राष्ट्रध्वज में राष्ट्र की आत्मा निवास करती है-श्रीवत्स गोस्वामी

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ज्ञानदीप : प्रेरणास्पद राष्ट्र भक्ति पूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम
मथुरा। राष्ट्रध्वज में हमारे देश का सार है, हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में राष्ट्र की आत्मा इसमें निवास करती है, उसी का विस्तार विभिन्न तन्त्रों में होता है। चाहे वह शिक्षा, न्याय, अर्थ तन्त्र हो उसके मूल में जो विचार धारा है वह विचारधारा को प्रकट करने के लिए यह सक्षम होता है। हमारा राष्ट्रध्वज सर्वमत, सर्वधर्म, के सम्मिलन का एक प्रतीक है। यह विशुद्ध रूप से भारतीय आत्मा का सार है।
गोवर्धन रोड स्थित ज्ञानदीप शिक्षा भारती परिसर में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सदियों की परतंत्रता के पश्चात् देशवासियों के त्याग-बलिदान से प्राप्त स्वतंत्रता का उल्लास बिखरा हुआ था।

समारोह के मुख्य अतिथि ब्रज संस्कृति के पुरोधा तथा अनेक भाषाओं के विद्वान आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने स्वतंत्रता दिवस की सार्थकता बताते हुए कहा कि झण्डे में तीन रंगों से राष्ट्रध्वज का मतलब क्या है। जिन व्यवस्थाओं के साथ राष्ट्र चलता है, उसका प्रतीक चिन्ह है राष्ट्रध्वज। सालों की तमाम आहुतियों के वाद हमें यह आजादी मिली है उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि 15 अगस्त की सुबह हुई और हमें आजादी मिल गई इसके लिए बड़ी-बड़ी तपस्या करनी पड़ी, बड़े-बड़े बलिदान करने पड़े बड़ी-बड़ी बाधाएं भी आयीं हैं।
उन्होंने राष्ट्रध्वज के तीनों रंगों के मतलब को विस्तार से बच्चों को समझाया कि यह ध्वज स्वतंत्रता का प्रतीक जरूर है, परन्तु हमने परतन्त्रता रुपी कष्ट, दुःख से निकलकर और स्वछंद होकर अपने जीवन को सुख मय बनाते हुए जीवन की यात्रा को शुरू किया है, उन्होंने कृष्ण के नाम का अर्थ बतलाते हुए कहा कि जीवन की खेती में से कांटे हटा कर उन्हें नष्ट करके जीवन में आनन्द के फूल खिला दें उस प्रक्रिया को उस व्यक्ति को संस्कृत भाषा में कृष्ण कहा गया है चाहें वह हमारे बीच टेडी टांग वाला है, वंशी बजाने वाला है, वनमाला पहने हुए उपस्थित है।
कृष्ण सच्चिदानन्द विग्रह और यह जो विग्रह है वह भारतीय मनीषा की सम्पूर्ण परम्परा का बीज है। सत माने अस्तित्व किसी भी संस्कृति को अपने अस्तित्व की पहचान आवश्यक होती है, अस्तित्व ही धरातल है, धरातल का रंग हरा है। झण्डे में जो हरा रंग है वह सत का मूर्तिमान रंग है। यहां अस्तित्व होने से ही वात नहीं बनेगी अस्तित्व कब सार्थक होगा जब हम चैतन्य में होंगे, भारतीय चेतना का दूसरा रंग शुद्ध चेतना का प्रतीक हमारा स्वेत रंग है यह हमारे राष्ट्र ध्वज के बीच का रंग है और यदि अस्तित्व की पहचान हमको है और उसकी चेतना उसकी पूरी की पूरी है, तो हमारा जीवन उत्सव मय हो जायेगा आनन्दमय हो जाएगा और भरत मुनी के अनुसार आनन्द का रंग केसरिया बताया गया है। उन्होंने कहा कि किन्तु यह विचार से केवल काम नहीं चलेगा इसको क्रियारूप में लाना होगा। क्रियारूप में लाने के लिए हमारे ध्वज के भीतर एक चक्र है चक्र का मान गतिशील जीवन से है। हमारा अस्तित्व, हमारी चेतना और हमारा आनन्द कैसे टिकाऊ बना रहे, इसके लिए हमें धर्म की आवश्यकता होती है, हमको सत्य, आहिंसा, संतोष, करुणा के साथ मानव के जितने भी सदगुण हैं, वह सब सद्गुण की स्वीकृति हमारे राष्ट्रध्वज के मध्य में धर्मचक के भीतर विराजमान हैं। यह ध्वज किस पर टिका रहेगा उसके लिए एक दण्ड़ की आवश्यकता होगी जिसके सहारे कड़ाई से ड़टा रहे तो जितनी भी विचार धारा है, मौलिक धर्म के प्रतीक है वह सब दण्ड व्यवस्था से ही कायम होंगे, दण्ड व्यवस्था सुविचारित, स्वततंत्रता से प्रेरित, यदि हमारी व्यवस्था गुलामी से प्रेरित होगी तो हम स्वतन्त्र नहीं हैं। हमें अपनी न्याय व्यवस्था अपने अनुकूल चाहिए, तभी हमारा यह राष्ट्रध्वज फहरायेगा, विश्व गुरु वनने के लिए एक सुनिश्चित व्यवस्था की जो बात है वही हमारे राष्ट्रध्वज का दण्ड भी है। उन्होंने ज्ञानदीप की प्रषंसा करते हुए कहा कि जीवन में दो ही प्रकार के ज्ञान और अज्ञान अंधकार और प्रकाश हैं, अज्ञान से बड़ा अंधकार नही और ज्ञान से बड़ा प्रकाश नहीं, वह प्रकाश यहां ज्ञानदीप में ही है। और मैं इस राष्ट्र और राष्ट्रध्वज को बारम्बार प्रणाम करता हूँ।
आयोजन के प्रारम्भ में संस्थापक सचिव पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया, अध्यक्ष रमेश कुमार शर्मा, पवन चतुर्वेदी तथा आशीष भाटिया ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ ध्वजारोहण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। ज्ञानदीप सभागार के राष्ट्रीय प्रतीकों से सुसज्जित मंच पर कलाकारों ने हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए नृत्य, अनेकता में एकता, मिलन-विरह आदि राष्ट्र भक्ति परक कार्यक्रमों के साथ ब्रज संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर धनेष मित्तल ने अपने पिता की स्मृति में कक्षा 10 में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्याथि्र्यों ाको सम्मानित किया। विद्यालय की ओर से कक्षा 10 तथा कक्षा 12 में विभिन्न विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सभी कलाकारों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय कलाकार वन्दनाश्री के नेतृत्व में कलाकारों ने ‘उमंग भरा उत्तर प्रदेश’ नृत्य नाटिका की प्रस्तुति देकर प्रदेश में सम्पन्न विकास कार्यों की उपलब्धियों को प्रर्दषित किया।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने पूजा वर्मा द्वारा सरदार भगतसिंह के बलिदान की गाथा को रंगोली कला के माध्यम से चित्रित किया गया जिसकी सभी ने सराहना कीं। अन्त में प्राचार्या रजनी नौटियाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।