आज अप्रैल फूल के मौके पर पढ़िए गोपाल प्रसाद व्‍यास की कविता

आज अप्रैल फूल के मौके पर पढ़िए गोपाल प्रसाद व्‍यास की कविता

साहित्य


13 फरवरी 1915 को मथुरा जनपद के कस्‍बा गोवर्धन में जन्‍मे कवि गोपाल प्रसाद व्‍यास की गिनती हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है।
ब्रजभाषा के मर्मज्ञ गोपाल प्रसाद व्यास को भारत सरकार ने पद्मश्री, दिल्ली सरकार ने शलाका सम्मान और उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती सम्मान से विभूषित किया था।
दिल्ली स्‍थित हिंदी भवन के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। लाल किले पर हर वर्ष होने वाले राष्ट्रीय कवि सम्मेलन की शुरुआत में उनके जीते-जी अहम भूमिका रही।
28 मई 2005 को अपनी जीवन यात्रा पूरी करने वाले गोपाल प्रसाद व्‍यास ने अप्रैल फूल पर यूं तो कई हास्य कविताएं लिखीं किंतु कुछ कविताएं बहुत प्रसिद्ध हुईं। ऐसी ही एक कविता आज के मौके पर पढ़िए-
बन चुके बहुत तुम ज्ञानचंद,
बुद्धिप्रकाश, विद्यासागर?
पर अब कुछ दिन को कहा मान,
तुम लाला मूसलचंद बनो!
अब मूर्ख बनो, मतिमंद बनो!

यदि मूर्ख बनोगे तो प्यारे,
दुनिया में आदर पाओगे।
जी, छोड़ो बात मनुष्यों की,
देवों के प्रिय कहलाओगे!

लक्ष्मीजी भी होंगी प्रसन्न,
गृहलक्ष्मी दिल से चाहेंगी।
हर सभा और सम्मेलन के
अध्यक्ष बनाए जाओगे!

पढ़ने-लिखने में क्या रक्खा,
आंखें खराब हो जाती हैं।
चिंतन का चक्कर ऐसा है,
चेतना दगा दे जाती है।

इसलिए पढ़ो मत, सोचो मत,
बोलो मत, आंखें खोलो मत,
तुम अब पूरे स्थितप्रज्ञ बनो,
सच्चे संपूर्णानन्द बनो ।

अब मूर्ख बनो, मतिमंद बनो!
मत पड़ो कला के चक्कर में,
नाहक ही समय गंवाओगे।
नाहक सिगरेटें फूंकोगे,
नाहक ही बाल बढ़ाओगे ।
पर मूर्ख रहे तो आस-पास,
छत्तीस कलाएं नाचेंगी,
तुम एक कला के बिना कहे ही,
छह-छह अर्थ बताओगे।
सुलझी बातों को नाहक ही,
तुम क्यों उलझाया करते हो?
उलझी बातों को अमां व्यर्थ में,
कला बताया करते हो!

ये कला, बला, तबला, सारंगी,
भरे पेट के सौदे हैं,
इसलिए प्रथमतः चरो,
पुनः विचरो, पूरे निर्द्वन्द्व बनो,
अब मूर्ख बनो, मतिमंद बनो!

हे नेताओ, यह याद रखो,
दुनिया मूर्खों पर कायम है
मूर्खों की वोटें ज्यादा हैं,
मूर्खों के चंदे में दम है।
हे प्रजातंत्र के परिपोषक,
बहुमत का मान करे जाओ!
जब तक हम मूरख जिन्दा हैं,
तब तक तुमको किसका ग़म है?
इसलिए भाइयो, एक बार
फिर बुद्धूपन की जय बोलो !
अक्कल के किवाड़ बंद करो,
अब मूरखता के पट खोलो।
यह विश्वशांति का मूलमंत्र,
यह राम-राज्य की प्रथम शर्त,
अपना दिमाग गिरवीं रखकर,
खाओ, खेलो, स्वच्छंद बनो!
अब मूर्ख बनो, मतिमंद बनो!
-Legend News

Dr. Bhanu Pratap Singh