बाल आयोग और डीपीओ भी सीडब्ल्यूसी को जारी कर चुके हैं पत्र
आगरा: बेटी की रिहाई को लेकर पालनहार मां चिलचिलाती धूप में कलेक्ट्रेट पर घंटों बैठी रही लेकिन जिम्मेदारों ने उसकी तरफ देखा था। आने जाने वाले फरियादी और कर्मचारी इस मां की करुण दास्तां सुनकर जरूर भावुक हो गए। आखिर में रो-रोकर अभागी अपने घर लौट गई।
नहीं बन पा रही सहमति
सरकार की मंशा है की बच्चों को फोस्टर केयर में पालन पोषण के लिए परिवारों को दे दिया जाए। जहां उनका पालन पोषण ठीक तरह से होता रहे। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में कहां है कि मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत बच्ची को पालनहार मां के सुपुर्द कर दिया जाए। इसी के तहत जिला प्रोबेशन अधिकारी ने भी बाल कल्याण समिति को पत्र लिखकर कहा है कि आपसी सहमति से आदेश पारित कर बच्ची को दे दिया जाए। इसके बावजूद भी बाल कल्याण समिति आपस में सामंजस्य बैठा कर फैसला नहीं ले पा रही है। जिसका खामियाजा बच्ची को भुगतना पड़ रहा है। बच्ची एक साल से बाल गृह में निरुद्ध है। उसकी पढ़ाई छूट गई है। बच्ची को आजाद करने की मांग को लेकर पालनहार मां शुक्रवार की सुबह जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट पहुंची। जहां उसने धरना दिया। चिलचिलाती धूप में अधिकारी आते जाते रहे लेकिन उसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
यह है नियम
पालनहार मां को उसकी बच्ची दिलाने में पैरवी कर रहे चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने कहां की बच्ची का सर्वोत्तम हित परिवार में ही सुरक्षित है। जिलाधिकारी सीडब्ल्यूसी के अपीलीय अधिकारी हैं। पीड़िता द्वारा व्यक्तिगत रूप से मिलकर डीएम को अपील की है। उनको इस प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए बाल हित को ध्यान में रखते हुए बच्ची को उसकी पालनहार मां के सुपुर्द कर देना चाहिए। बाल गृह में बच्ची की पढ़ाई छूट चुकी है। उस पर मानसिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
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