ्यता की शाश्वत पहचान उस काल में सृजित साहित्य से होती है। आज के युग में फिल्म, नाट्य भी साहित्य है। साहित्य अपने काल के विकास को दर्शाता है। पिछले 32 साल में बृज क्षेत्र में चार बार सेवा का अवसर प्राप्त हुआ है। पाया है कि यहां की संस्कृति में सर्वाधिक माधुर्य और अपनत्व है। अनादिकाल से है ये। मथुरा-वृंदावन में उनका (श्रीकृष्ण) कण-कण में निवास रहता है। चयनित फिल्मों में बृज की संस्कृति को विभिनन पहलुओं से देखने का प्रयास है। छिपा हुई प्रतिभा को मंच मिला है।
![बृज फिल्म फेस्टिवल](https://livestorytime.com/wp-content/uploads/2023/01/guest.jpg)
स्क्वाड्रन लीडर एके सिंह ने कहा- आरएसएस के 50 से अधिक संगठन काम करते हैं। बृज फेस्टिल अनोखी पहल है। फिल्म भी साहित्य का ही हिस्सा है। ऐसी फिल्में देखें जो युवाओं को दिशा दे सकें। फेस्टिवल में 35 फिल्में दिखाई जाएंगी। युवा जरूर देखें। संचालक श्रुति सिन्हा ने एके सिंह को सुंदर भी बताया, जो शत प्रतिशत सत्य भी है। जब उनका नाम पुकारा गया तो श्रोताओं ने देर तक करतल ध्वनि की। उन्होंने बड़ी विनम्रता के साथ अभिवादन किया।
डॉ. पार्थसारथी शर्मा ने कहा- मैं बड़ा सौभाग्यशाली हूँ कि अहमदाबाद में हुए अखिल भारतीय फिल्म फेस्टिवल में बृज प्रांत का प्रतिनिधित्व किया। वहां बहुत सीखा। शॉर्ट फिल्म जरूर देखें। ये भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। हमारा देश मुगलों और अंग्रजों का गुलाम रहा, फिर भी हमारी कला और संस्कृति आज भी जीवित है। साइंस और प्रैक्टिस भी कला है।
![बृज फिल्म फेस्टिवल](https://livestorytime.com/wp-content/uploads/2023/01/बृज-फिल्म-फेस्टिवल.jpg)
केशव देव शर्मा ने बताया- शॉर्ट फिल्में सिर्फ मौजमस्ती के लिए बनती हैं। छोटी फिल्में सकारात्मक हों, समाज को संदेश देने वाली हों। चयनित फिल्मों का पोस्टर यहां लगाया गया है। ये छोटे कलाकार, फोटोग्राफर निर्देशक ही विवेक अग्निहोत्री बन सकते हैं। उन्हें प्रमोट करने की आवश्यकता है। अपनी मर्जी से फिल्में बनाने वाले बॉलीवुड को झटका लगा है। वे देश की संस्कृति पर कुठाराघात कर रहे थे। अब देश का जनमानस जो देखना चाहता है, उस पर फिल्में बना रहे हैं। भारतीय चित्र साधना इसी उद्देश्य से पूरे देश में आयोजन करती है। 1969 से 2020 तक जिन लोगों को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला है, उनके चित्रों को यहां प्रदर्शित किया गया है। पहला पुरस्कार देविका रानी को मिला था।
सुरेशचंद गर्ग ने कहा- ये कार्य करते रहें। बच्चों की मदद के लिए मैं तत्पर हूँ।
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सह प्रांत प्रचार प्रमुख कीर्ति कुमार ने कहा – हम सब हिन्दू घर में जन्मे हैं और हिन्दू संस्कृति से संबंधित बातें भूल चुके हैं। विशेषकर बच्चे और नौजवान नहीं जानते हैं। हिन्दी के बारह महीनों के नाम तक नहीं पता हैं, जनवरी फरवरी याद है। इसके लिए हम घर-घर में अच्छा साहित्य विक्रय कर रहे हैं। ऐसा साहित्य जो देश, संस्कृति से जोड़ सके। उन्होंने उन पुस्तकों को भी दिखाया जो खरीदने लायक हैं।
धन्यवाद प्रकट करते हुए विश्व संवाद केन्द्र के मंत्री डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने कहा कि आज भी फिल्म क्षेत्र का दादा साहब फाल्के पुरस्कार सबसे बड़ा पुरस्कार है। फिल्मों में अभिनय करने वालों को हीरो कहना बंद करिए। ये गुटखा बेच रहे हैं। इन्हें पद्मश्री नहीं मिलना चाहिए। इन्हें दरकिनार करके सामाजिक चीज दिखाने की जरूरत है। बृज फिल्म फेस्टिवल इसीलिए आयोजित किया गया है। 12 जनवरी को प्रातः 10 बजे से चयनित फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा।
आमतौर पर संघ से जुड़े संगठनों के कार्यक्रम निर्धारित समय पर शुरू होते हैं। यह कार्यक्रम अपराह्न तीन बजे शुरू होना था, लेकिन 3.30 बजे के बाद हुआ। मैंने छानबीन की तो पता चला कि एडीजी राजीव कृष्ण को 3.30 बजे का समय दिया गया था।
आगरा के विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी ने बताया कि 12 जनवरी को चयनित 18 फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। अभिनेत्री हेमा मालिनी विजेताओं को पुरस्कृत करेंगी।
कार्यक्रम का मधुर संचालन कर रही साहित्यवेत्ता श्रुति सिन्हा ने सांझी कला के बारे में विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने अतिथियों का आह्वान प्रेरक पंक्तियों के साथ किया। कुल मिलाकर बहुत दिन बाद इस तरह का सधा हुआ कार्यक्रम देखने को मिला। आयोजक विश्व संवाद केन्द्र को बधाई है।
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