डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में परिसीमन के बाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र अब आगरा दक्षिण के रूप में है। पश्चिम के कई इलाके आगरा उत्तर में चले गए हैं। छावनी क्षेत्र के कई हिस्से आगरा दक्षिण में शामिल हो गए हैं। इससे जातिगत आंकड़े बदले हैं। वैसे पश्चिम सीट कभी कांग्रेस के मजबूत दुर्ग के रूप में थी। अब स्थितियां बदल गई हैं। बसपा के नीले झंडा के बाद भाजपा का परचम फहर रहा है। खास बात यह है कि सुरक्षित सीट रहने तक यहां से सिर्फ जाटव प्रत्याशी को ही जीत हासिल हुई भले ही वह किसी भी पार्टी का हो। सीट सामान्य होते ही भाजपा ने कब्जा कर लिया। वर्तमान में भाजपा के योगेन्द्र उपाध्याय लगातार दूसरी बार विधायक हैं। पार्टी ने उन पर 2022 के चुनाव में भी भरोसा जताया है। अगर वे जीत जाते हैं तो हैट्रिक का रिकॉर्ड कायम होगा।
दयालबाग की तरह पश्चिम क्षेत्र भी 1974 में स्वतंत्र रूप में अलग विधानसभा क्षेत्र बना। पहले यह भी लोहामंडी विधानसभा क्षेत्र का अंग था। तब दो विधायक चुने जाते थे। आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1952 में हुआ। तब से 1962 तक छत्रपति अंबेश और देवकीनंदन विभव कांग्रेस की विजय पताका फहराते रहे। जनसंघ प्रत्याशी उनके सामने हुआ करते थे। 1967 के चुनाव में आरक्षित सीट से रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया (आरपीआई) के मान सिंह और कांग्रेस के रामप्रसाद ने जीत हासिल की। 1969 में भारतीय क्रांति दल के मास्टर हुकम सिंह और लालीधर कर्दम चुनाव जीते। दोनों ने कांग्रेस को कस्त दी।
1974 में आगरा पश्चिम अलग से विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। कांग्रेस ने गुलाब सेहरा को प्रत्याशी बनाया। उन्होंने जनसंघ के करन सिंह वर्मा को पराजित किया। 1977 में जनता लहर के बाद भी कांग्रेस के गुलाब सेहरा ने जीत दर्ज कराकर इतिहास ही रच दिया था।
1980 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से आजाद कुमार कर्दम को मौका दिया। श्री कर्दम ने जनसंघ के करन सिंह हराया। 1985 में वीरेंद्र सोन को कांग्रेस ने टिकट दिया। उनके मुकाबले में थे जनता पार्टी के प्रत्याशी रामजीलाल सुमन। वीरेंद्र सोन विजेता रहे।
1989 के चुनाव में भाजपा ने यहां खाता खोला। भाजपा ने किशन गोपाल को टिकट दिया। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज आजाद कुमार कर्दम को परास्त किया। 1991 के चुनाव में भी भाजपा ने किशन गोपाल को फिर मौका दिया। कांग्रेस ने गुलाब सेहरा और जनता दल ने सुरेश चंद्र सोनी को चुनाव लड़ाया। सेहरा की हार पर सबको अचरज हुआ। किशन गोपाल फिर से विधायक बन गए। 1993 में भाजपा ने डॉ. रामबाबू हरित को मौका दिया। वे आसानी से जीत गए। किशन गोपाल टिकट न मिलने से पार्टी छोड़ गए। कांग्रेस से टिकट न मिलने पर वीरेंद्र सोन ने जनता दल का दामन थामा। कांग्रेस ने एक बार फिर आजाद कुमार कर्दम को मौका दिया। भाजपा का मुकाबला बससा से हुआ। जनता दल और कंग्रेस की बुरी स्थिति रही।
1996 में भाजपा के डॉ. हरित ने एक बार फिर जीत हासिल की।
2002 के चुनाव में भी डॉ. हरित ने तीसरी बार जीत हासिल की।
2007 के चुनाव में गुटियारी लाल दुबेश ने पहली बार बसपा को सफलता दिलाई। तब लगा कि अगर बसपा के वोट बैंक में अन्य जातियों के वोटर जुड़ जाएं तो आसानी से जीत दर्ज की जा सकती है। यहां से डॉ. हरित को हार का कसैला स्वाद चखना पड़ा। डॉ. हरित आजकल बसपा के साथ चले गए। वे फिर से भाजपा में आ गए। पार्टी ने उन्हें बहुत सम्मान दिया। टिकट न मिलने से निराश हैं।
विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट से भाजपा ने योगेन्द्र उपाध्याय और बीएसपी ने मुस्लिम प्रत्याशी जुल्फिकार अहमद भुट्टो को चुनाव मैदान में उतारा। एक तरफ बीएसपी का पूर्व विधायक तो दूसरी ओर बीजेपी के योगेन्द्र उपाध्याय में कांटे का मुकाबला था। उधर बीएसपी का खेल बिगाड़ने में सबसे बड़ा हाथ रहा कांग्रेस का। कांग्रेस ने इस सीट से प्रतिष्ठित व्यापारी नजीर अहमद को चुनाव मैदान में उतार दिया। कांग्रेस और बीएसपी में मुस्लिम वोट बैंक बंट गया, जिसका सीधा फायदा योगेन्द्र उपाध्याय को हुआ। बीजेपी के योगेन्द्र उपाध्याय को 74 हजार 324 वोट के साथ विजय मिली, जबकि बीएसपी प्रत्याशी जुल्फिकार अहमद को 51 हजार 364 और कांग्रेस के नजीर अहमद को 39 हजार 962 मत प्राप्त हुए।
आगरा दक्षिण सीट पर दलित और हाईकास्ट वोटरों की संख्या लगभग एवरेज है। इस सीट पर सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता माना जाता है, यही कारण रहता है, कि नए परिसीमन में जब यह सीट बनी, तो बीएसपी और कांग्रेस ने मुस्लिम चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने योगेन्द्र उपाध्याय को टिकट दिया। दो मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच वोट बटने का फायदा सीधे भाजपा को हुआ और यह सीट भाजपा के खाते में पहुंची।
इस विधानसभा में अवधपुरी, केदार नगर, शंकरपुरी, बालाजीपुरम, आजम पाड़ा, बारह खम्भा, ग्यासपुरा, प्रकाश नगर, पृथ्वीनाथ शाहगंज, रूई की मंडी शाहगंज, सिर की मंडी, राजनगर लोहामंडी, शाहगंज, मारुति एस्टेट, सोरों कटरा, जयपुर हाउस कॉलोनी, गढ़ी भदौरिया, टीचर्स कॉलोनी अल्कापुरी, सिर की मंडी, खातीपाड़ा, लोहामंडी, केशवकुंज, गोकुलपुरा, धाकरान, पादरी टोला, अशोक नगर, खटीकपाड़ा, नाई की मंडी, नाला कंस खार, नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी, सदरभट्टी, पीपल मंडी, पन्नी गली, धूलिया गंज, दरेसी नंबर दो, काला महल, फ्रीगंज, बाग मुजफफर खान, जीवनी मंडी आदि प्रमुख क्षेत्र आते हैं।
साल 2017 के आकड़ों के अनुसार इस सीट पर कुल 3 लाख 51 हजार 273 मतदाता हैं, जिनमें से 1 लाख 35 हजार 156 पुरुष मतदाता हैं वहीं 1 लाख 16 हजार 125 मतदाता महिलाएं हैं। वहीं अगर जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां सबसे अधिक 75 हजार मुस्लिम वोटर हैं. वही 45 हजार वोटों के साथ दूसरे नम्बर पर ब्राह्मण मतदाता हैं। जाटव और सिंधी पंजाबी सरदार लगभग 35 हजार वोटों के साथ तीसरे और चौथे नम्बर पर हैं।
2022 में मतदाता
पुरुष मतदाता 198168
महिला मतदाता 167582
किन्नर मतदाता 26
कुल मतदाता 4365776
पांच साल में बढ़े मतदाता
पुरुष 7197
महिला 10039
कुल 17243
18-19 साल के नए मतदाता
4316
मतदान की तारीख: गुरुवार, 10 फरवरी 2022
मतगणना की तारीख: गुरुवार, 10 मार्च 2022
आगरा दक्षिणः 2012 का चुनाव परिणाम
2012 में अस्तित्व में आई इस सीट पर बीजेपी के योगेंद्र उपाध्याय ने जीत दर्ज कर थी। बीजेपी के योगेंद्र उपाध्याय को 74,324 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे जुल्फिकार अहमद भुट्टो को 51,364 वोट मिले।
आगरा दक्षिणः 2017 का चुनाव परिणाम
योगेंद्र उपाध्यायस, भाजपा, 111,882
जुल्फिकार अहमद भुट्टो, बसपा, 57,657
नजीर अहमद, कांग्रेस 39,434
वर्ष विजेता प्रत्याशी पार्टी प्राप्त वोट
Agra west seat
2007 | Guteyari Lal Duves | BSP | 39951 |
2002 | Dr Ram Babu Harit | BJP | 32816 |
1996 | Ram Babu Harit | BJP | 46658 |
1993 | Ram Babu Harit | BJP | 49495 |
1991 | Kishan Gopal | BJP | 37924 |
1989 | Kishan Gopal | BJP | 26244 |
1985 | Virendra Son | INC | 19073 |
1980 | Azad Kumar Kardam | INC(I) | 21398 |
1977 | Gulab Sehra | INC | 24211 |
1974 | Gulab Sehra | INC | 35454 |
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