दलाई लामा ने कहा, मैं 110 वर्ष तक जीवित रहूंगा

दलाई लामा ने कहा, मैं 110 वर्ष तक जीवित रहूंगा

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दलाई लामा ने बुधवार को मुख्य बौद्ध मंदिर मैक्लोडगंज में उनकी दीर्घायु के लिए आयोजित प्रार्थन सभा को संबोधित किया। यहां उन्होंने कहा कि वह 100 से 110 वर्ष का आयु तक जीवित रहेंगे। उन्होंने कहा, “मेरा पूरा जीवन बौद्ध धर्म के प्रति समर्पित रहा है और आगे भी ऐसे ही समर्पण की भावना से बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार सहित तिब्बती समुदाय के लोकहित के प्रति काम करता रहूंगा।”

दलाई लामा ने अपने अनुयायियों को भरोसा दिया कि वह 100 से 110 वर्ष की आयु तक उनकी सेवा करेंगे. उन्होंने आगे कहा, “मेरा यह आत्मबल भी है और प्रार्थना भी है. मैं इसके लिए प्रार्थना भी करता हूं कि मेरा यह प्रयास दूसरों के हितों की रक्षा करने व उनकी मदद करने को लेकर सफल हो।”

मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं

उल्लेखनीय है कि दलाई लामा की दीर्घायु के लिए आयोजित प्रार्थना का आयोजन तिब्बतियन होम्स फाउंडेशन तथा सीएसटी मसूरी के छात्रों, पूर्व छात्रों एवं कर्मचारियों के साथ-साथ सीएसटी पंचमढ़ी के पूर्व छात्रों एवं पूर्व व्यावसायिक प्रशिक्षुओं द्वारा किया गया। दलाईलामा ने कहा, “मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं, हां मेरे घुटनों में थोड़ा दर्द है।”

उन्होंने कहा कि आप सभी लोग मेरी दीर्घायु के लिए प्रार्थनाएं करते हैं तो मैं भी मानता हूं कि मेरी लंबी आयु होगी और मैं अपने जीवन को लोकहित के कार्यों में अर्पित कर सकूं। साथ ही बोधचित को उत्पन्न करने के बाद जितने भी जीवधारी हैं उन सभी को बोधिसत्व प्राप्ति की तरफ ले जायूं। दलाई लामा ने कहा कि अगर मैं अपने जीवन को सार के रूप में देखूं तो मेरा जीवन लोगों के हित में अर्थपूर्ण रहा है और भविष्य में भी अर्थपूर्ण रहेगा। दलाई लामा ने कहा कि तिब्बत हो या अन्य देश जहां बौद्ध धर्म में कमी आई है उनमें इस बात को लेकर उन्नति हो।

दलाई लामा की दीर्घायु के लिए की गई प्रार्थना

इस मौके पर बौद्ध भिक्षुओं द्वारा दलाई लामा की लंबी आयु की प्रार्थना की गई। इस दौरान काफी संख्या में बौद्ध भिक्षु व तिब्बती संस्थानों के बच्चे पूजा पाठ में जुटे रहे और उनकी यह प्रार्थना रही कि दलाईलामा की लंबी आयु हो और वह विश्व में शांति व अहिंसा का ज्ञान दे सकें। इस दौरान दलाई लामा अपनी गद्दी पर बैठ कर ध्यान में लीन बैठे रहे। साथ ही साथ वे ध्यान के दौरान बीच बीच में हाथ उठाकर अनुयायियों को आशीर्वाद भी देते रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh