mata mangla ji

भोले जी महाराज और माता मंगला जी 9 अक्टूबर को आगरा में, ‘गरीबों की मां’ के रूप में ख्याति

RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. धर्मनगरी बन चुके आगरा में भोले जी महाराज और माता मंगला जी पधार रहे हैं। वे यहां होने जा रहे जन कल्याण सतसंग समारोह को संबोधित करेंगे। इसकी व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है। भक्तों में अपार उत्साह है। माता मंगला जी ने वृंदावन में बन रहे विशाल हॉस्पिटल के लिए 100 करोड़ रुपये दान दिए हैं। इस तरह के समाजसेवा के अनेकानेक कार्य करने के लिए उनकी खासी प्रसिद्धि है। माता मंगला जी को देश भर में स्वास्थ्य – शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए देश-विदेश की कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। जिसमें उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड रत्न’ सम्मान प्रमुख हैं। हंस फाउंडेशन की संस्थापक माताश्री मंगला जी की ख्याति ‘गरीबों की मां’ के रवचन,क सा रहे विरूप में भी है।

 

यह कार्यक्रम 9 अक्टूबर, 2022 को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक होगा। स्थान है- आईटी पार्क मैदान, ब्लॉक डी, शास्त्रीपुरम, सिकंदरा, आगरा। धर्म, अध्यात्म, जनकल्याण, आत्मउत्थान पर सारगर्भित प्रवचन होंगे। अनेक संत महात्मा के भी प्रवचन होंगे। प्रसिद्ध भजन प्रस्तुत करेंगे।सतसंग का उद्देश्य मानव मात्र को शास्त्र सम्मत आध्यात्मिक ज्ञान का व्यावहारिक बोध कराना है। डीएस कुशवाहा एडवोकेट ने बताया कि यह कार्यक्रम हंस ज्योति ( हंस कल्चरल सेंटर की इकाई) आगरा शाखा द्वारा कराया जा रहा है। युद्ध स्तर पर तैयारियां चल रही हैं।

 

हंस महाराज की प्रेरणा से धर्मार्थ कार्यों को बढ़ावा देने के लिए माता मंगला जी और भोले महाराज ने वर्ष 2009 में हंस फाउंडेशन नाम से सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना की। तब से लेकर वर्तमान तक पूरे भारतभर के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 400 से ज्यादा संस्थाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 मिलियन की भारी भरकम धनराशि से निर्धन लोगों को लाभान्वित कर चुके हैं। फाउंडेशन की स्थापना स्वास्थ्य शिक्षा, विकलांगता, पतायन, जल संरक्षण और आजीविका के क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों के लिए धन सहायता प्रदान के उद्धेश्यों को ध्यान में रखकर की गई है।

 

जहां सरकार विवश नज़र आती है वहां से आगे हंस फाउंडेशन का काम शुरू होता है। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों को जितना कुछ हंस फाउंडेशन ने दिया है वह सरकार भी नहीं कर सकती। उत्तराखंड के चारों धामों में स्वास्थ सुविधाओं सहित बद्रीनाथ और केदारनाथ तक जैसे दुर्गम इलाकों में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑपरेशन थियेटर तक फाउंडेशन द्वारा स्थापित किया गया है जो तीर्थ यात्रियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं बद्रीनाथ में तो अत्याधुनिक स्वस्थ्य सुविधाओं से सुसज्जित हॉस्पिटल तक फाउंडेशन से बनाया है।

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माता मंगला जी को अध्यात्म ज्ञान प्रचार-प्रसार तथा समाज सेवा की प्रेरणा अपने माता-पिता एवं गुरू योगिराज श्री हंसजी महाराज एवं माता श्री राजेश्वरी देवी से विरासत में मिली, जिनके आशीर्वाद से मंगला जी सामाजिक उत्थान तथा जनकल्याण के लिए अनेक परियोजनाओं की शुरूआत की है। जिनमें ‘हंस करुणा स्वास्थ्य परियोजना, राजेश्वरी करूणा शिक्षा परियोजना, गरीब वृद्धा, विकलांग एवं विधवा मासिक पेंशन योजना, राजेश्वरी करूणा स्वरोजगार योजना, हंस गौशाला योजना तथा निःशुल्क चिकित्सा शिविर योजना’ आदि प्रमुख है।

 

