वरिष्ठतम के स्थान पर कनिष्ठ प्रवक्ता को बनाया जा रहा कार्यवाहक प्रधानाचार्य
यह समस्या पूरे उत्तर प्रदेश में, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की बैठक में रखेंगे प्रकरण
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Agra, Uttar Pradesh, India. अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था क्वीन विक्टोरिया गर्ल्स इण्टर कॉलेज, हरीपर्वत, आगरा की प्रबन्ध समिति ने कॉलेज की वरिष्ठतम प्रवक्ता श्रीमती प्रतिभा मैसी की उपेक्षा कर कनिष्ठ प्रवक्ता श्रीमती जोयस साइलस को विद्यालय का कार्यवाहक प्रधानाचार्य का प्रभार सौंपे जाने का निर्णय लिया है। यह जो इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट 1921 के प्रावधान का खुला उल्लघंन है। इस संबंध में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ0प्र0 की कार्य समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने जिला विद्यालय निरीक्षक-दो (बालिका शिक्षा) डॉ. पूरन सिंह से उनके कार्यालय में भेंट की। उन्हें ज्ञापन सौंपा। विस्तार से वार्ता की। जिला विद्यालय निरीक्षक ने विद्यालय प्रबंधतंत्र को अभिलेखों के साथ तलब किया है।
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डॉ. देवी सिंह नरवार ने डी0आई0ओ0एस0-2 डॉ. पूरन सिंह को कॉलेज द्वारा जारी प्रवक्ता की वरिष्ठतम सूची दिखायी, जिसमें श्रीमती प्रतिभा मैसी क्रमांक एक पर अंकित है और श्रीमती जोयस साइलस क्रमांक-दो पर अंकित है। स्पष्ट है कि श्रीमती प्रतिभा मैसी, श्रीमती जोयस साइलस से वरिष्ठ हैं। वेर कॉलेज में कार्यरत 13 प्रवक्ताओं में वरिष्ठतम है। इसी आधार पर एक्ट के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में प्रधानाचार्य के रिक्त पद पर श्रीमती प्रतिभा मैसी को कार्यवाहक प्रधानाचार्य का प्रभार सौंपा जाना विधिमान्य व न्याय संगत है। सौंपे गये ज्ञापन की गम्भीरता और संवेदनशीलता को मद्देनजर रखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक-दो ने विद्यालय प्रबन्धक से तत्काल नियमानुसार कार्यवाही करते हुए आख्या एवं साक्ष्यों सहित अपने कार्यालय में उपस्थित होने के आदेश जारी किये हैं।
डॉ. नरवार ने बताया कि इस प्रकरण को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश संगठन मंत्री और प्रदेश महामंत्री के संज्ञान में लिया है। फलतः महासंघ की कार्यसमिति और साधारण सभा की एक महत्वपूर्ण बैठक 15 व 16 अप्रैल. 2023 को लखनऊ में आयोजित की गई है। जिसमें प्रकरण पर विस्तार से चर्चा के बाद पारित प्रस्ताव को प्रदेश सरकार और प्रदेश शासन को अवगत कराया जाये। अल्पसंख्यक अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रबन्ध तंत्र इस तरह से मनमानी कर रहे है, उनकी प्रवृत्ति स्वेच्छाचारी, निरंकुश हो गयी है और वे अपने को इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट 1921 से ऊपर मानते हैं। इस कारण और कड़ा कानून बनाने की मांग उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से की जाएगी।
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