narsingh jayanti

आज नरसिंह जयंतीः शनि की ढैय्या से मुक्ति के लिए तुला राशि वाले करें व्रत

PRESS RELEASE RELIGION/ CULTURE लेख

नरसिंह जयंती 25 मई मंगलवार को मनाई जाएगी। हम सब जानते हैं कि भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया। नरसिंह को नारायण का चतुर्थ अवतार माना जाता है। जिन लोगों की तुला राशि है और शनि की ढैय्या चल रही है तो नरसिंह भगवान का व्रत करें।

नरसिंह जयंती कथा

प्राचीन काल के समय असुरराज हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था और अपनी प्रजा से स्वयं की पूजा करने के लिए प्रताड़ित करता था लेकिन उनका बेटा प्रहलाद स्वयं भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब इस बात का हिरण्यकश्यप को पता चला तो उसने अपने बच्चे को कई यातनाएं दीं लेकिन उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसे न तो मनुष्य मार सकता है और न ही पशु। न घर के अंदर और न घर के बाहर उसको मारा जा सकता। न उसको दिन में मार सकते हैं और न ही रात में। न अस्त्र से और न शस्त्र से। न आकाश में और न ही धरती पर। यह वरदान पाकर हिरण्यकश्यप काफी अहंकारी हो गया था। उसने अपने पुत्र के प्राण लेने के लिए कई बार प्रयास किया लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। एक दिन जब प्रहलाद ने कहा कि भगवान हर जगह हैं तो हिरण्यकश्यप ने चुनौती देते हुए कहा कि इस स्तंभ में तेरे भगवान क्यों नहीं दिखते। यह कहने के बाद उसने स्तंभ पर प्रहार कर दिया। तभी स्तंभ में से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए। नरसिंह भगवान हिरण्यकश्यप को महल के चौखट पर लेकर चले गए और उन्होंने से अपनी जांघों पर लिटाकर उसके सीने को अपने नाखूनों से फाड़ दिया और अपने भक्त की रक्षा की। उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। उस दिन से हर साल इस तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाएगी।

नरसिंह भगवान की पूजा का समय

25 मई शाम 4 बजकर 26 मिनट से शाम 7 बजकर 11 मिनट तक

पारण का समय

26 मई सुबह प्रातः 6 बजकर 1 मिनट के बाद से

प्रमुख मंदिर

आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम से 16 क‍िलोमीटर की दूरी पर स‍िंहाचल पर्वत पर भगवान नृसिंह का मंद‍िर स्‍थापित है। मान्‍यता है कि इसकी स्‍थापना भक्‍त प्रहलाद की थी। राजस्थान के हिंडौन में, जोशीमठ (बद्रीनाथ से पूर्व) और नरसिंहपुर (जबलपुर, मध्य प्रदेश) में नरसिंह भगवान के मंदिर प्रसिद्ध हैं।