“हंस कल्चर सेंटर’, ‘हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत माता मंगला जी अपने पति भोले जी महाराज के साथ उत्तराखंड सहित देश के कई अन्य राज्यों में स्वास्थ्य शिक्षा से लेकर जरूमंदों की मदद के लिए कई ऐसी योजनाओं पर काम कर रही है। जिन योजनाओं पर असल में सरकारों को काम करना चाहिए। अगर सेवा भाव के अर्थों में कहें तो, माता मंगला जी कई वर्षों से उन लोगों के बीच जाकर काम कर रही है। जिनके पास जीवन यापन के लिए कुछ भी नहीं है। वह उन बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए काम कर रही है। जिनके भविष्य के सामने सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था। वह उन विधवाओं और असाहया महिलाओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, जिनके लिए संघर्षों के मायने ही खत्म हो चुके थे। इस लिए उन्हें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गरीबों की माँ के नाम से भी जाना जाता हैं।

 

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के पांगर गांव में जन्मी माता मंगला जी कई वर्षों से ‘द हंस फाउण्डेशन’, ‘श्री हंस लोक जनकल्याण समिति’ और ‘हंस कल्चर सेंटर जैसी धर्मार्थ, सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के माध्यम् से देश-विदेश में गरीब तथा बेसहारा लोगों के बेहतर स्वास्थ्य शिक्षा एवं उनके आध्यात्मिक, भौतिक विकास के लिए काम कर रही है।

 

माता मंगला जी के बारे में कहा जाता है कि जब वह बचपन में स्कूल पढ़ने जाती थी, तो स्कूल में जिन बच्चों के पास किताबें नहीं होती थी। उन्हें अपनी किताबें दें देती थी। जिन बच्चों के पैरों में चप्पलें नहीं होती थी। उन्हें अपने पैरों की चप्पल उतार कर दे आती थी। गांव में जो भी गरीब परिवार थे। उन्हें भी माता मंगला जी अपने घर से ले जाकर जरूरत का समाना दे आती माता मंगला जी की इस सेवा भाव को देखकर माता-पिता जी बहुत प्रभावित होते थे। उनकी सेवा भाव की इन आदतों ने उन्हें आज सेवा के विश्व सेवा पटल पर सेवा के नये अध्याय के रूप में श्रेष्ठ मंच पर लाकर बैठा दिया हैं। जो आज लाखों-करोड़ों गरीब असाहयों के लिए मां के रूप में श्रेयकर है।

 

उनकी सेवाओं की बात करें तो माता मंगला जी ने श्री हंस करुणा स्वास्थ्य परियोजना के तहत उत्तराखंड के (सतपुली) पौड़ी गढ़वाल में गरीब लोगों के इलाज के लिए आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित 140 बिस्तरों वाले ‘हंस जरनल अस्पताल’ का निर्माण करया है। जो उत्तराखंड में स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं देने के साथ-साथ रोजगार प्रदान करने के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है। इस अस्पताल के माध्यम से उत्तराखंड के लाखों लोगों को स्वास्थ्य की सेवाएं निःशल्क प्रदान की जा रही हैं।

 

उत्तराखंड के हरिद्वार में 80 बेड का ‘हंस आई केयर अस्पताल’ का निर्माण किया हैं। जिसमें हजारों रोगियों का निःशुक्ल इलाज के साथ-साथ हर तरह की शाररिक जांच मुफ्त में की जा रही हैं, साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में निःशुल्क सचल चिकित्सा वाहन प्रदान करने के साथ-साथ समय-समय पर चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।

गरीब और असहायों महिलाओं को सहयोग करने की बात करें तो देश की तमाम संघर्षरत महिलाओं के लिए वह काम कर रही है। ख़ास तौर पर उन विधवा महिलाओं के लिए, जिनका कोई सहारा नहीं है। उनके लिए माता मंगला जी एवं श्री भोले जी महाराज निरतंर काम कर रहे हैं। जिसके तहत, राजस्थान में महिलाओं के लिए मिल्क प्लांटल लगाया गया है राजस्थान में महिलाओं को स्वाभलंबी बनाने के कठपुतली उद्योग की शुरूआत की है। महिलाओं के लिए अचार बनाने के उद्योग खोले हैं जिससे यहां की कई महिलाएं जुड़ीं और उन्होंने खुद के जीव स्तर को नये आयाम दिए हैं। इस उद्योग में लगभग दो सौ महिलाएं काम कर रही है। जो आत्म निर्भर हो चुकी हैं और खुद की दिनचर्या में परिवर्तन लाकर अपना जीवन-यापन कर रही है इन योजनाओं को माता मंगला जी दूसरे राज्यों में भी शुरू कर रही हैं जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में रह रही महिलाओं का जीवन स्तर भी सुधर सके।

 

पहाड़ की बात करें तो यहां माता मंगला जी ने कई गांवों को गोद लिया है। इन गांव में स्वास्थ्य – शिक्षा से लेकर बिजली-पानी की बेहतर सुविधाओं के लिए वह निरंतर कार्य कर रही है।  आज के समय में आप अगर गढ़वाल-कुमाउं के दूर-दराज के क्षेत्रों में जाएंगे तो आपको दिखेगा कि मंगला जी अपनी संस्था के माध्यम से यहां की महिलाओं के लिए किस तरह से काम कर रही हैं किस तरह से इनके जीवन स्तर में सुधार के लिए योजनाएं चला रही है।

शिक्षा के क्षेत्र माता मंगता जी देश भर में उन बच्चों के लिए काम कर रही है। जिन्होंने आर्थिक मोर्चे पर हार मानते हुए खुद का भविष्य बनने की उम्मीदें छोड़ दी थी। लेकिन माता मंगला जी ऐसे बच्चों के साथ खड़े होकर, इन बच्चों को शिक्षित कर देश में शिक्षा की अलख जगा रही है। इसी कड़ी में मंगला जी ने गुजरात सरकार के साथ मिलकर अहमदाबाद के निकट भाणज गांव में स्कूली बच्चों के लिए देश के सबसे बड़े स्वचालित मध्याह्न भोजन रसोईघर, मिड्डे मिल का शुभारम्भ भी किया है। जिसमें माता मंगला जी द्वारा 12 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गयी है। इसी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में देश एवं उत्तराखंड में अनेक योजनाएं चला रही है जिसमें कई स्कूलों और गरीब बच्चों को गोद लेकर उनके उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है। ताकि देश में शिक्षा के स्तर में सुधार हो और गरीब बच्चों का जीवन स्तर सुधर सके।

 

इसी के साथ माता मंगला जी देश के लाखों बच्चों को शिक्षा तथा शिक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण कोर्स के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। साथ ही पहाड़ के दूर-दराज के क्षेत्रों में चल रहे स्कूल में छात्र-छात्राओं के आवगमन के लिए इन स्कूल को गोद लेकर कई स्कूल बसें प्रदान की हैं ताकि किसी भी गरीब छात्र की पढाई में कोई दिक्कत ना आएं और वह अपनी शिक्षा पूरी करने की दिशा में आगे बढ़े। माता मंगता जी स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के अलावा भारत के कई राज्यों में विधवा पेंशन का वितरण भी कर रही हैं। जिससे असाहय महिलाओं को अपना जीवन यापन करने में किसी प्रकार की दिक्कतें ना आ पाए।

 

उत्तराखंड में आयी भयंकर आपादों से पीड़ितों को उभारने में माता मंगला जी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके तहत आपाद पीड़ितों को नया जीवन प्रदान करने के लिए कई गांव को गोद लेकर उनका पुर्ननिर्माण कराने और आपदा में अनाथ हुए बच्चों को गोद लेकर उनके रहन-सहन और शिक्षा की व्यवस्था माता जी के सहयोग से हो रही है।

 

खेलों की बात करें तो इस क्षेत्र में भी माता मंगला जी भारत के कई खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही है। जिसके तहत दुनिया की सबसे ऊंची सात चोटियों के साथ-साथ उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहराने वाली जुड़वा बहनें ताशी मुन्शी मलिक सहित देश के कई खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मदद कर रही हैं। इसी कड़ी में अपनी संस्था के माध्यम से उत्तराखंड में रेसलिंग को बढ़ावा देने के लिए मशहूर रेसलर महाबली खली को जोड़ कर, उत्तराखंड में रेसलिंग में रूचि रखने वाले बच्चों को निःशुल्क रेसलिंग की ट्रेनिंग देने के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया है। लेखक पत्रकारों एवं अधिवक्ताओं को एवं उनके परिवारों के उत्थान के लिए भीताश्री मंगला जी एंव श्री भोले जी महाराज निरंतर सहयोग कर रहे है उनका उद्देश्य विश्व में सेवा पटल पर अपनी सेवा के माध्यम से उस जरूरतमंद एवं गरीब व्यक्ति तक पहुंचना है जिसके सही मायने में मदद की आवश्यकता है। जिसके लिए माता श्री मंगला जी एंव श्री भोले जी महाराज निरंतर कार्यरत है।

Dr. Bhanu Pratap Singh