कोलकाता। पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में भाजपा ने चुनाव में 650 सीटों पर मुस्लिमों का उम्मीदवार बनाया है और अच्छे चुनाव परिणाम की आशा कर रही है.
बीजेपी ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 650 अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारे हैं. भाजपा का दावा है कि यह संख्या और ज्यादा होती, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के डर के कारण ऐसा नहीं हुआ. कई लोग चाहकर भी खड़े नहीं हो सके.
उम्मीदवारों की संख्या में युवाओं और महिलाओं की संख्या काफी अधिक है. उससे बंगाल के बीजेपी नेता खुश हैं. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष चार्ल्स नंदी ने कहा, ”अल्पसंख्यकों ने बीजेपी से मुंह नहीं मोड़ा है. यह हमारे लिए बहुत बड़ी उम्मीद है. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या और बढ़ेगी.
भाजपा से अल्पसंख्यकों का डर हुआ है कम
उन्होंने साफ तौर पर दावा किया कि अल्पसंख्यकों के मन से बीजेपी का डर खत्म हो रहा है. वह साफ कहते हैं, ”अल्पसंख्यकों को ज्यादा दिनों तक गुमराह नहीं किया जा सकता है.”
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक मुर्शिदाबाद में बीजेपी के अल्पसंख्यक उम्मीदवार सबसे ज्यादा हैं. बीरभूम भी पीछे नहीं है. संयोग से कुछ दिन पहले बीजेपी के नेताओं को समाज के अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों से जनसंपर्क का निर्देश दिया गया है.
तब कई अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं को राज्य के विभिन्न हिस्सों में तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ते देखा गया था. बीजेपी नेता शमिक भट्टाचार्य कहते हैं, ”संगठन बढ़ रहा है. इस बार अल्पसंख्यक गलतफहमी छोड़कर भाजपा के पास आ रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि वोट की खातिर दूसरी पार्टियां उनका इस्तेमाल करती हैं. लेकिन, बीजेपी का लक्ष्य अल्पसंख्यकों का विकास है. वहीं, बीजेपी ने पंचायत चुनाव में 64 फीसदी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 2018 के पंचायत चुनाव में यह 46 फीसदी था. अब देखते हैं कि वोट का नतीजा क्या कहता है.
मिथुन चक्रवर्ती ने मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की वकालत की थी
कुछ दिन पहले अभिनेता सह नेता मिथुन चक्रवर्ती जब बंगाल आए थे. उन्होंने कहा था कि बीजेपी कभी भी मुसलमानों की विरोधी नहीं रही है. मैं यह बात मुस्लिम भाइयों और बहनों तक पहुंचाना चाहता हूं.
अपनी बात रखते हुए उन्होंने गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी की जीत का मुद्दा भी उठाया था. मिथुन चक्रवर्ती ने दावा किया कि बीजेपी इतनी सीटें इसलिए जीत पाई क्योंकि मुसलमानों ने वोट दिया.
उन्होंने आगे दावा किया कि मुसलमानों से इतने लंबे समय तक झूठ बोला गया, लेकिन अब उनका भ्रम टूट रहा है, लेकिन क्या वाकई राज्य के अल्पसंख्यक भाजपा पर भरोसा करने लगे हैं? पंचायत चुनाव 2023 में कई अल्पसंख्यक उम्मीदवारों का जिक्र कर बंगाल बीजेपी नेता यही कहना चाहते हैं, लेकिन चुनाव परिणाम से ही सही तस्वीर साफ होगी.
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