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118 साल से बन रहे राधास्वामी मंदिर पहुंचे तीन जैन मुनि, स्वामी जी महाराज की समाध के दर्शन किए

RELIGION/ CULTURE

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Agra, Uttar Pradesh, India. राष्ट्रसंत, नेपाल केसरी, मानव मिलन संस्थापक डॉ. श्री मणिभद्र मुनि, पुनीत मुनि एवं विराग मुनि आगरा के अपने चातुर्मास समापन उपरांत मंगल विहार यात्रा कर रहे हैं। वे श्रद्धालुओं के घर जाकर निहाल कर रहे हैं। इसी क्रम में दयालबाग मंदिर के नाम से प्रसिद्ध राधास्वामी मंदिर पहुंचे। राधास्वामी मत के प्रवर्तक, प्रथम गुरु स्वामी जी महाराज की समाध के दर्शन किए। हस्तकला को सराहा।

 

400 करोड़ रुपये व्यय

मंदिर निर्माण पर अब तक 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। वास्तव में यह मंदिर राधास्वामी मत के संस्थापक और प्रथम गुरु परमपुरुष पूरनधनी स्वामीजी महाराज की समाध है। यहां ऐसी कारीगरी है कि ताजमहल भी फीका नजर आता है। यह भले ही दयालबाग मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, लेकिन है स्वामीबाग क्षेत्र में। दयालबाग और स्वामी बाग दोनों ही राधास्वामी मत के अनुयायी हैं, लेकिन अस्तित्व अलग-अलग है। देश का ऐसा पहला मंदिर है, जिसे बनने में इतना अधिक समय लग रहा है। राधास्वामी मत के अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। वसंत पंचमी के दिन आगरा में एकत्रित होते हैं।

 

1904 से चल रहा निर्माण

बता दें कि मंदिर या कहें समाध का निर्माण 1904 ईसवी में शुरू हुआ था। 2022 में 118 साल हो गए हैं। तभी से लगातार करीब 200 मजदूर कार्यरत हैं। करीगर कहते हैं कि वे तो हजूर महाराज की सेवा कर रहे हैं। इसी कारण आज भी चौथी पीढ़ी यहां काम कर रही है। अगर मजदूरी कर रहे होते तो कब के चले गए होते। समाध के द्वार पर एक कुआं है, जिसके जल को प्रसाद के रूप में लिया जाता है। मंदिर 110 फीट ऊंचा है।

 

ताजमहल की तरह नींव

ताजमहल की तरह हजूर महाराज की समाध की नींव भी कुआं आधारित है। यह 52 कुओं पर आधारित है, ताकि भूकंप आने पर कोई प्रभाव न पड़े। पत्थरों को 60 फीट गहराई तक डालकर स्तंभ लगाए गए हैं। पत्थरों पर नक्काशी इस तरह की है कि पेंटिंग सी प्रतीत होती है। देखने वालों की आँखें आश्चर्य से फैल जाती हैं। सबको यही लगता है कि नक्कासी मशीन से की गई होगी, लेकिन ऐसा है नहीं। एक-एक पत्थर को तैयार करने में महीनों का समय लगता है। फल और सब्जी की बेल देखें तो लगता है कि अभी टपक पड़ेंगे। दो पत्थरों के बीच के जोड़ को इतनी खूबसूरती के साथ ढक दिया गया है कि दिखाई नहीं देते हैं। समाध में फोटोग्राफी निषिद्ध है। वह शायद इसलिए कि कोई बेहतरीन कारीगरी की नकल न कर ले।

 

दूसरे पक्षी विहार का शुभारंभ

जैन मुनि दयालबाग से अमित नेहा लाहड़े के निवास पर पहुंचे। मुनिगण आगरा बर्तन भंडार परिवार के यहां नेहरू नगर में जाप एवं दूसरे पक्षी विहार का शुभारंभ किया। फिर मधु, आदेश, अनुमेहा बुरड़ परिवार के निवास पर पहुंचे। वहां शुक्रवार का रात्रि विश्राम रहेगा। शनिवार को नेहरू नगर अपार्टमेंट गांधी नगर में मंगल प्रवचन कार्यक्रम होगा।

Dr. Bhanu Pratap Singh