आगरा। सिंचाई बंधु की अध्यक्ष एवं जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया ने सिंचाई विभाग से एत्मादपुर ब्लॉक के रहनकलां गांव में बनाये जा रहे पांच रेडियल वेल के प्रोजेक्ट पर सिंचाई विभाग से जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा है कि रहनकलां यमुना तटीय गांव है। इतने अधिक पानी का नदी के तटीय गांव से एक साथ दोहन होने से नदी की जलधारा के अविरल प्रवाह पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा, इसे लेकर ग्रामीणों के द्वारा उनके समक्ष आशंकाएं जताई जा रही हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष से बरौली अहीर,फतेहाबाद सहित एत्मादपुर के गांवों के ग्रामीण और नागरिक संगठन लगातार मिल रहे है । इनमें से अधिकांश के द्वारा रेनीवेल प्रोजेक्ट से अपने सिंचाई साधनों व यमुना नदी के अविरल प्रवाह की स्थिति प्रभावित होने को लेकर स्वाभाविक जिज्ञासाऐं जताई जा रही हैं।
जल संसाधनों की स्थिति पर अपने कैंप ऑफिस में चर्चा करने पहुंचे सिविल सोसायटी आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा,राजीव सक्सेना एवं असलम सलीमी आदि से श्रीमती भदौरिया ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर अनवरत जल दोहन से खेती किसानी के लिये इस्तेमाल होने वाले जल उपलब्धता के कुएं,पंप, रहट,पुर, सबमर्सिबल पंप आदि पर तो कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा, यह वे खुद भी सुनिश्चित कर लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों से रहनकालां रेनी वेल की जानकारी मांगी है।
उन्होंने कहा कि जनपद की अधिकांश नदियों में बहाव शून्य हो जाने के बाद अब यमुना नदी में प्रवाह अत्यंत मंद जरूर है किंतु जल शून्यता की स्थिति नहीं है। उनकी कोशिश है कि नदी की धारा का प्रवाह सुनिश्चित रखा जाये।
–यमुना में जल प्रवाह पर प्रतिकूल असर नहीं पडे-
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधि मंडल ने भी जिला पंचायत अध्यक्ष से मुलाकात में तृतीय मंडल सिंचाई कार्य के तहत प्रशासनिक इकाई अधिशासी अभियंता लोहर खंड के प्रबंधन में आने वाली यमुना नदी के आगरा में अविरल बहाव की स्थिति सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।
उल्लेखनीय है कि यमुना नदी आगरा जनपद की सबसे महत्वपूर्ण जलधारा है जनपद में अकोस गाव (मथुरा) से किरावली तहसील से प्रवेश करती है और बाह तहसील के खिलौवली के बीच सौ किमी से अधिक बहती है। नदी में जमा सिल्ट सफाई गंभीर मुद्दा बन जाने के बावजूद इसका तटीय गांवों के भूगर्भ जल रिचार्ज सिस्टम में महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
–यमुना को मिले 1300 क्यूसेक का डिस्चार्ज-
जनपद की चम्बल, उटंगन, किबाड, खारी, यमुना, कार्बन (झरना नाला) आदि मुख्य नदियां हैं। इनमें से केवल चम्बल नदी में अनवरत प्रवाह रहता है,जबकि गोकुल बैराज से 1300 क्यूसेक जलराशि डिस्चार्ज के लिये आवंटित होने के बावजूद यमुना नदी में प्रवाह शून्यता की स्थिति बनी हुई है। अन्य नदियों को तो बरसाती मानकर उनके हाल पर छोड़ रखा गया है।
–रेनीवेल प्रोजेक्ट-
जल निगम के द्वारा पहले से ही अति जल दोहित ताजमहल पार्श्व नगला पैमा पर बनायी जा रही ‘ताज बैराज ’ के डाउन में रहनकलां गांव में हैवी डिसचार्ज क्षमता के पांच रेनी वैल बनाये जा रहे है,इनमें से एक स्टैंडबाई रहा करेगा जबकि चार अनवरत भू गर्भ का जल दोहन करेंगे। रुडकी विश्वविद्यालय के द्वारा प्रोजेक्ट पर स्टडी कर क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनमें से प्रत्येक रैनीवेल की गहराई 30 मीटर तक होगी। नदी के एक्यूफर और सीपेज से इन कुओं में पानी पहुंचेगा और इसे ही रैनीवेल पंप करेंगे।
आईआईटी रुड़की के द्वारा बनाए गए इस प्रोजेक्ट के रेनीवेल की क्षमता प्रतिदिन 2 करोड़ लीटर पानी आपूर्ति की होगी। जल निगम के द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन किया जाना है। निगम की ओर से कार्यदायी अधिकारी अधिशासी अभियंता एहितशामुद्दीन प्रोजेक्ट को कॉर्डीनेट कर रहे हैं। उनके अनुसार, रेनीवेल परियोजना में नदी किनारे पर कुएं बनाए जाते हैं। इन कुओं में नदी के एक्यूफर व सीपेज से पानी भरता है। इस पानी को पंप के माध्यम से प्रस्तावित क्षेत्र में सप्लाई किया जाता है।
-इम्पैक्ट रिपोर्ट नहीं-
रेनीवेल प्रोजेक्ट से इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट को भरपूर पानी मिलेगा किंतु यमुना नदी के बहाव की स्थिति, ट्यूबवेल, हैंडपंपों, कुओं, गांवों की पाइप लाइन से पानी सप्लाई योजना पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं है।
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