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वोट न देना पाप करने के समान, आइए जानते हैं कैसे

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

अमेरिकन समाजवादी और लेखक ऑस्कर आमिंगर का कहना है कि राजनीति गरीबों से वोट प्राप्त करने और अमीरों से धन एकत्र करने के अभियान की एक प्रतिष्ठित कला है। यह काम दोनों को एक दूसरे से बचाने का वादा करके किया जाता है। राजनीति के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक बाला साहब देवरस ने कहा था- ‘राजनीतिक घर में बने शौचालय की तरह है।’ मतलब यह जरूरी है लेकिन गंदी है। आज हम उसी राजनीति के बारे में बात करेंगे। राजनीति सिखाने का कोई स्कूल-कॉलेज नहीं है लेकिन लाखों लोग राजनीति में हैं। किसी सज्जन व्यक्ति से राजनीति में आने की बात करो तो वह मुंह बिचका कर कहता है कि गंदगी में कौन जाएगा। अच्छे लोगों के मुँह बिचकाने से ही राजनीति में अपराधी और माफिया बढ़ते जा रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदार कौन है? राजनीतिक दल या राजनेया या मतदाता? आइए इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास करते हैं।

देश के पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं। ये हैं- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर। 10 मार्च को परिणाम घोषित होंगे। चुनावों पर वैश्विक महामारी कोरोना का भी प्रभाव है। विभिन्न दलों की रैलियां रुकी हुई हैं। वैश्विक महामारी के कारण सोशल मीडिया पर धुआंधार प्रचार हो रहा है। फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सअप, यूट्यूब, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम समेत सोशल मीडिया के सभी माध्यम राजनीतिक विचारों से भरे हुए हैं। जनता से वोट देने की अपील की जा रही है। तमाम तरह की लुभावनी घोषणाएं की जा रही हैं। मतदाता को लुभाने के लिए प्रत्येक राजनीतिक दल हर तरह की चाल चल रहा है। साम-दाम-दंड-भेद की नीति भी अपनाई जा रही है। ऐसे में मतदाता दिग्भ्रमित है। 40 प्रतिशत से अधिक मतदाता ‘कोऊ नृप होय हमें का हानी चेरी छांड़ब कि होउब रानी’ कहकर मतदान करने नहीं जाते हैं। फिर ये मतदाता विधायकों को कोसते हैं।

बृज में एक कहावत है- जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा। मेरा कहने का मतलब है कि आपने जैसा प्रत्याशी चुना है, वह वैसा ही काम करेगा। अगर आप आपराधिक प्रवृत्ति के प्रत्याशी को चुनेंगे तो वह अपराध ही करेगा। अगर आप सिर्फ जाति देखकर मतदान करेंगे तो वह जाति विशेष के लिए ही काम करेगा। अगर आप मतदान नहीं करते हैं और विजेता प्रत्याशी कोई काम नहीं करता है तो उससे शिकायत के हकदार नहीं हैं। यह ठीक है कि सरकार जनता के लिए होती है लेकिन जनता का भी तो कुछ दायित्व है। आप कहेंगे कि सरकार तो विधायक बनाते है, हमारा क्या दायित्व है तो एक मिनट जरा ठहरिए। हमारा दायित्व है सही विधायक को चुनना। ऐसा विधायक जिस पर आप नाज कर सकें। ऐसा विधायक जिसे आप अपने सिर पर बैठा सकें और आँखों में बसा सकें। अब आप कहेंगे कि यह कैसे संभव है तो मेरा कहना यह है कि चुनाव में खड़े सभी दलों के प्रत्याशियों की कुंडली खंगालिए। इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत भी नहीं है। भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर प्रत्येक प्रत्याशी के बारे में विस्तार से जानकारी मिल जएगा। समुद्र में से मोती की तरह सदाचारी, व्यवहारी, ईमानदार, राष्ट्रभक्त प्रत्याशी को चुनिए। इसके लिए आपको घर से निकलकर मतदान केन्द्र तक जाना होगा। आपका एक वोट क्रांति ला सकता है। राज्य को शिखर पर पहुंचा सकता है तो धरातल भी ला सकता है। अच्छी सरकार आती है तो अच्छे काम करती है।

