dr peetinder singh IPS police commissioner

आगरा पुलिस कमिश्नरेट में सवा घंटाः मुझे लगा डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के रूप में डॉ. जीके गोस्वामी बैठे हुए हैं, पढ़िए आँखों देखा हाल

Crime

भ्रष्ट पुलिस वालों को जेल भेजने वाले अधिकारी के हृदय मृदुल भी है

फरियादों के प्रति सम्मानजनक और प्रेमपूर्ण व्यवहार ने मुझे चौंकाया

किसी नेता से सिफारिश की जरूरत नहीं, पुलिस कमिश्नर से सीधे मिलिए

आगरा के एसएसपी रहे डॉ. जीके गोस्वामी भी इसी तरह काम करते थे


डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. आईपीएस डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के बारे में काफी सुन रखा है। उनकी ख्याति भ्रष्ट पुलिस वालों को जेल भेजने की है। आज यह भी देखा कि वे पुलिस वालों के प्रति खासे हमदर्द भी हैं। फरियादियों से अत्यधिक सम्मान के साथ बात करते हैं। महिलाओं को माताजी, बेटी, बहनजी कहकर सम्बोधित करते हैं। जांच अधिकारी (आई.ओ.) और फरियादी का आमना-सामना कराते हैं। इससे सत्य बात सामने आ जाती है। बिलकुल ऐसी ही कार्यप्रणाली डॉ. जीके गोस्वामी की रही है। मुझे ऐसा लगा जैसे डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के रूप में डॉ. जीके गोस्वामी बैठे हुए हैं।

छह जनवरी, 2022 को प्रातः 10.45 बजे मैंने आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के सीयूजी नम्बर फोन किया। पीआरओ ने फोन उठाया। मैंने पूछा कि डॉक्टर साहब से क्या भेंट हो सकती है। पीआरओ कहा कि पुलिस लाइन में हैं, आ जाइए। मैं पहले अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) राजीव कृष्ण के पास गया। वे पिछले दो साल से आगरा में हैं। एक बार ही मिल पाया। उनसे दो दिन पहले फोन पर बात हुई थी। उलाहना दिया कि दो साल से आगरा में हूं, आप कहां हैं। उनसे तत्काल भेंट हो गई। उनके पीआरओ सुलभ सरन ने हरित चाय पिलाई। भीषण सर्दी में थोड़ी राहत मिली। 12 बज गए। मैं पुलिस लाइन पहुंचा। वहां सी न्यूज के विनोद जूनियर मिल गए। वे भी पुलिस कमिश्नर से मिलने आए थे। उनके साथ कैमरामैन भी थी।

हम तीनों पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के सामने फरियादियों के बीच जाकर बैठ
गए। मैं यह जानने का इच्छुक था कि डॉ. प्रीतिन्दर सिंह समस्याओं का समाधान किस तरह से करते हैं। मेरे मन में उनकी छवि खतरनाक अधिकारी के रूप में थी। कार्यालय में जब उनका फरियादियों के प्रति सम्मानजनक और मृदुल व्यवहार देखा तो आश्चर्यचिकत रह गया। उदाहरण के लिए एक विद्यार्थी आया। उसने प्रार्थनापत्र दिया कि मोबाइल कहीं गिर गया है, जिसे ढुँढवाया जाए। डॉ. प्रीतिन्दर सिंह ने शाबासी कि तुम तो बहुत अच्छे हो कि मोबाइल को चोरी या लूट में नहीं दिखाया है।

विदेश से एनआआरई आए। उनकी सवा करोड़ की खेती भाइयों ने ही धोखाधड़ी करके बेच दी। मेल किए लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। वे हृदय रोगी भी हैं। उन्हें बाकायदा कुर्सी पर बैठाया। एत्मादपुर के डीसीपी को जांच का आदेश दिया। उनका नम्बर भी दिया। डीसीपी को फोन पर भी अवगत कराया। एनआरआई एत्मादपुर पुलिस की कार्यप्रणाली से खफा थे। पुलिस कमिश्नर से मिलने के बाद मुस्कराते हुए गए। एक युवा की बाइक कोतवाली में लावारिस में जमा है। एक माह से चक्कर लगा रहा है। उसकी बात सुनकर कोतवाली फोन किया और तत्काल बाइक छोड़ने का आदेश दिया। युवक से यह भी कहा कि कोई समस्या आए तो मुझे बताना।

dr gk goswami IPS
dr gk goswami IPS

पुलिस के एक सिपाही की पत्नी गर्भवती है। उसे दो घंटे के अंदर बासौनी बुलाया जा रहा था। पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिन्दर सिंह के समक्ष पेश हुआ। उसने कहा कि वह कोर्ट का काम करना चाहता है। पुलिस कमिश्नर ने पीआरओ को बुलाया और तैनाती का निर्देश दिया। बिचपुरी पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस का सिपाही मेंटीनेंस से बचने के लिए हर बार कोर्ट में गलत रिपोर्ट भेज देता है कि पत्नी के साथ ही रहता हूँ। डॉ. प्रीतिन्दर सिंह ने आर.आई. को  बुलाकर निर्देश दिया कि सही रिपोर्ट भेजें। जीआरपी से स्थानांतरित होकर आए एक सिपाही ने ट्रैफिक में तैनाती की मांग की, जिसे पूरा किया गया।

