Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी, समाजसेवी और प्राइम ऑप्टिकल के स्वामी गजेन्द्र शर्मा की जनहित याचिका के अंतर्गत केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छह महीने के कोविड ऋण मोरटोटोटल समर्थन राशि के लिए ब्याज के भुगतान के निमित्त ₹ 974 करोड़ अतिरिक्त मंजूर किए हैं। इस मद में केन्द्र सरकार ₹ 6,500 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर चुकी है। गजेन्द्र शर्मा के पुत्र एडवोकेट राहुल शर्मा ने कोर्ट में ऐसे-ऐसे तर्क प्रस्तुत किए कि बैंकों द्वारा खड़ी की गई वकीलों की फौज निरुत्तर हो गई थी। हजारों करोड़ रुपये का ऋण स्थगन (moratorium) कराना कोई मामूली बात नहीं है। उनकी याचिका ने देशभर के 24 करोड़ लोगों को बैंकों के खूनी पंजे से मुक्ति दिलाई। सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्टेबल जजमेंट की बुक में गजेन्द्र शर्मा का नाम शामिल किया है।
एमएसएमई या आवास, शिक्षा, व्यक्तिगत या ऑटो ऋण के रूप में दिए गए ₹2 करोड़ तक के ऋणों की कई श्रेणियों के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में ₹5,500 करोड़ प्रदान किए थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1,612 ऋणदाताओं ने भारतीय स्टेट बैंक के समक्ष ब्याज पर ब्याज लिए जाने पर नए सिर से आपत्ति करते हुए दावा किया था। भारतीय स्टेट बैंक इस मामले में नोडल एजेंसी की भूमिका निभा रही है।
कोरोनावायरस के कारण 25 मार्च, 2020 को देशभर में लॉकडाउन लग गया था। कमाई बंद हो गई खी। बैंक की किस्त रुक गई थी। बैंक ने ब्याज पर ब्याज वसूलने का नोटिस जारी कर दिया। ऐसा ही नोटिस गजेन्द्र शर्मा को मिला तो माथा ठनका। उन्होंने इसे अन्याय माना और बैंकों को सबक सिखाने की ठानी। जब गजेन्द्र शर्मा ने ‘ब्याज पर ब्याज’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की तो सबने हल्के में लिया। कुछ लोग कहने लगे कि पागल हो गया है। घर में नहीं है दाने और अम्मा चली भुनाने। मतलब इनके पास देने के लिए वकीलों की फीस तो है नहीं और सुप्रीम कोर्ट में चले गए हैं। इस तरह के तानों ने उनका निश्चय और दृढ़ कर दिया। बैंक वालों ने गठबंधन बना लिया। कोर्ट में वकीलों की फौज खड़ी कर दी। गजेन्द्र शर्मा के पास सिर्फ एक वकील। मीडिया में कवरेज हुआ तो पूरे देश में चर्चा होने लगी। लोग साथ आने लगे। बस फिर क्या था, गजेन्द्र शर्मा ने इसे सबकी लड़ाई मानकर मैदान में डटे रहने का संकल्प लिया। देखते ही देखते कारवां बन गया। दुआओं का भी दौर शुरू हो गया। आखिरकार वित्त मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी कर दिया। ब्याज पर ब्याज माफ हो गई। इसी के तहत एक और राहत केन्द्र सरकार ने दी है।
यहां यह भी अवगत कराना है कि गजेन्द्र शर्मा और राहुल शर्मा एडवोकेट को पहले रिश्वत का लालच दिया गया। वे बिके नहीं। इससे काम नहीं चला तो धमकियां दी गईं। वे डरे नहीं। न डरने और न बिकने वाले लोग मुट्ठी भर ही होते हैं और यही समाज व देश में बदलाव लाते हैं।
गजेन्द्र शर्मा की याचिका का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्टेबल जजमेंट की बुक में लेकर किया है। Gajendra Sharma vs union of India reported , (2021) 1 scc 210 का उल्लेख करते हुए विवरण दिया गया है। इस जजमेंट का उल्लेख संदर्भ के रूप में किया जा सकता है। उनकी उपलब्धि के लिए गजेन्द्र शर्मा को कई सम्मान मिल चुके हैं। इसके बाद भी वे धरा पर हैं। उनसे मिलिए तो वही सरलता और
बैंक कर्जदारों को 7000 करोड़ का लाभ दिलाने वाले गजेन्द्र शर्मा के नाम एक और उपलब्धि
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