20 साल पहले पंजाब के सरहिन्द में राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज ने उजागर किया रहस्य
हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university) रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami) नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 5 अप्रैल 2000 को रेड रोड,रिजोर्ट्स, आसमखास बाग, सरहिन्द, जिला फतेहगढ़ साहिब (पंजाब, भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- सब दुखी हैं और दुख का मूल कारण यही है कि आप लोग अपने आपे में नहीं रह पाते हैं। मैं यह चाहता हूं कि अपने आपे में रहना सीखिए। दूसरे को भी अपना समझिए और कुसंग को छोड़िए।
हसन्दिया, खिलन्दिया, खवन्दिया, पिवन्दिया
मैं यहां प्रेम और शांति का संदेश लेकर आप लोगों को सचेत करने आया हूं कि अपने गुरु साहब के आदेश के अनुसार करनी कीजिए और करनी के लिए मैं सिर्फ दो बातें कहना चाहता हूं एक तो भक्ति
पूरा सतगुरु पाइया
पूरी पाई जुक्त
हसन्दिया, खिलन्दिया, खवन्दिया, पिवन्दिया
बिच्चों पाई मुक्त
मादक पदार्थों और मांसाहार को छोड़िए
ऐसी भक्ति कि जिसमें न रोजगार छोड़ना पड़े और दुनिया छोड़नी पड़े। एक घंटा अंतर में नाम का सुमिरन और पोती का पाठ कीजिए। उन सब मादक पदार्थों और मांसाहार को छोड़िए जो कि मस्तिष्क के संतुलन को बिगाड़ते हैं। आप मांस मदिरा का सेवन करते हैं लेकिन हुक्के से परहेज करते हैं। मांस मदिरा के सेवन के लिए कहां हुक्म है। पंजाब तो दूध का देश है। गंदी चीजों का सेवन कहां से आ गया। उनके प्रयोग से आप परमार्थ कमाने के काबिल नहीं रह जाएंगे, अभ्यास तो बहुत दूर की चीज है। आपसे सहज में दुनिया का काम भी ठीक से नहीं बन सकता। इसीलिए परिवारों में आजकल तनाव फैला हुआ है। सब दुखी हैं और दुख का मूल कारण यही है कि आप लोग अपने आपे में नहीं रह पाते हैं। मैं यह चाहता हूं कि अपने आपे में रहना सीखिए। दूसरे को भी अपना समझिए और कुसंग को छोड़िए।
राधास्वामी मत के मौलिक सिद्धांतों को समझने की कोशिश कीजिए
मुझे यह कहना है कि राधास्वामी मत के मौलिक सिद्धांतों को समझने की कोशिश कीजिए। राधास्वामी मत की स्थापना आधुनिक काल में प्रेम की सबसे बड़ी क्रांति है। यह क्रांति उस समय हुई जब धर्म के नाम पर फैल संकीर्णता फैल गई थी। सबने अच्छे काम छोड़ दिए थे और पाप कर्मों में उलझ गए थे। 19वीं शताब्दी में एक पुनर्जागरण हुआ, जिसमें आर्य समाज, बंगाल में राजा राममोहन राय का चलाया हुआ ब्रह्म समाज, रामकृष्ण मिशन की स्थापना हुई। अनेक प्रकार के धार्मिक उत्थान हुए, जिनका उद्देश्य भारतीय समाज को सुधारना, सामाजिक एकता के सूत्र में बांधना तथा समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करना था। उसी समय कुल मालिक राधास्वामी दयाल ने ठीक अवसर देखकर सुरत को चेताने के लिए अवतार धारण किया-
सुरत तू चेत री, अब सावन आया।
गगन चढ़ झांक री, गुरु खेल दिखाया।।
जहां पड़ा हिंडोला, नाम का डोर बंधाया।
सखी सहेली संग ले, जग काम ना आया।।
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