जगदीशपुरा की एक बच्ची ने शिकायत की कि पिता शराब पीकर पीटते हैं। पीआरओ से कहा कि आज ही स्वयं जाकर देखें। फतेहपुर सीकरी के एक मामले में आज ही गिरफ्तारी का निर्देश दिया। मकान खाली कराने का दबाव बनाने की शिकायत लेकर एक बुजुर्ग महिला आई। उनसे कहा कि कोई मकान खाली नहीं करा पाएगा। उधार के पैसे के बदले जमीन लिखवाने और पैसे न देने के शिकायत आई। कई मामलों में जांच अधिकारी और फरियादी को बुलाकर आमना-सामना कराया ताकि झूठ-सच का पता चल सके।

एक ई रिक्शा वाले का चालान 12 हजार रुपये का हुआ है। उसकी समस्या का समाधान करने का प्रयास किया लेकिन मुश्किल यह है कि पुलिस अपने स्तर पर कुछ कर नहीं सकती है। कोर्ट से ही राहत मिलेगी। ई रिक्शा वाले को हिदायत दी गई कि वह एमजी रोड पर न चले। डीसीपी यातायात के पास भेजा कि कैसे भी राहत दिलाएं।

सुनवाई के दौरान ही हिन्दुस्तान के क्राइम रिपोर्टर विशाल शर्मा और अमर उजाला के क्राइम रिपोर्टर अनुज शर्मा आ गए। उनसे हाय-हैलो हुई लेकिन फरियादियों को सुनना बंद नहीं हुआ। अंतिम फरियादी को सुनने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की। मेरी ओर देखकर कहा कि आप बताएं। मैंने उन्हें अपना परिचय दिया। फिर कहा कि आपकी तरह ही डॉ. जीके गोस्वामी की कार्यप्रणाली थी। बहुत शानदार तरीके से फरियादियों को संतुष्ट करते थे। इस पर पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिन्दर सिंह ने कहा कि मैंने गोस्वामी सर से ही सीखा है।

पुलिस कमिश्नर कार्यालय में प्रत्येक फरियादी को लाल रंग की पर्ची दी जाती है। सबकी सुनवाई निर्धारित नम्बर पर होती है। सबको पुलिस कमिश्नर के सामने बैठने के लिए कुर्सी दी जाती है। अगर कोई इमरजेंसी है तो उसकी सुनवाई तत्काल भी होती है। मैंने एक बात और देखी कि इस दौरान पुलिस कमिश्नर कोई फोन नहीं उठाते हैं। किसी संदेश का प्रत्युत्तर भी नहीं देते हैं। करीब सवा घंटा के दौरान उन्होंने सिर्फ एक फोन उठाया और कहा कि अभी लोगों के बीच हूँ, बाद में फोन करना। इस दौरान फोन होते हैं तो सिर्फ फरियादियों से संबंधित। कभी सीधे थानेदार को तो कभी डीसीपी और एसीपी को। वे समझ जाते थे कि पुलिस वाला घुमा रहा है या फरियादी। दो महिला सिपाही फरियादियों की मदद के लिए तत्पर रहती हैं। उन्हें भी सद्व्यवहारी बनाया गया है। वैसे सब जानते हैं कि आमतौर पर पुलिस वालों का व्यवहार प्रेमपूर्ण नहीं होता है।

मुझे ऐसा महसूस हुआ कि अगर कोई पुलिस वाला तंग कर रहा है, आपकी बात नहीं सुन रहा है, परेशान कर रहा है, रिश्वत की मांग कर रहा है तो पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिन्दर सिंह से मिलिए। इसके लिए किसी जनप्रतिनिधि या नेताजी से सिफारिश की जरूरत नहीं है। काश, सभी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी डॉ.प्रीतिन्दर सिंह की तरह जनता की बात सुनें तो पुलिस की चहुँ ओर जय-जयकार होगी।

हो सकता है यह सब पढ़कर आपको लगे कि पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिन्दर सिंह की चमचागीरी कर रहा हूँ तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अच्छे काम को अच्छा हम नहीं लिखेंगे तो क्या विदेशी लिखेंगे।

Dr. Bhanu Pratap Singh