बांदा। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य व्यवस्था के चुस्त-दुरूस्त होने के विधानसभा से लेकर हर जगह करते नहीं थकते, लेकिन हकीकत दावों के उलट नजर आती है।यूपी के बांदा से ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एम्बुलेंस न मिलने पर एक गंभीर मरीज को परिजनों ने जुगाड़ वाहन के सहारे 60 किलोमीटर का सफर तय कर जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने 108 और 102 नंबर की एम्बुलेंस सेवाओं पर कई बार कॉल की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
घटना बबेरू कोतवाली क्षेत्र के पिंडारन गांव निवासी जीत साहू से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि उनकी ससुराल मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में है। गुरुवार सुबह उन्हें ससुराल से सूचना मिली कि उनके साले, 58 वर्षीय देवराज, की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। जब वे मौके पर पहुंचे तो पता चला कि परिजन और ग्रामीण घंटों से एम्बुलेंस मंगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कॉल बार-बार कट रही थी या लग ही नहीं रही थी।
स्थिति गंभीर होती देख, परिजनों ने एक बाइक-आधारित जुगाड़ वाहन तैयार किया, जिसमें देवराज को लिटाकर बबेरू से बांदा तक करीब 60 किलोमीटर का सफर तय किया गया। शाम चार बजे ट्रॉमा सेंटर पहुंचने पर डॉक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू किया।
गनीमत रही कि मरीज को जान बच गई। जिला अस्पताल के ट्राॅमा सेंटर में मरीज का इलाज जारी है।
इस घटना ने न केवल सरकार के झूठे दावों की पोल खोल रही है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था के बीमार होने की तस्वीर सामने लाई है। ऐसे में सवाल उठता है कि हवा-हवाई दावे करने के बजाय मंत्री ब्रजेश पाठक अपने ‘बीमारू’ सिस्टम का इलाज कब करेंगे?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी बांदा, डॉ. वीरेंद्र विजेंद्र सिंह ने बताया कि बबेरू और मरका क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या अक्सर रहती है, जो बारिश के मौसम में और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी और स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
साभार सहित
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