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आईटी अधिनियम में तीन वर्ष की जेल और पांच लाख तक का जुर्माना

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बार एसोसिएशन आगरा में विधि चर्चाः शासकीय अधिवक्ता गौरव जैन ने दी जानकारी

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Agra, Uttar Pradesh, India. आगरा बार एसोसिएशन आगरा में विधि चर्चा की कड़ी में आगरा बार लाइब्रेरी में साइबर क्राइम एवं साइबर लॉ विषय पर चर्चा हुई। शासकीय अधिवक्ता गौरव जैन ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम एवं साइबर कानून विषय पर प्रकाश डाला।

मुख्य वक्ता गौरव जैन एडवोकेट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के विषय में बताते हुए कहा कि  भारत में साइबर कानून से संबंधित विधायी ढांचे में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (बाद में “आईटी अधिनियम” के रूप में संदर्भित) और उसके तहत बनाए गए नियम शामिल हैं। आईटी अधिनियम मूल कानून है जो विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों के लिए प्रदान करता है, इसके लिए सजा दी जाती है

धारा 65 से 78 तक में कम्प्यूटर, मोबाइल आदि संसाधनों से किये गए अपराधों का वर्णन किया है। इन अपराधों के लिए तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास एवं एक लाख से पांच लाख तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। श्रेया सिंघल बनाम यूओआई मामले में, आईटी अधिनियम की धारा 66ए की वैधता को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी।

श्री गौरव जैन ने इस सवाल के जवाब में कि क्या धारा 66ए व्यक्तियों को मानहानि से बचाने का प्रयास करती है, अदालत ने कहा है कि धारा 66ए आपत्तिजनक बयानों की निंदा करती है जो किसी व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं लेकिन उसकी प्रतिष्ठा को प्रभावित नहीं करते हैं।

आगरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरिदत्त शर्मा ने बताया कि आज के समय में साइबर क्राइम से संबंधित विषय पर जागरुकता एवं अध्ययन की विशेष आवश्यकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता हेमेन्द्र शर्मा एवं अरविंद मिश्रा ने भी इस विषय पर युवाओं को विशेष अध्ययन के लिए कहा।

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्तागण अरविन्द मिश्रा, हेमेन्द्र शर्मा, कौशल किशोर शर्मा, डॉ. एमसी शर्मा, हेमन्त भारद्वाज, रुपेश भारद्वाज, यतेन्द्र कुमार गौतम, शिवकान्त शर्मा, सतीश शर्मा, गणेश शर्मा, अनुराग शर्मा, अमित शर्मा, अभिनव कुलश्रेष्ठ आदि अधिवक्तागण उपस्थित रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh