वाराणसी: ASI ने कोर्ट में पेश की ज्ञानवापी के साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एएसआई के सर्वे रिपोर्ट पर हर किसी की नजर टिक गई है। अदालत के आदेश पर ASI ने साइंटिफिक सर्वे का काम पूरा कराया गया। सर्वे की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रिपोर्ट देने को लेकर लगातार एएसआई की ओर से समय की मांग की जा रही थी। अब तक चार बार रिपोर्ट जमा किए जाने को लेकर समय की मांग की गई। वाराणसी कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान एएसआई को 18 दिसंबर को सर्वे रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया।

सोमवार को एएसआई की टीम वाराणसी कोर्ट पहुंची। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सर्वे रिपोर्ट को जमा कराया गया है। रिपोर्ट के जमा कराए जाने के साथ ही कोर्ट परिसर में हलचल तेज हो गई। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर श्रृंगार गौरी केस का भविष्य काफी हद तक टिका हुआ है। इसके अलावा मस्जिद पर हिंदू पक्ष के दावों को भी रिपोर्ट से बड़ा बल मिल सकता है। ऐसे में सर्वे रिपोर्ट को जमा किए जाने की सुगबुगाहट के बीच मुस्लिम पक्ष भी एक्टिव हुआ। मुस्लिम पक्ष की ओर से एएसआई की सर्वे रिपोर्ट की मांग की गई है।

एएसआई ने पेश की हजार पन्नों की रिपोर्ट

एएसआई ने जिला कोर्ट में साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट को पेश करने एएसआई के अधिकारी वाराणसी कोर्ट परिसर पहुंचे। उनके आने के साथ ही कोर्ट परिसर में हलचल तेज हो गई। हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में हिंदू प्रतीक चिह्नों के रहने के कारण इसके आदि विश्वेश्वर का मंदिर होने का दावा किया जाता रहा है। इसके बाद साइंटिफिक सर्वे का कार्य पूरा कराया गया। दावा किया जा रहा है कि एएसआई ने करीब हजार पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी है। इस पर लगातार हर पक्ष की नजर बनी हुई है।

रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष ने दायर की याचिका

एएसआई की सर्वे रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से याचिका दायर की गई। इसमें मांग की गई कि सीलबंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट पेश किया जाए। बिना हलफनामा के सर्वे रिपोर्ट नहीं दी जाएगी। मुस्लिम पक्ष ने किसी भी स्थिति में सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने की मांग की है। साथ ही, सर्वे रिपोर्ट को लेकर कई मांग भी की गई।

पिछली तारीख पर खराब हुई थी तबीयत

वाराणसी कोर्ट में पिछली तारीख पर एएसआई के वकील ने अतिरिक्त समय की मांग की थी। वकील ने जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश से कहा था कि एएसआई के सुप्रीटेंडेंट अविनाश मोहंती कोर्ट में उपस्थित होकर रिपोर्ट दाखिल करने में असमर्थ हैं। उनका ब्लड प्रेसर हाई है। कोर्ट ने उनकी अपील पर 18 दिसंबर की तारीख तय कर दी। दरअसल, एएसआई को पिछले 11 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल करनी थी लेकिन रिपोर्ट दाखिल नहीं की जा सकी।

21 जुलाई को जारी हुआ था आदेश

वाराणसी कोर्ट ने श्रृंगार गौरी केस में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आदेश जारी किया था। कोर्ट की ओर से 21 जुलाई को यह आदेश जारी किया गया। 3 अगस्त तक एएसआई को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया। लेकिन, मुस्लिम पक्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चला गया। इस कारण 24 जुलाई से शुरू हुई एएसआई सर्वे का काम रुक गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाई कोर्ट को रेफर किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 3 अगस्त को जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सील किए गए वजूखाना क्षेत्र को छोड़कर परिसर के सर्वे का आदेश जारी कर दिया।

4 अगस्त से शुरू हुआ था सर्वे

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का कार्य 4 अगस्त से शुरू किया गया। ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से जांच और सर्वे करने के लिए पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर, फोटोग्राफर समेत तकनीकी विशेषज्ञों की टीम लगी रही। अत्याधुनिक मशीनों के जरिए साक्ष्यों की जांच की गई। दूसरी तरफ, व्यास जी का तहखाना डीएम को सौंपने की मांग के मुकदमे में पक्षकार बनने की विजय शंकर रस्तोगी की अपील पर भी आदेश आ सकता है। जिला जज ने इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा है।

-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh