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मड थेरेपी से भी Taj Mahal को नुकसान, वर्ष 2007 से 10 बार क्लेपेक ट्रीटमेंट पर 1.74 करोड़ रुपये खर्च, आखिर कब तक होता रहेगा ये काम

EXCLUSIVE

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. ताजमहल के मार्बल सतह के विभिन्न भागों पर वर्ष 2007-08 से वर्ष 2022-23 के मध्य 10 बार क्लेपेक ट्रीटमेंट (मड थेरेपी)  1,74,10,242 रुपये के खर्चे पर हो चुकी है। इस बात का खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की आगरा विज्ञान शाखा द्वारा 08 फरवरी को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है जो कि वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को भेजी गयी है।

ताज महल की मार्बल सतहों पर बार-बार मड थेरेपी का किया जाना आखिर क्या दिखाता है ? ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी बन जाने और वायु प्रदूषण को रोकने के सारे दावे कागजी ही हैं। वास्तविकता यह है कि ताज महल की दीवारों पर कार्बन व अन्य गन्दगी के कण जम जाते हैं जिन्हें मड थेरेपी के द्वारा साफ किया जाना पिछले 17-18 वर्षों से जरूरी समझा जाता है।

क्या है मड थेरेपी

उपलब्ध करायी गयी सूचना में मड थेरेपी के सम्बन्ध में इस प्रकार अवगत कराया कि क्ले को डिसटिल्ड वॉटर में घोलकर गाढ़ा लेप (पेस्ट) तैयार किया जाता है। इस पेस्ट को कुछ समय के लिए रखा जाता है ताकि यह अच्छी तहर से तैयार हो जाये। इसमें बहुत ही माइल्ड सॉल्ट ;1.2 एवं आवश्यकतानुसार पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अवशेष मात्रा में उपयुक्त कार्बनिक रसायन मिलाया जाता है। इस पेस्ट को मार्बल सतह पर ब्रश की सहायता से लगाया जाता है और पॉलीथिन शीट से ढक दिया जाता है और लगभग 48 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मार्बल सतह पर जमा हानिकारक एसीडिक जमा पदार्थों को क्ले द्वारा अवशोषित/अधिशोषित हो जाते हैं। पूरी तरह सूख जाने पर यह क्ले स्वतः ही निकलने लगता है। बचे हुए क्ले को ब्रश द्वारा साफ कर दिया जाता है और अंत में डिसटिल्ड वॉटर द्वारा साफ कर दिया जाता है।

ताजमहल
ताजमहल

सूचना में मड थेरेपी को बताया सुरक्षित

उपलब्ध करायी गयी सूचना में बताया गया कि ताजमहल के निर्माण में मुख्य रूप से मार्बल का प्रयोग किया गया है। मार्बल सतह पर मड थेरेपी के सम्बन्ध में समय समय पर स्थल पर अध्ययन किया गया और उसी के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि मड थेरेपी एक सुरक्षित प्रक्रिया है क्योंकि इसमें कोई भी हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है। साथ ही मड थेरेपी और इससे सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र उपलबध हैं, जिसमें इस तकनीक को सुरक्षित एवं प्रभावकारी बताया गया है। जो क्ले मड थेरेपी के लिए प्रयोग किया जाता है उसका पीएच बहुत ही हल्का क्षारीय है, जो कि मार्बल सतह के लिए सुरक्षित है। मार्बल सतह का क्ले पैक ट्रीटमेंट सामान्यतः 8-10 वर्ष के अंतराल से किया जाता है।

सात वर्ष से लगातार काम

अगली बार ताज महल की कब मड थेरेपी होगी उस सम्बन्ध में सूचना में बताया कि निकट भविष्य में प्रस्तावित करने का निर्णय उच्च अधिकारियों से आदेश/निर्देश के उपरांत लिया जाएगा। मड थेरेपी पर हुये व्यय का विवरण भी सूचना में उपलब्ध कराया गया है जिसके अनुसार वर्ष 2007-08, 2008-09 के उपरांत वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2020-21, 2021-22 व 2022-23 में मड थेरेपी से ताजमहल की दीवारों की सफाई की गयी।

क्या मड थेरेपी वास्तव में सुरक्षित है?

जहां इस उपलब्ध करायी गयी सूचना में मड थेरेपी को एक सुरक्षित प्रक्रिया बताया गया है क्योंकि इसमें कोई भी हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है लेकिन अधिवक्ता जैन द्वारा बताया गया कि ए0एस0आई आगरा की विज्ञान शाखा के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्व रसायनज्ञ डॉ0 एम0के0 भटनागर द्वारा वर्ष 2017 में ताजमहल के सम्बन्ध में ससपेन्डड पर्टिकुलेट मेटर के प्रारम्भिक अध्ययन में यह लिखा था किः

”यह मिट्टी का पैक उपचार बार-बार करने के लिए संभावना नहीं है क्योंकि यह संभावना है कि मार्बल सतह की स्थिरता को थोड़ी सी प्रकार में प्रभावित कर सकता है और यहां तक कि राष्ट्र की पर्यटन गतिविधियों के कारण, निरंतर कार्यान्वयन की एक छोटी सी विधि का हिस्सा बनने के लिए स्कैफफोल्डिंग का स्थापन किया जा रहा है, जो एक समय सीमित हस्तांतरण का हिस्सा बन जाएगा। इसलिए, ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि प्रदूषण भार को कम करने के लिए विभिन्न निर्देशों को कड़ी मेहनत और समर्पण से कार्यान्वित किया जाए, जो समय-समय पर अधिकतम अदालत द्वारा जारी किए गए हैं।“

वर्ष 2017 के किये गये अध्ययन के प्रकाश में अधिवक्ता जैन ने मांग की कि ताजमहल की दीवारों पर पुनः-पुनः मड थेरेपी किया जाना सुरक्षित नहीं होगा और ताजमहल के लिये वायु गुणवत्ता का सुधार आवश्यक है। आईआईटी कानपुर ने ताजमहल के प्रदूषणकारी तत्वों के अध्ययन में यह भी सिफारिश की है कि यमुना नदी में पानी रहना चाहिए ताकि 10-50 पीएम के कण ताजमहल की दीवारों को खराब न करें। इसके लिए यमुना में बैराज होना और यमुना की सफाई की मांग भी आवश्यक है।

ताज की दृश्यता को बाधित करती है मड थेरेपी की स्केपहोल्डिंग

जब भी ताजमहल की दीवारों, मीनारों या गुम्बद पर मड थेरेपी की जाती है तो उसके लिए स्केपहोल्डिंग लगानी होती है जो ताजमहल की दृश्यता को प्रभावित करती है और पर्यटक ताज के अप्रतिम सौंदर्य को भी नहीं देख पाते हैं।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh