Aligarh, Uttar Pradesh, India. शिक्षक इस देश के अकादमिक लीडर्स हैं और उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षण कार्य करने के लिए नये अभ्यास को अपनाना चाहिए। यह बात यूजीसी एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रोफेसर एआर किदवई ने एडवांस्ड सेंटर फार वुमेन स्टडीज़ द्वारा ट्रांसफार्मिंग लीडरशिप फार पेंडामिक पर पर आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कही।
प्रोफेसर किदवई ने कहा कि एकाडमिक लीडर्स को प्रभावी सम्प्रेषण सिस्टम के साथ प्रभावी संचार कौशल का होना भी आवश्यक है ताकि उनकी बात को आसानी से समझा जा सके। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक कुशल लीडर में नवाचार, रचनात्मकता और अलोचनात्मक दृष्टिकोण का होना आवश्यक है और शिक्षकों को महामारी के दौरान परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रबंधकीय क्षमताओं का विकास करना चाहिए जो आज एक बड़ी चुनौती है।
दुबई में बसे एएमयू के पूर्व छात्र एवं होलिस्टिक एंटरप्राइजेज़ दुबई के पार्टनर कामरान ज़ियाउद्दीन ने विषय पर बोलते हुए कहा कि नेतृत्व दूसरों को प्रेरित करने और विजन को साझा करने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि दूसरों को प्रेरित करने के लिए लीडर्स को प्रेरित होने और अपने हष्टिकोण में विश्वास करने की आवश्यकता है। जनता पर जीत हासिल करने के लिए प्रेरणादायक नेतृत्व की क्षमता का होना भी आवश्यक है। कामरान ज़ियाउद्दीन ने कोविड महामारी प्रकोप के बाद महिला लीडर्स द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी चर्चा की।
केन्द्र की निदेशक प्रोफेसर अज़रा मूसवी ने स्वागत भाषण में दुनिया भर में आजीविका के नुकसान पर बात की। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान विस्थापित लोगों की मदद के लिए गैर सरकारी संगठनों सहित व्यक्तिगत स्तर पर भी लोग आगे आएं। उन्होंने अलीगढ़ की कई एनजीओ आसरा, सोच और उड़ान की भूमिकाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार से इन संगठनों ने महामारी के दौरान लोगों के पुनर्वास और बेरोज़गारों की आजिविका के लिए कार्य किया। डा० जूही गुप्ता ने उपस्थितजनों का आभार जताया।
बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ो
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रौढ़ शिक्षा एवं सतत विस्तार केन्द्र द्वारा फंक्शनल इंग्लिश में आनलाइन ओरियंटेशन सत्र का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए केन्द्र के निदेशक प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ ने शिक्षार्थियों से जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जीवन में सभी बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ता रहना चाहिए और वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौरान उत्पन्न बाधाओं का शिकार नहीं होना चाहिए। केन्द्र की उप निदेशक प्रोफेसर आयशा मुनीरा रशीद ने कहा कि अंग्रेज़ी भाषा को दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ने और आशाजनक करियर के लिए संभावनाओं को तेज करने की आवश्यकता है। सहायक निदेशक डा० शमीम अख्तर ने प्रतिभागियों से सर सैयद जैसी महान हस्तियों के जीवन के उच्च सिद्धान्तों का अनुकरण करने और समाज की भलाई के लिए कार्य करने का आव्हान किया। सहायक निदेशिका श्रीमती मुशर्रफ जहां ने आभार जताया।
जैविक विज्ञान अनुसंधान पर व्याख्यान माला
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस संकाय के तत्वाधान में विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के अंतर्गत 5 दिवसीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसमें प्रख्यात शोधकर्ताओं ने ”एडवांसेज़ इन बायोलाजिकल रिसर्च” पर जैविक विज्ञान अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले विकास तथा नवीनतम तकनीकों, उन्नत तरीकों और अप्रयुक्त अनुसंधान क्षेत्रों पर चर्चा की।
प्रोफेसर कारमेन टॉरेस (बायोकेमिस्ट्री एंड मालिक्युलर बायोलाजी विभाग, यूनिवर्सिटी आफ ला रियोजा, स्पेन) द्वारा 5 नवम्बर को ”मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टेफिलोकोकस आरियस फ्राम द वन हेल्थ पर्सपेक्टिव” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। अमुवि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने व्याख्यान की अध्यक्षता की। डा० मैनूर पी० हांडे (फिजियोलाजी विभाग, नेशनल यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर) और प्रोफेसर एडम प्राइस (स्कूल आफ बायोलाजिकल साइंस, एबरडीन विश्वविद्यालय, यूके) ने 6 नवम्बर को ”टेलोमर्स एंड टेलोमेरेज़ इन एजिंग एंड कैंसर” और ”राइस आफ जेनेटिक मैपिंग इन राइस” पर चर्चा की। प्रोफेसर एचएएस याह्या (पूर्व डीन, फैकल्टी आफ लाइफ साइंसेज) ने 7 नवंबर को ”ऐन आब्जर्वेशन आफ एवियन स्टडीज एंड कंजर्वेशन प्रायरिटीज इन इंडिया” पर अपने विचार व्यक्त किये।
9 नवंबर तथा 10 नवम्बर को खालिद अब्द एलरादी (ममीज़ एण्ड ह्यूमन रिमेन्स लैब, ग्रैंड मिस्री संग्रहालय, गीजा, मिस्र) और डा० इमरान अहमद (सीईओ और अध्यक्ष, जीना फार्मास्यूटिकल्स, शिकागो, यूएसए) द्वारा क्रमशः ”मम्मीज मैनेजमेंट इन म्यूजियमः रिक्वायरमेंट्स एंड चैलेंजेज” तथा ”हाउ टू एडवांस मेडिसिनः ड्रग डेवलपमेंट एंड लिपिड-बेस्ड डिलिवरी सिस्टम” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
व्याख्यान माला में विश्व भर से लगभग 400 वरिष्ठ छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने वेब वार्ता में भाग लिया। प्रोफेसर असद यू० खान (समन्वयक, अंतःविषय जैव प्रौद्योगिकी इकाई), प्रोफेसर मोहम्मद अफजल (अध्यक्ष, जीव विज्ञान विभाग), प्रोफेसर नफीस अहमद खान (अध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग), जमाल ए० खान (अध्यक्ष, वन्यजीव विज्ञान विभाग), डा० मोहम्मद इरफान (अध्यक्ष, संग्रहालय विभाग) तथा प्रोफेसर मोहम्मद ताबिश (अध्यक्ष, जैव-रसायन विज्ञान-जीवन विज्ञान संकाय) इन व्याख्यान कार्यक्रमों के समन्वयक थे।
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