Aligarh (Uttar Pradesh, India) । मंगलायतन विश्वविद्यालय और गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का विषय “नॉन वायलेंट कम्युनिकेशन एलिमेंट्स एंड ऍप्लिकेशन्स” रहा। इसमें मुख्य वक्ता मंविवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन और डायरेक्टर प्रो.शिवाजी सरकार तथा गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की ओर से कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वेदाभ्यास कुंडू थे।
गांधी जी में लोगों को जोड़ने की खूबी थी
सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. शिवाजी सरकार ने महात्मा गांधी की अहिंसात्मक विचार धारा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अहिंसात्मक विचार धारा हमारे मतभेदों का समाधान करने में काफी मददगार होती है।उन्होंने कहा कि गांधी जी ने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी विचारों से पूरे विश्व की सोच बदल दी। साथ ही उन्होंने कहा कि सभी को गांधी जी को समझने की जरुरत है। उनमें लोगों को जोड़ने की खूबी थी। संयमित वाणी से तमाम संघात दूर किए जा सकते हैं। प्रो. सरकार ने कहा कि गांधी जी ने अंग्रेजों से विरोध को प्रकट करने के लिए सत्याग्रह को अपना प्रमुख अस्त्र बनाया। सत्य, अहिंसा रूपी अस्त्रों के सामने अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।
महात्मा गांधी के अहिंसा के पांच स्तंभ
डॉ. वेदाभ्यास कुंडू ने अहिंसक संचार के स्तंभ पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा महात्मा गांधी के अहिंसा के पांच स्तंभ है। पहला आदर करना, दूसरा समझ, तीसरा स्वीकृति, चौथा प्रशंसा व पांचवा दया (दूसरों की चिंता करना) । उन्होंने कहा कि अहिंसक संचार एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति को प्राकृतिक तरीके से जोड़ता है और उनमें एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना पैदा करता है। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत आलोचना की स्थितियों में भी अहिंसक संचार एक महत्वपूर्ण तत्व है, हमें आक्रामक होने से बचना चाहिए।
अहिंसा ही परमो धर्म
वेबिनार में इलाहबाद विश्वविद्यालय, डॉ. सीवी रमन यूनिवर्सिटी, त्रिपुरा यूनिवर्सिटी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश सहित कई विश्वविद्यालयों के छात्रों, स्कॉलरों, शिक्षकों के अलावा देश-विदेश के लोगों ने भाग लिया। संछिप्त पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, सवाल-जवाब भी हुए। सभी का आभार व्यक्त करते हुए संयोजक संयुक्त निदेशक ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट व एफटेल डॉ. धीरज कुमार गर्ग ने अहिंसा ही परमो धर्म श्लोक के मतलब के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कराता रहेगा। उन्होंने बताया कि शामिल सभी लोगों को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे। समन्वयन टीपीओ लव मित्तल ने किया। इस दौरान प्रो. आरके शर्मा, सोनी सिंह आदि उपस्थित थे।
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