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गुरु साहब ने सिखों को खड्ग क्यों दी, पढ़िए क्या कहते हैं राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

पंजाब में धार्मिकता तो बहुत है लेकिन यहां के लोग दिशाहीन हो रहे हैं

हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 5 अप्रैल 2000 को रेड रोड,रिजोर्ट्स, आसमखास बाग, सरहिन्द, जिला फतेहगढ़ साहिब (पंजाब, भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- पंजाब में धार्मिकता तो बहुत है लेकिन यहां के लोग दिशाहीन हो रहे हैं। सही दिशा यह है कि यहां पर जो शब्द की खोज की गई है उसी शब्द की खोज में लगो।

वास्तविक संघर्ष किससे
सिख पंथ तो इसलिए बनाया गया था कि औरंगजेब का आतंक बहुत फैला हुआ था और उससे खतरा हमारे धर्म और अध्यात्म को हो रहा था। इसलिए गुरु गोविंद ने कहा था कि मुझको हर घर से एक बच्चा चाहिए जो हथियार उठा सके, जो अनुशासन में रह सके ताकि धर्म की रक्षा हो सके, हमारी संस्कृति बची रहे और इतनी पुरानी परंपरा व्यवस्थित रह सके। अंतर में तो उसका मतलब यह था कि जब तुम यहां पर धर्म की रक्षा कर लोगे या यवनों के दूषित वातावरण से अपने आपको बचा सकोगे तब तुम्हें वास्तविक तौर पर उन दूतों से संघर्ष करना है जो तुम्हारे घट में मौजूद हैं।

संप्रदायवाद से खतरा अधिक

असल में गुरु साहब का खड्ग देने का उद्देश्य यही था कि तुम उस नाम की खड्ग से काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार पर वार करो लेकिन बाद में एक संगठन खड़ा हो गया और एक संप्रदाय बन गया। इस संप्रदायवाद ने जितना खतरा पहुंचाया है उतना किसी ने नहीं। आप लोग वास्तविक तौर पर अपने विरोधियों को समझ नहीं पाते हैं कि वह कौन हैं। मैं यहां सचेत करना चाहता हूं कि गुरु नानक का मत, गुरु गोविंद सिंह का उपदेश शांति व प्रेम का संदेश देता है। धर्म की मान्यता रखता है और इन सबसे बढ़कर सुरत-शब्द-योग करने का आदेश देता है।

पंजाब के लोग भाग्यशाली

हमारे देश में प्रादेशिक और भाषाई संकीर्णता इस कदर आ गई है कि हर आदमी अपनी बोली, संस्कृति सभ्यता और अपने रंग में विश्वास करता है जैसे भारतीयता तो कुछ है ही नहीं। मैं पंजाब के लोगों से खासतौर से कहना चाहता हूं कि आप की संस्कृति सभ्यता माटी और पानी में एकता के सूत्र नजर आते हैं। आप देश का नेतृत्व करते रहे हैं और करते रहिए क्योंकि आपकी भूमि में गुरु नानक देव जैसे संत प्रगट हुए। आप भाग्यशाली हैं।

सचेत करने आया हूं

पंजाब में धार्मिकता तो बहुत है लेकिन यहां के लोग दिशाहीन हो रहे हैं। सही दिशा यह है कि यहां पर जो शब्द की खोज की गई है उसी शब्द की खोज में लगो। उसके लिए बैठकर थोड़ी देर स्वाध्याय और चिंतन करना चाहिए। मैं यहां प्रेम और शांति का संदेश लेकर आप लोगों को सचेत करने के लिए आया हूं। (क्रमशः)