rotary club

23 फरवरी को एक विचार आया और खड़ा हो गया समाज सेवा का संसार, पढ़िए रोटरी क्लब के जन्म से लेकर अब तक की गाथा

INTERNATIONAL NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

विश्व में हिमालय से भी मजबूत सेवा करने की एक संस्था रोटरी इंटरनेशनल के नाम से विश्व में जानी जाती है। 23 फरवरी सन 1905 में पॉल हैरिस ने रोटली की स्थापना की। वे पेशे से वकील थे। उन्होंने अपने तीन और दोस्तों के साथ मिलकर एक पंथ निरपेक्ष (सेकुलर) संगठन यानी रोटरी इंटरनेशनल शुरू किया जो जाति, लिंग, वर्ण या राजनीतिक विचारधारा के भेदभाव के बिना सबको सदस्य बनाता है| पॉल हैरिस का जन्म आज से 116 साल पूर्व शिकागो शहर में शुरू हुआ| क्लब का नाम रोटरी रखा गया| रोटेशन में मेम्बर अलग-अलग जगह पर मीटिंग करते थे| वर्ष के अंत तक यह 30 मेम्बर का रोटरी क्लब ऑफ शिकागो बन गया था| 3 साल बाद सैनफ्रांसिस्को, केलीफोर्निया यूएसए में दूसरे क्लब का जन्म हुआ।  रोटरी दुनिया का सबसे पहला “सेवा संगठन” बना। रोटरी में व्यापार, पेशेवर, नौकरी पेशावर लोगों को सदस्यता प्रदान की जाती है|

रोटरी का जन्म मानवीय सेवा सभी व्यवसाय में उच्च नैतिक स्तर को बढ़ावा देने और दुनिया में शांति और सदभावना के निर्माण में सहायता देने हेतु विश्वव्यापी रूप से एकजुट होकर कार्य किया जाता है। विश्व में रोटरी क्लब एकमात्र ऐसी संस्था है जो नैतिक मूल्यों और आचरण पर विशेष बल प्रदान करता है| रोटरी क्लब द्वारा विशेष रूप में समाज में नैतिकता और कर्तव्यपालन का काम करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करके अन्य व्यक्तियों को नैतिकता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्वास्थ्य, पौष्टिक और कुपोषण के लिए हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहने वाली संस्था है। रोटरी ने अपना पहला सम्मेलन कांग्रेस होटल शिकागो में अगस्त 1910 में द नेशनल एसोसिएशन ऑफ रोटरी क्लब ने ऑर्गेनाइज किया जिसमें 16 क्लब मेम्बरों ने रोटरी फाउंडर पॉल हैरिस को अपने एसोसिएशन का पहला अध्यक्ष चुना| नेशनल एसोसिएशन ऑफ रोटरी क्लब जो वर्ष 1912 में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ रोटरी क्लब बन गया, बाद में इसे भी परिवर्तित करके 1922 में रोटरी इंटरनेशनल बना जिसने आरआई के नाम  को अपनाया। वर्ष 1928 में रोटी फाउंडेशन बनाया गया| इस फाउंडेशन के माध्यम से ही कोई भी क्लब ग्रांट लेकर अपने क्षेत्र में बड़े से बड़ा समाज सेवा का काम आसानी से कर सकता है| फाउंडेशन में एक निश्चित रकम देकर भी आप पॉल हैरिस फेलोशिप प्राप्त करके मानव सेवाओं के लिए अपना योगदान दे सकते हैं।

 1 जनवरी, 1947 में रोटरी के जन्मदाता पॉल हैरिस  के देहांत के वर्ष रोटरी फाउंडेशन ने अपना पहला कार्यक्रम ग्रेजुएट फैलोशिप जिसे आज राजदूत छात्रवृत्ति कहा जाता है, के तहत ।7 देशों के 18 छात्रों को विदेश भेजा। विदेश में आज लगभग 300 छात्र हर साल रोटरी विद्वानों के रूप में विदेशों में अध्ययन करते हैं। यूथ एक्सचेंज के माध्यम से विश्व की संस्कृति में ना केवल रूबरू कराते हैं बल्कि परस्पर भाईचारे का संदेश देने का बहुत महत्वपूर्ण काम करते हैं। जब विश्व में पोलियो सन 1985 में पैर पसार रहा था तो रोटरी इंटरनेशनल ने आगे आकर  विशेषकर सर्वाधिक पीड़ित देशों जिनमें भारत भी शामिल था, अपने सेवा कार्य से सन 2005 में भारत को पोलियो मुक्त कराकर ही दम लिया। आज रोटरी इंटरनेशनल विश्व में आए हुए कोरोना महामारी को से लड़ने के लिए और उस से पीड़ित व प्रभावित मानव के उत्थान में पूरे दमखम से लग गई है| विश्व में पर्यावरण के सुधार के जो क्लब का योगदान है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। रोटरी इंटरनेशनल द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में जिस तरीके से मानव की सेवा की थी वह सेवा जगत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में हमेशा अंकित रहेगा।