इसलिए आप सबसे आग्रह है कि आँधी आए यो तूफान, अवश्य करें मतदान। मतदान हमारा राष्ट्रीय दायित्व है। मतदान हमारा संवैधानिक अधिकार है। संविधान ने मतदान को अनिवार्य नहीं बनाया है लेकिन हम सबको मिलकर स्वयं प्रेरणा से अनिवार्य बना देना चाहिए। स्वयं मतदान करें और पड़ोसी को भी प्रेरित करें। मतदान के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने तमाम तरह की सुविधाएं दे रखी हैं। मतदान वाले दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है। यहां तक कि निजी कार्यालय और कारखाने भी बंद रहते हैं ताकि श्रमिक भाई भी मतदान कर सकें। आप अपने वाहन से मतदान केन्द्र तक जा सकते हैं। दिव्यांग मतदाता अपने घर से वोट कर सकते हैं। मतदान कार्य में लगने वाले सरकारी कर्मचारी मतपत्र से मतदान कर सकते हैं। मतदान से आपको पहले ही मतदान पर्ची मिल जाती है जिसमें सब लिखा होता है कि किस केन्द्र के किस बूथ पर मत डालना है। इससे मतदान केन्द्र पर समय बचता है। विभिन्न प्रचार माध्यमों से मतदान के लिए प्रेरित किया जाता है। अगर हम अब भी मतदान नहीं करते हैं तो यह किसका दोष है? मतदान के दिन छुट्टी घूमने के लिए नहीं मिलती है बल्कि वोट डालने के लिए है। याद रखें, हमारे द्वारा दिया गया वोट ही हमारा और राज्य का भविष्य बनाएगा। इसलिए अफने लिए, अपने राज्य के लिए वोट अवश्य करें। शत प्रतिशत मतदान करके नया विश्व रिकॉर्ड कायम कर सकते हैं। मेरा सुझाव यह है कि मतदान वाले दिन जल्दी उठें। सबसे पहले सपरिवार मतदान करें। इसके बाद लौटकर परिवार जलपान करें। इसी उद्देश्य से 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया।

भारत के प्रत्येक नागरिक का मतदान प्रक्रिया में भागीदारी जरूरी है। क्योंकि आम आदमी का एक वोट ही सरकारें बदल देता है। हम सबका एक वोट ही पल भर में एक अच्छा प्रतिनिधि भी चुन सकता है और एक बेकार प्रतिनिधि भी चुन सकता है।  इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने मत का प्रयोग सोच समझकर करना चाहिए और ऐसी सरकारें या प्रतिनिधि चुनने के लिए करना चाहिए जो कि देश को विकास और तरक्की के पथ पर ले जा सके।

भारत देश की 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है इसलिए देश के प्रत्येक चुनाव में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा भागीदारी करनी चाहिए। और ऐसी सरकारें चुननी चाहिए जो कि सांप्रदायिकता और जातिवाद से ऊपर उठकर देश के विकास के बारे में सोचें। जिस दिन देश का युवा जाग जाएगा उस दिन देश से जातिवाद, ऊँच-नीच, साम्प्रदायिक भेदभाव खत्म हो जाएगा। ये सिर्फ और सिर्फ हो सकता है हम सबके मतदान करने से। देश की स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की लोकतांत्रिक परम्परा को बरकरार रखें। प्रत्येक चुनाव में धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, भाषा आधार पर प्रभावित हुए बिना निर्भीक होकर मतदान करें। अगर हम वोट नहीं करेंगे तो अपराधी प्रवृत्ति के लोग देश की संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधि चुनकर चले जाते हैं। इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक को साम्प्रदायिक और जातीय आधार से ऊपर उठकर एक साफ-सुथरी छवि के व्यक्ति के लिए अपने मत का प्रयोग करना चाहिए। हमारे वोट से ही लोकतंत्र की रक्षा होती है।

अच्छी बात यह है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए मतदान का प्रतिशत हर बार बढ़ रहा है। 2007 में 46 फीसदी, 2012 में 59.40 फीसदी और 2017 में 61.04 फीसदी मतदान हुआ था। 2022 के चुनाव में मतदान प्रतिशत 75 फीसदी कराने का लक्ष्य भारत निर्वाचन आयोग ने तय किया है। आइए हम 95 फीसदी मतदान कर स्वच्छ सरकार बनाने में महती योगदान दें। मेरी नजर में तो वोट न देना पाप करने के समान है।

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Dr. Bhanu Pratap Singh