पहला चीन और दूसरा भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं। यह हम सब जानते हैं जनसंख्या किसी भी देश हर व्यवस्था पर असर डालती हैं। दुनियाभर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने इस दिवस को 1989 से हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। तब पूरी दुनिया की जनसंख्या लगभग पांच अरब थी। यह दिवस पूरी दुनिया में बीते 30 सालों से मनाया जा रहा है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और मातृत्व स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी जाती है।
विश्व जनसंख्या दिवस के दिन बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। तेजी से जनसंख्या की वृद्धि कई वजहों से समाज और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। आज भी गैरकानूनी होते हुई भी देश के कई पिछड़े इलाकों में आज भी बाल विवाह की परंपरा है। इसकी वजह से कम उम्र में ही महिलाएं मां बन जाती हैं। जो कि बच्चे और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए घातक है। भारत देश में रूढ़िवादी समाज में आज भी लड़के की चाह में पुरुष, परिवार नियोजन अपनाने को तैयार नहीं होते। आज भी कई बार महिलाओं पर लड़का पैदा करने का दबाव ज्यादा होता है और इसकी वजह से कई महिलाओं अनेक बच्चों को जन्म देने को मजबूर रहती हैं। अपवाद को छोड़ दे तो लड़कियों को शादी से पहले गर्भ निरोधक के उपाय संबंधित जानकारी नहीं दी जाती है। दरअसल, जनसंख्या बढ़ने की इन वजहों में गरीबी और अशिक्षा भी है। अशिक्षा की वजह से लोग परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझते और मातृत्व स्वास्थ्य एवं लैंगिक समानता के महत्व को कमतर आंकते हैं। शिक्षित और मध्यमवर्गीय परिवार की यह सोच है कि लड़का उनके बुढ़ापे का सहारा है। बहुत से समाज में लोग प्राकृतिक उपहार मानते हैं, जबकि जानते हैं जनसंख्या बढ़ने से देश बेरोजगारी की समस्या, स्वास्थ्य, व आर्थिक के साथ अनेक दंश झेलता है।
विश्व जनसंख्या दिवस के दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिनमें जनसंख्या वृद्धि की वजह से होने वाले खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया जाता है। घर-घर तक पहुंचकर लोगों को जनसंख्या रोकने के तरीके व विकल्प बताये जाते हैं कि, युवाओं का 25-30 की उम्र से पहले विवाह न करें और 2 बच्चों के बीच कम से कम 5 साल का अंतर रखने की वजह समझाएं। जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए इसे सामाजिक और धार्मिक स्तर पर जोड़ें। अधिक बच्चे पैदा करने वालों का सामाजिक स्तर पर बहिष्कार करें, क्योंकि दूसरे भी यदि ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं, तो इसका असर आपके बच्चों के भविष्य पर कम देश की अर्थ व्यवस्था पर अधिक पड़ेगा। आपके बच्चों के लिए प्रतिस्पर्धा और देश में बेरोजगार होने की आशंका बढ़ेगी।
आज के दौर में सबसे तेज गति से जनसंख्या वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया है। जनसंख्या के मामले में नाइजीरिया भले ही अभी 7वें नंबर पर हो, लेकिन 2050 से पहले यह अमेरिका को पीछे छोड़ कर तीसरे स्थान पर पहुंच सकता है।
ज्यादा बच्चों का भरण-पोषण करना मुश्किल होता है। घर में ज्यादा बच्चे यानी स्कूल में भी ज्यादा, कॉलेज में भी ज्यादा, नौकरी पाने की दौड़ में भी ज्यादा, फलस्वरूप प्रतिस्पर्धा ज्यादा और इस प्रकार पूरे समाज, दुनिया में असमानता व भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा। नक्सलवाद / अपराध जैसी समस्याओं का मूल कारण भी यही जनसंख्या है, जो आगे जाकर लोगों में गरीबी-अमीरी के बीच फासले बढ़ाती है। देश में साधन से अधिक आबादी होगी तो विकास का लाभ सभी को बराबरी से नहीं मिल सकेगा… नतीजा अराजकता। जनसंख्या अधिक होने से देश की तरक्की धीमी होती है।
हम दो- हमारे दो

राजीव गुप्ता, आगरा
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