स्मोकिंग से कहीं ज्यादा घातक है गलत खानपान

स्मोकिंग से कहीं ज्यादा घातक है गलत खानपान

HEALTH


स्मोकिंग की वजह से बढ़ती बीमारियों और मौत के आंकड़े को देखें तो सेहत के लिए स्मोकिंग से कहीं ज्यादा घातक है गलत खानपान और खराब डायट, लिहाजा फिट और हेल्दी रहना चाहते हैं तो अपने खाने-पीने पर पूरा ध्यान दें।
हमारी बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान की गलत आदतों की वजह से खराब आहार हमारे स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान से भी ज्यादा घातक साबित हो रहा है इसलिए यह जरूरी है कि लोग जंक फूड से बचें और प्लांट बेस्ट आहार को अपनी डायट का हिस्सा बनाएं।
खराब आहार के कारण होती हैं 20 प्रतिशत मौतें
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज स्टडी के वर्ष 2017 के आंकड़े के मुताबिक, विश्व में 20 प्रतिशत मौतें खराब आहार के कारण होती हैं। ऐसा देखा गया है कि तनावपूर्ण वातावरण लोगों को चटपटा, मसालेदार और जंक फूड आदि खाने के लिए प्रेरित करता है। इस आदत ने पौष्टिक भोजन की परिभाषा को बिगाड़ दिया है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि स्वस्थ आहार का मतलब व्यक्ति के वर्तमान वजन के 30 गुना के बराबर कैलरी का उपभोग करना ही नहीं है। स्थूल और सूक्ष्म पोषक तत्वों का सही संतुलन भी उतना ही आवश्यक है।
खाने में 7 रंग और 6 स्वाद को जरूर करें शामिल
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल का कहना है, ‘हमारे प्राचीन अनुष्ठानों और परंपराओं ने हमें आहार की समस्याओं के बारे में बताया है और साथ ही हमें मॉडरेशन में कई तरह के भोजन खाने चाहिए। भोजन में सात रंगों- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, बैंगनी, सफेद और 6 स्वाद- मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा, चटपटा और कसैला को शामिल करना चाहिए। भोजन चक्र में उपवास भी जरूरी है। हालांकि, इसका मतलब कुछ भी नहीं खाना नहीं है, बल्कि कुछ चीजों को छोड़ना है।’
हर कौर को कम से कम 15 बार जरूर चबाएं
किसी व्यक्ति ने कुछ खाया है तो मस्तिष्क को यह संकेत केवल 20 मिनट बाद मिलता है। इसके लिए प्रत्येक कौर (bite) को कम से कम 15 बार चबाना चाहिए। यह न केवल एंजाइमों के लिए पर्याप्त हॉर्मोन प्रदान करता है, बल्कि मस्तिष्क को संकेत भी भेजता है इसलिए हर बार भोजन करते वक्त कम से कम 20 मिनट का समय अवश्य लगना चाहिए।
पेट भरने की बजाए आकार को भरना चाहिए
डॉ. अग्रवाल आगे कहते हैं, ‘स्वाद कलिकाएं यानी टेस्ट बेड्स केवल जीभ के सिरे और किनारे पर होती हैं। यदि आप भोजन को निगल लेते हैं, तो मस्तिष्क को खाने का संकेत नहीं मिलेगा। छोटे टुकड़ों को खाने और उन्हें ठीक से चबाने से ही स्वाद कलिकाओं के माध्यम से ब्रेन को संकेत मिलता है। पेट की परिपूर्णता या फुलनेस का आकार तय करता है कि कोई कितना खा सकता है। मस्तिष्क को संकेत तभी मिलता है जब पेट 100 प्रतिशत भरा हो। इसलिए, आपको पेट भरने की बजाय उसके आकार को भरना चाहिए। इसके अलावा, अगर आप कम खाते हैं तो समय के साथ पेट का आकार सिकुड़ जाएगा।’
खाने में इन बातों का रखें ध्यान
– कम खाएं और धीरे-धीरे खाकर अपने भोजन का आनंद लें।
– अपनी थाली को फल और सब्जियों से भरें।
– आहार में अनाज का कम से कम आधा भाग साबुत अनाज होना चाहिए।
– ट्रांस फैट और चीनी की अधिकता वाले भोजन से बचें।
– स्वस्थ वसा चुनें। वसा रहित या कम वसा वाले दूध और डेयरी उत्पादों का उपयोग करें।
– खूब पानी पिएं। शर्करा युक्त पेय से बचें।
– उन खाद्य पदार्थों से बचें, जिनमें सोडियम का उच्च स्तर होता है, जैसे स्नैक्स, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh