श्रीमती बैजंती देवी शिक्षा परिवार के तपेश शर्मा और नितेश शर्मा हैं परीक्षित
पांडाल में चल रही कथा में श्रोताओं में बुजुर्गों से अधिक बालक और बालिकाएं
फरसा और विशाल माल्यार्पण से भागवताचार्य का मुख मंडल प्रदीप्त हो उठा
कृष्ण-सुदामा मिलन की कथा ने संवेदनशील श्रोताओं के नेत्र सजल कर दिए
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. मैंने कई बार भागवत कथा सुनी है। कुछ भागवत कथा दूसरों को प्रभावित करने के लिए होती हैं। कुछ भागवत कथा शान दिखाने के लिए होती हैं। कुछ भागवत कथा अमीरी का प्रदर्शन के लिए थीं। इसी कारण जोरदार प्रचार के लिए होर्डिंग लगाए जाते हैं। वीआईपी को लाया जाता है। इसके विपरीत गढ़ी भदौरिया, आगरा में चली भागवत कथा पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए हुई। इसलिए कोई दिखावा नहीं किया। कोई शान नहीं बघारी। व्यक्तिगत सूचनाएं दीं गईं। इसके बाद भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आए। तीन-चार घड़ी के लिए ही सही, भक्तिभाव में डूबे रहे।
यह भागवत कथा श्रीमती बैजंती देवी शिक्षा परिवार ने आयोजित की। श्रीमती बैजंती देवी ग्रुप के निदेशक और जनसंदेश टाइम्स के संपादक श्री नितेश शर्मा ने मुझे मोबाइल पर भागवत कथा का आमंत्रण दिया था। सोच रहा था कि पूरे सात दिन कथा का श्रवण करूँगा, क्योंकि कलियुग में भागवत कथा साक्षात् भगवान के दर्शन के बराबर होती है। घरेलू समस्याओं में ऐसा उलझा रहा कि छठवें दिन जाना हुआ। पीछे की कुर्सी पर जाकर बैठ गया। व्यास पीठ पर विराजमान श्री धाम वृंदावन से आए भागवत रत्न विभूषित आचार्य मोहित स्वरूप शास्त्री के श्रीमुख से पौने तीन घंटा कथा का श्रवण किया।

मैंने देखा कि श्रोताओं में बुजुर्गों से अधिक बालक और बालिकाएं थीं। यह देखकर मैं हर्षित हो गया। वह इसलिए कि धार्मिक कार्यों से बालक और युवा जुड़ रहे हैं। क्रिकेटर श्री तपेश शर्मा और नितेश शर्मा परीक्षित की भूमिका में हैं। दोनों भ्राताओं की जोड़ी बड़ी अद्भुत है। परीक्षित को चुपचाप कथा का श्रवण करना होता है। कुर्ता और पीली धोती धारण किए नितेश शर्मा शायद ही बैठ पाए हों। वे व्यवस्थाओं में लगे रहे। वे कई बार पांडाल के बाहर आए। मैं उनकी ओर देखे बिना कथा श्रवण करता रहा। अगर वे मुझे देख लेते तो आगे बैठाते। जैसे कि मेरे सामने आईं सीमा उपाध्याय, राजीव दीक्षित, राहुल पालीवाल, डॉ. आकाश अग्रवाल विधायक, डॉ. पंकज महेंद्रू आदि को अग्रिम पंक्ति में स्थान दिया। मुझे लगता है कि ऐसा होने पर ध्यान कथा श्रवण से हट जाता है। वीआईपी होने का भाव जाग्रत हो जाता है। फिर अहम स्वयमेव पैठ बना लेता है।
पौने तीन घंटा में मैंने देखा कि भागवताचार्य के स्वागत-सम्मान की श्रृंखला चलती रही। राधे-राधे, बांके बिहारी लाल की जय, राधे सरकार की जय के बीच उन्हें विशाल पुष्पहार पहनाया गया। परशुराम चौक स्थापना समिति के गिरिजा शंकर शर्मा के नेतृत्व में माला, पटका आदि के साथ स्वर्ण के रंग का फरसा भेंट किया गया। भगवान परशुराम का मुख्य अस्त्र है फरसा। भगवान परशुराम के जयकारे गूंजे। इस दौरान भागवताचार्य का मुख मंडल प्रदीप्त हो उठा था। सम्मान है ही ऐसी चीज।निरंहकारी को भी गुमान हो जाता है स्वयं के श्रेष्ठ होने का।

भागवत रत्न विभूषित आचार्य मोहित स्वरूप शास्त्री ने कथा के बीच-बीच में शायरी भी की। अनेक उपदेश भी दिए। भजन पर नृत्य भी कराया। महिलाओं के साथ नितेश शर्मा भी नृत्य में तल्लीन दिखाई दिए। चैतन्य महाप्रभु की तरह दोनों हाथ ऊपर उठाए हुए थे। भजन के दौरान अनेक लोगों को माला पहनाई गई। तपेश शर्मा का शॉल ओढ़ाकर स्वागत हुआ। भागवत कथा सुनने आए लोग भागवताचार्य, श्रीमद भागवत और परीक्षित का सम्मान करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।

कृष्ण-सुदामा मिलन की कथा बड़े भाव के साथ सुनाई गई। भागवताचार्य ने सबसे कहा कि 15-20 मिनट बैठे रहें। कृष्ण और सुदामा के स्वरूप भी आए। उनकी पूजा की गई। भागवताचार्य ने नरोत्तमदास रचित सुदामा चरित के सवैया सुनाए। जैसे- सीस पगा न झगा तन पै, प्रभु! जानै को आहि! बसै केहि ग्रामा.. और पानी परात को हाथ छुओ नहीं। नैनन के जल से पग धोए.. तो कई बुजुर्ग साथ- साथ गाने लगे। आचार्य मोहित स्वरूप शास्त्री ने साफ कहा कि सुदामा को गरीब कहना गरीबी का अपमान करना है। सुदामा धन से गरीब थे लेकिन भक्ति से अमीर थे। उन्होंने टीवी और फिल्मों पर दिखाई जाने वाली सुदामा की कहानी को गलत बताया। स्पष्ट कहा कि द्वारिका पुरी में कृष्ण के द्वारपालों ने सुदामा को भगाया नहीं था बल्कि आदरपूर्वक बैठाया था। कृष्ण-सुदामा मिलन की कथा ने अनेक संवेदनशील श्रोताओं के नेत्र सजल कर दिए। लोग चश्मा उताकर अश्रुपात करते देखे गए।

भागवत कथा आयोजक श्रीमती बैजंती देवी शिक्षा परिवार की संस्थापक सुशीला देवी का कहना है कि पूर्वजों के आशीर्वाद और भगवत कृपा से इस तरह का आयोजन करने का अवसर प्राप्त होता है। कृष्ण शंकर शर्मा, योगेश शर्मा, गौरव शर्मा, कमलकांत शर्मा, शैलू पंडित आयुष्मान शर्मा, अरुण पाराशर, नितिन शर्मा, अर्जुन उदैनिया, आकाश, अंकुर आदि कथा के आयोजक हैं। सुंदर पांडाल में कथा हो रही है। स्वर्गीय विद्या शंकर शर्मा और स्वर्गीय उमा शंकर शर्मा समेत सात पूर्वजों के चित्र लगे हुए हैं। पूर्वजों की मुक्ति की आकांक्षा के साथ कथा हो रही है। 21 मार्च को कथा का समापन के साथ भंडारा भी होगा।
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