आगरा पुलिस ने एटीएम फ्रॉड करने वाले गैंग के तीन सदस्य पकड़े

आगरा पुलिस ने एटीएम फ्रॉड करने वाले गैंग के तीन सदस्य पकड़े

Crime

 

एमबीए पास युवक भी कर रहा था इनकी मदद..सिर्फ एक मिनट और रकम पार…

आगरा पुलिस ने एटीएम के अंदर लोगों को निशाना बनाने वाले और उनके एटीएम कार्ड बदलकर रुपये निकालने वाले गैंग के तीन सदस्यों का पुलिस ने अरेस्ट किया है. ये लोग बड़ी ही चालाकी के साथ वारदातों को अंजाम दिया करते थे. एक व्यक्ति पिन देखता था तो दूसरा मदद के नाम पर डेबिट कार्ड बदल देता था और इसके बाद पेटीएम मशीन के माध्यम से डेबिट कार्ड से रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा लेते थे. पेटीएम मशीन दिलवाने में शातिरों की मदद कंपनी का ही एक एमबीए पास कर्मचारी मदद कर रहा था. पुलिस ने इनके पास से दो मशीन, रुपये और डेबिट गार्ड बरामद किए हैं.

पकड़े गए बदमाशों के नाम
आजम निवासी मेवात​, हरियाणा
नासिर निवासी गौतमबुद्धनगर
करन गेन निवासी पीलीभीत

ये चीजें बरामद
दो पेटीएम मशीन
तीन मोबाइल
13 डेबिट गार्ड
24800 कैश
दो आधार कार्ड व एक सिम कार्ड

इस तरह देते थे वारदात को अंजाम
गैंग में शामिल आजम ओर नासिर ऐसे एटीएम पर जाकर खड़े हो जाते थे, जहां पर गार्ड नहीं होता था और यहां आने वाले ग्रामीण इलाके ओर महिलाओं को मशीन में तकनीकी खराबी कर देते थे जिससे उनकी रकम नहीं निकलती थी. इस दौरान एक व्यक्ति पीछे खड़े होकर पिन नंबर देख देता था तो दूसरा खराबी और मदद के नाम पर दूसरे को डेबिट कार्ड अपने हाथ में लेकर बदल देता था. जब तक सामने वाले को पता चलता तब तक पेटीएम मशीन के जरिए उसमें डेबिट कार्ड लगाकर सारी रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते थे और फिर बाद में उसे अन्य एटीएम में जाकर निकाल लेते थे. पुलिस के अनुसार आरोपी अपने पास कई बैंकों के एटीएम कार्ड रखते थे जिससे रुपये निकालने आने वाले के पास जिस बैंक का एटीएम कार्ड होता था, आरोपी उसी बैंक का एटीएम कार्ड निकालते थे जिससे कोई शक न हो पाए. रकम पार करने में वह एक मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगाते थे. पुलिस के अनुसार यह गैंग पिछले दो साल में कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है. पुलिस इनसे अभी पूछताछ कर रही है.

एमबीए पास करन कर रहा था इनकी मदद
एटीएम फ्रॉड करने वाले गैंग की मदद पेटीएम कंपनी में काम करने वाला और एमबीए पास कर्मचारी करन कर रहा था. वह कंपनी में सेल्स का काम करता हे और पेटीएम मशीन उपलब्ध कराता है. आरोपियों को उसने 10 हजार रुपये में मशीन दी थी और इसके लिए कोई सत्यापन भी नहीं करता था. जिन खातों में रकम ट्रांसफर होती थी वो भी फर्जी दस्तावेज के माध्यम से खोले गए होते थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh