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5th Global Taj International Film Festival में फिल्म गोदान ने चौंकाया, प्रकट हुए होरी और धनिया, ‘औरत की जंग’ फिल्म बनेगी, आगरा में होगी शूटिंग

ENTERTAINMENT

कलाकारों से हुए सवाल जवाब, नजीर अकबराबादी की ककड़ी याद आई

आदमी को इतना भी सीधा नहीं होना चाहिए कि कुत्ता मुंह चाटने लगे

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. आपने मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास गोदान अवश्य पढ़ा होगा। वही होरी, धनिया, गोबर, झुनिया, भोला इसके मुख्य पात्र हैं। गोदान फिल्म का प्रदर्शन 5वें ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ। लोग सांस थामकर फिलम देखते रहे। 87 साल पूर्व लिखे गए उपन्यास को पर्दे पर जीवंत होते देख लोग अश्रु बहाते रहे। उस समय किसानों की स्थिति कितनी विकराल थी। फिल्म के शानदार और जबर्दस्त अभिनय, फिल्मांकन, संवाद शैली, निर्देशन ने सबको चौंकाया। उस समय तो खुशी का पारावार न रहा जब मंच पर होरी और धनिया प्रकट हुए।

5वां ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में चल रहा है। दूसरे दिन लखनऊ के कलाकारों द्वारा अभिनीत गोदान फिल्म का प्रदर्शन हुआ। हालांकि देखने वाले कम थे लेकिन जो नहीं देख पाए, उनका दुर्भाग्य ही है। ऐसी फिल्में बार-बार देखने को नहीं मिलती हैं। गोदान पर पहले भी बहुत सी फिल्में बनी हैं, बड़े कलाकारों ने अभिनय किया है, लेकिन आगरा में जो दिखाई गई, वह अद्भुत है।

समय के साथ सिनेमा बदल रहा है। चकाचौंध वाली फिल्मों के साथ ग्राम्य जीवन पर आधारित फिल्में भी पसंद की जा रही हैं। इसकी मिसाल 5वें ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में देखने को मिली। जब गोदान फिल्म दिखाई जा रही थी तो पिन ड्रॉप साइलेंस रही। इस फिल्म में होरी को दब्बू तो धनिया को संघर्षशील, जुझारू और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली नारी के तौर पर दिखाया गया है। फिल्म की सफलता को देखते हुए गोदान के अगले भाग के रूप में औरत की जंग फिल्म बनाने की घोषणा की गई। इसकी शूटिंग आगरा में होगी। आगरा के कलाकारों को मौका दिया जाएगा।

फिल्म के नायक होरी और धनिया मंच पर आए। सबने करतल ध्वनि के साथ अभिवादन किया। होरी ने अपनी बात नजीर अकबराबादी की आगरे की ककड़ी की दो पंक्तियों के साथ कही-

क्या खू़ब नर्मो नाजुक, इस आगरे की ककड़ी।
और जिसमें ख़ास काफ़िर, इस्कन्दरे की ककड़ी।

इसकी प्रथम चार पंक्तियां इस प्रकार हैं-

पहुंचे न इसको हरगिज काबुल दरे की ककड़ी।
ने पूरब और ने पच्छिम, खू़बी भरे की ककड़ी।
ने चीन के परे की और ने बरे की ककड़ी।
दक्खिन की और न हरगिज, उससे परे की ककड़ी।

फिर सवाल-जवाब का दौर चला। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने फिल्म पर हुए व्यय के बारे में पूछा तो होरी ने जवाब मिला कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कितना खर्च है। अभिनय के बारे में पूछने पर कहा कि हम थिएटर के लोग हैं। लम्बी यात्रा है। फिल्म की शुरुआत साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद से की है। किसी ने कहा कि आगरा में प्रोडक्शन हाउस बनना चाहिए। रावतपाड़ा और किनारी बाजार पैसे से भरा पड़ा है, उसे फिल्म में लगाया जाए। संपादक विजय गोयल ने पूछा कि आगे का कार्यक्रम क्या है। रेल परामर्शदात्री समिति के सदस्य राकेश अवस्थी (राकेश भैया) तो इतने भावुक हो गए कि धनिया के पैर छूने लगे। उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश फिल्म नीति के तहत जो अनुदान दिया जाता है, उससे 28 फीसदी जीएसटी तत्काल हटाया जाए।

गोदान के बारे में लोगों के विचार जानकर फिल्म फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी काफी भावुक हो गए। उन्होंने आशा जताई कि अगला फिल्म फेस्टिवल कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि फिल्म बनाना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। फिल्म में अभिनय, लेखन, संगीत, कविता, कहानी सबका समावेश होता है।

धनिया से सवाल किया गया कि क्या वे वास्तविक जीवन में भी लड़ाकू हैं तो उन्होंने कहा कि धनिया अपने पति होरी को समझाती है। आदमी को इतना सीधा भी नहीं होना चाहिए कि कुत्ता मुंह चाटने लग जाए। धनिया अपने पति को समझाती है, जो नहीं समझते हैं, उनका हश्र होरी जैसा होता है। यूनिवर्सिटी सूरज तिवारी के हाथ मजबूत करे ताकि कलाकारों का उत्साह बढ़े। दूसरी मूवी औरत की जंग के लिए आप सबका सहयोग चाहेंगे। फिल्मों के माध्यम से हम अपने बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में पता रहे हैं। संस्कृति की बात चली तो सूरज तिवारी ने कहा कि संस्कृति की दुहाई देने वालों के बच्चे पीटर्स में पढ़ते हैं। संचालन प्रसिद्ध मंच संचालक दीपक जैन ने किया।

 

सोते और मरते आगरा में 5वां ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा- शुरू करेंगे फिल्म लेखन का कोर्स, आयोजक सूरज तिवारी ने यूपी फिल्म नीति की धज्जियां उड़ा दीं

 

Dr. Bhanu Pratap Singh