Firozabad (Uttar Pradesh, India)। लॉक डाउन ने लोगों को गहरे दर्द दिए हैं। कमाई पूंजी इन दिनों में समाप्त होती जा रही है। बाहर रहने वाले लोग पैदल चलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक अपने घरों को पहुंच रहे हैं। पैरों में छाले, पेट में भूख की तड़प और प्यास से गला सूख रहा था, इसके बाद भी घर पहुंचने की जिद के आगे ‘दर्द’ भी बेअसर था।
होटल में करते हैं काम
गुरूग्राम के एक होटल में काम करने वाले शिकोहाबाद निवासी रिंकू ने बताया कि वह खाना बनाने का काम करता है। 24 मार्च के बाद से ही वह बेरोजगार हो गए। होटल बंद होने के कारण कमाई पूंजी से काम चला रहे थे। घर जाने की योजना नहीं थी लेकिन लाॅक डाउन की अवधि बढ़ जाने के बाद उनके पास कोई काम नहीं रहा। नौबत भूखों मरने की आ गई। मरता क्या न करता, पैदल ही घर पहुंचने का मन बना लिया और पैदल ही साथियों के साथ घर के लिए निकल पड़े।
शादियों में लगाते हैं तंदूर
दिनेश ने बताया कि वह नोएडा में रहकर शादी समारोह में तंदूर लगाते हैं। अप्रैल माह में सहालग था लेकिन लाॅक डाउन की वजह से सब काम फेल हो गया। कई दिन तक ठेकेदार ने खाना खिलाया लेकिन बाद में उसने भी मना कर दिया। सोमवार से लगातार पैदल चलकर वह यहां तक पहुंचे हैं। बीच—बीच में पुलिस ने वाहनों में भी बिठाया जिससे सफर आसान हो गया। इटावा के विधूना निवासी सूरज और सचिन ने बताया कि वह दोनों गुरुग्राम में हलवाई के साथ हेल्परी का काम करते हैं। विगत तीन साल से वहीं रह रहे थे। लाॅक डाउन के कारण काम मिलना बंद हो गया। भूख से मरने की नौबत आ गई। तब उन्होंने मन में ठाना कि कुछ भी हो जाए वह पैदल ही घर पहुंचेंगे। दो दिन से कुछ भी खाने को नहीं मिला। गर्मी होने के कारण वह प्यास से भी व्याकुल हो रहे थे। सभी युवक पसीने से तरबतर थे लेकिन फिर भी कदम आगे की ओर ही बढ़ रहे थे। सभी को घर पहुंचने की जल्दी थी।
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