कर्नाटक के इस अनोखे मंदिर में हैं विभिन्न प्रकार के 1 करोड़ शिवलिंग

RELIGION/ CULTURE

भगवान शिव की महिला अपार है। कोई भी इससे अछूता नहीं है। पुराणों की मानें, तो जो शिव भक्‍त मंदिरों के दर्शन करते हैं, भोलेनाथ उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। भोलेनाथ की पूजा के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत अच्‍छा माना जाता है। इस दिन लोग अपने शहर तो कुछ भारत के अलग-अलग शिव मंदिरों के दर्शन करने पहुंचते हैं। वैसे तो भारत का हर शिव मंदिर अनोखा है, लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां हर कोई जाना चाहता है। इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि इसमें एक या दो नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के 1 करोड़ शिवलिंग हैं। तो आइए जानते है भारत के इस अनोखे शिव मंदिर के बारे में।

कोटिलिंगेश्वर में 1 करोड़ शिवलिंग

बेंगलुरु से लगभग 100 किमी दूर, कर्नाटक के कोलार जिले के कम्मासंद्रा गांव में भगवान शिव का प्रतिष्ठित मंदिर है। इसे कोटिलिंगेश्‍वर नाम से जाना जाता है। मंदिर की खासियत है कि यहां विभिन्न आकारों के लगभग 1 करोड़ शिवलिंग हैं। कन्नड़ में कोटिलिंगेश्वर से कोटि का मतलब करोड़ होता है। लिंगों का आकार 1 फुट से लेकर 3 फुट तक होता है। ये लिंग 15 एकड़ भूमि में फैले हुए हैं और देखने में बेहद सुंदर लगते हैं।

एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग यहां

कोटिलिंगेश्वर मंदिर का निर्माण वर्ष 1980 में स्वामी सांभा शिव मूर्ति द्वारा किया गया था। यहां स्‍थापित शिवलिंग 33 मीटर लंबा है और दुनिया में सबसे ऊंचा है। मंदिर में नंदी की 35 फीट ऊंची मूर्ति भी है। 1 करोड़ शिवलिंग वाले इस मंदिर में हर साल निःशुल्क सामूहिक विवाह भी कराए जाते हैं।

पर्यटन स्‍थलों की लिस्‍ट में शामिल है यह मंदिर

सरकार ने इस मंदिर को एक पर्यटन स्थल घोषित किया है। ताकि दुनिया भर से सैकड़ों पर्यटक आ सकें और एशिया के सबसे बड़े लिंग के दर्शन कर सकें। नागलिंगा और कैनन बॉल नाम के दो फूलों के पेड़ यहां स्थित हैं। कई अविवाहित महिलाएं यहां सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।

कोटिलिंगेश्वर मंदिर में पूजा

सभी स्थापित शिवलिंगों पर रोजाना पुजारी पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा संगीत और ढोल के साथ की जाती है। सभी पुजारी मंत्र पढ़ते हैं और साथ ही लिंगों पर पानी भी डालते हैं। इतना ही नहीं भक्त अपना शिवलिंग स्थापित करके विशेष पूजा भी कर सकते हैं।

स्‍थापित कर सकते हैं अपना शिवलिंग भी

इस मंदिर की अच्‍छी बात यह है कि यहां आप अपना स्वयं का शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं। वे लोग यहां शिवलिंग रखते हैं, जिन्‍हें विश्वास होता है कि स्‍थापना से उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी।

तीन देवताओं के मंदिर भी हैं यहां

मंदिर के परिसर में विभिन्न देवताओं के लगभग ग्यारह अन्य मंदिर हैं। उनमें से पहले में भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान महेश्वर का मंदिर शामिल है। इसके बाद भगवान कोटिलिंगेश्वर का मंदिर है। इसके अलावा यहां परिसर में भगवान पांडुरंगा, भगवान पंचमुख गणपति, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु, देवी अन्नपूर्णेश्वरी, भगवान वेंकटरमणी स्वामी, भगवान राम-सीता-लक्ष्मण, देवी कनिका परमेश्वरी, देवी करुमारि अम्मा देवी के मंदिर भी बने हुए हैं। इस मंदिर में हर दिन अच्छी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और यहां पूजा-अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।

-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh