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ट्रैक्टर पंजीयन के लिए खतौनी की जरूरत नहीं, फिर भी RTO की मनमानी, भाजपा नेता भानु प्रताप सिंह चौहान ने कहा- योगी सरकार को बदनाम कर रहा परिवहन विभाग

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राजस्थान में ट्रैक्टर का मूल्य अधिक, इसलिए आगरा से खरीद रहे किसान

परिवहन विभाग इसमें डाल रह अड़ंगा, आंदोलन कर सकते हैं पीड़ित

सरकारी बैंक ट्रैक्टर पर ऋण दे रहे लेकिन आर.टी.ओ. खतौनी मांग रहे

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 Agra, Uttar Pradesh, India. खसरा-खतौनी के नाम पर ट्रैक्टरों का पंजीयन रोकने पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भानु प्रताप सिंह चौहान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि ट्रैक्टर पंजीयन के लिए खतौनी की जरूरत ही नहीं है। बिना शुल्क लिए काम न करने के आदी परिवहन विभाग के अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की किसान हितैषी नीति में पलीता लगा रहे हैं।

बता दें कि संभागीय परिवहन अधिकारी ने खसरा-खतौनी के नाम पर 23 ट्रैक्टरों का पंजीयन रोक दिया है। अखबरों में इस आशय की खबर प्रकाशित कराई गई है। श्री चौहान का कहना है कि इस खबर का मुझसे कोई लेना देना नहीं है लेकिन ये विभाग द्वारा की गई अनाधिकृत कार्रवाई है। इसमें न तो सरकार के राजस्व की कोई चोरी है और न ऐसी कोई सोच है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा अनावश्यक रूप से किसानों को अधिकाधिक कर आरोपित कर लूटा जा रहा है। उससे बचने के लिए किसान भारत की सर्वोत्तम किसान हितैषी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से लाभान्वित होने के लिए उत्तर प्रदेश का रुख करते हैं। परिवहन विभाग इसमें अडंगा लगा रहा है।

श्री चौहान ने कहा कि राजस्थान के किसान आगरा आक ट्रैक्टर खरीदते हैं तो  उत्तर प्रदेश सरकार को अधिक राजस्व मिलता है। इसके बाद भी परिवहन  विभाग कार्रवाई के नाम पर उत्पीड़न कर रहा है। उत्तर प्रदेश परिवहन कर नियमावली में कहीं भी ये वर्णित नहीं है कि ट्रैक्टर पंजीयन के समय खतौनी ली जाए। खतौनी की मांग करना विभाग की मनमानी है। कृषि में पंजीकृत ट्रैक्टर अगर वाणिज्यक उपयोग में पाया जाता है तब  परिवहन विभाग उससे वाणिज्यक कर नियमावली के अनुसार अर्थदंड सहित कर वसूलते हैं। ट्रैक्टर पंजीयन के समय खतौनी की आवश्यकता क्यों?  उन्होंने कहा कि अगर खतौनी से ही किसान होता है तो आज देश का हर मंत्री, आईएएस, आईपीएस, अधिकारी, जिसमें परिवहन विभाग के अधिकारी प भी शामिल हैं, किसान हैं और कर छूट के हकदार हैं।

भाजपा नेता भानु प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि गरीब, भूमिहीन या उन जीवित वयोवृद्ध किसानों की संतति जिनके नाम पैतृक जमीन नहीं हो पा रही है, उनकी आजीविका का साधन ही कृषि है। वे कॉन्ट्रैक्ट खेती करता है और अपने परिवार का भरण पोषण करता है। वह इतना संपन्न नहीं है कि खेती की जमीन खरीद सके, परन्तु अपनी और अपने परिवार की आजीविका को और अच्छा करने के लिए कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदता है। विभाग की मनमानी से उसे अपने नाम पंजीकृत नहीं करा सकता है। फाइनेंस कंपनी यहां तक कि सरकारी बैंक ट्रैक्टर क्रय करने हेतु ट्रैक्टर को बंधक कर ऋण दे सकती हैं लेकिन आगरा का परिवहन विभाग कर नियमावली की आड़ में बिना अवैध शुल्क के पंजीकृत नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा कि ये विचारणीय प्रश्न है। जल्दी ही या तो इसका समाधान हो अन्यथा एक आंदोलन का रूप लेगा। ये समस्या आगरा ईमानदार अधिकारियों द्वारा खड़ी की गई है।

Dr. Bhanu Pratap Singh