भारतवर्ष में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा प्रथम रोटरी क्लब का जन्म वर्ष 1919 में कोलकाता में पहली मीटिंग 20 गैर भारतीय सदस्यों द्वारा हुआ। जिसको आधिकारिक प्रमाण पत्र 1 जनवरी 1920 को मिला। ठीक 1 वर्ष बाद पहला भारतीय मेम्बर स्वर्गीय एस सी रुद्रा को वर्ष 1921 में रोटरी क्लब कोलकाता में सदस्यता लेकर पहले भारतीय रोटेरियन होने का गौरव प्राप्त हुआ| 23 फ़रवरी 2021 रो भारतीय रोटरी क्लब की सदस्यता के रूप में 100 वर्ष हो रहे हैं, जिसके कारण महत्वपूर्ण है| भारत में क्लब सचिव के रूप में वर्ष 1926 में पहले भारतीय नीतीश सी लहरी को बनाया गया। दोनों ही लोगों ने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। आज उत्तर प्रदेश में पहला क्लब लखनऊ में रोटरी क्लब के रूप में स्थापना हुई| प्रदेश का पहला डिस्ट्रिक्ट लखनऊ ही था जिसमें वाराणसी कानपुर आगरा समेत सभी महानगर सम्मिलित थे। प्रदेश का दूसरा क्लब आगरा में रोटरी क्लब ऑफ आगरा के नाम से बना। कालांतर में आगरा को लखनऊ  से अलग कर दिया जो पहले डिस्ट्रिक्ट 311 के नाम से जाना जाता है। डिस्ट्रिक्ट के अलग होने आगरा का रोटरी क्लब ऑफ आगरा डिस्ट्रिक्ट 3110 को पहले क्लब दर्जा प्राप्त 29 मार्च 1939 में यानी 82 वर्ष पूर्व चार्टर्ड प्रदान किया गया था। ध्यान रहे भारत का 20वाँ क्लब है आगरा का रोटरी क्लब। रोटरी के कार्य हेतु प्रशासनिक सुविधा के लिए, स्थानीय क्लबों को एक डिस्ट्रिक्ट में शामिल किया जाता है जिसका एक विशेष नम्बर होता है। आगरा डिस्ट्रिक्ट 3110 के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट 3110 के मंडल अध्यक्ष दिनेश शुक्ला जी हैं। वह 34 डिस्ट्रिक्ट 135 क्लब और 3600 रोटरी क्लब के सदस्यों के साथ मिलकर मानव सेवा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, कुपोषण, शिक्षा, स्वच्छता आदि अनेक विषयों पर दिन-रात एक करके समाज उत्थान में व रोटरी के मूलभूत भावना को जमीनी हकीकत में उतारने में लगे हुए हैं। आगरा में 13 रोटरी क्लब के माध्यम से सेवा कार्य हो रहे हैं।

विश्व में आज 36426 रोटरी क्लब करीब 1.2 मिलियन सदस्यों के साथ भारत में 4060 क्लबों के माध्यम से 153470 भारतीय रोटरी सदस्यों के साथ सेवा कार्य करते हैं। वर्ष 1987 भी रोटरी के इतिहास का एक ओर सुनहरा वर्ष हुआ।  रोटरी क्लब ने महिलाओं को भी क्लब में रोटेरियन सदस्यता देने के लिए स्वीकार किया गया। आज यह महिलाएं रोटरी इंटरनेशनल के तमाम नेशनल और इंटरनेशनल लीडरशिप में अपना एक अहम रोल अदा कर रही हैं। बचपन से ही सेवा भाव की भावना पैदा करने हेतु और वर्ष 1960 के दशक के दौरान 14 से 18 वर्ष बच्चों के लिए इंटरेक्ट और युवा वयस्कों के लिए 18 से 30 रोट्रेक्ट एक प्रायोजक रोटरी क्लब के मार्गदर्शन में काम करते हैं। रोटरी क्लब द्वारा महिलाओं के लिए इनरव्हील के नाम से एक शाखा 10 जनवरी 1924 को एक नर्स, एक व्यवसाई महिला और एक मैनचेस्टर की रोटेरियन पत्नी द्वारा अधिकारिक रूप में 27 महिलाओं के द्वारा स्थापना की। रोटरी क्लब से जुड़ने के बाद सदस्य को रोटेरियन के नाम से संबोधन किया जाता है। रोटेरियंस, स्थानीय रोटरी क्लब के सदस्य होते है और उनके क्लब द्वारा निर्धारित समय पर, हर हफ्ते एक बार मिलते हैं। रोटेरियन की पहचान उसके द्वारा पहनी होई लेपल पिन द्वारा आसानी से हो जाती हैं। रोटरी व्हील, रोटरी इंटरनेशनल का आधिकारिक लोगो है। रोटरी इंटरनेशनल द्वारा आधिकारिक रूप से सेवा व कार्य के महीने के अनुसार कार्य होता हैं। रोटरी का आदर्श वाक्य ‘सेवा स्वयं से ऊपर’ है।

सभी रोटेरियंस को रोटरी जन्म दिवस की बहुत बधाई व शुभकामनाएँ।

rajiv gupta agra
rajiv gupta agra

राजीव गुप्ता जनस्नेही

लोक स्वर, आगरा