Agra, Uttar Pradesh, India. वैदिक सूत्रम के चेयरमैन विश्वविख्यात एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि वर्तमान में 12 जुलाई 2022 से अपनी स्वराशि मकर में गोचर में वक्री अवस्था में चल रहे हैं। शनि की सकारात्मक ऊर्जा युक्त स्थिति वर्तमान में नहीं कही जा सकती है। हिन्दू फलित ज्योतिष सूत्रों के अनुसार कोई भी अपनी स्वराशि में स्थित ग्रह वक्री अवस्था में नीच अवस्था का फल प्रदान करता है अर्थात उस ग्रह की क्रूरता उस अवधि में अधिक हो जाती है। वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि यदि जातक अच्छे कर्म करता है, तो शनिदेव शुभ फल देते हैं, वहीं बुरे कर्म करने पर दंड भी देते हैं। शनि-देव फिलहाल मकर राशि में 12 जुलाई 2022 से गोचर में वक्री अवस्था में हैं। 23 अक्टूबर 2022 को मार्गी यानी सीधी चाल चलेंगे। इसी दिन धनतेरस भी है। 23 अक्टूबर को प्रातः 4 बजकर 19 मिनट पर शनि देव अपनी स्व-राशि मकर राशि में ही मार्गी होंगे और जनवरी 2023 तक इसी अवस्था में रहेंगे। वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार, शनि देव के मार्गी होने से सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ेगा। कुछ राशि के लिए शनि की ये चाल शुभ नहीं होगी। वहीं कुछ राशि के लोगों की भाग्योदय के साथ-साथ आर्थिक बढ़ोतरी भी हो सकती है। शनि की 23 अक्टूबर से लेकर जनवरी 2023 तक मकर राशि में शनि ग्रह की मार्गी अवस्था के दौरान वृष, कर्क, कन्या, वृशिक, मकर एवम मीन राशि सबसे ज्यादा भाग्यशाली होंगी।
एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि ब्रह्माण्ड का अति शुभ ग्रह देवगुरू बृहस्पति ग्रह वर्तमान में अपनी स्वराशि मीन पर वक्री अवस्था में हैं जो कि वर्तमान में पूरी दुनिया में नकारात्मक अवस्था का फल प्रदान कर रहे हैं। पूरे विश्व में वर्तमान में परमाणु युद्ध का खतरा अब पूरी तरह चरम सीमा पर रूस और यूक्रेन के 24 फरवरी 2022 से आरम्भ हुए युद्ध के कारण अब सर्वोच्च अवस्था में पहुंचता हुआ नजर आ रहा है। इसमें नाटो और अमेरिका की भूमिका आग में घी डालने का कार्य करती हुए नजर आ रही है। इसका कारण यह है कि सद्बुद्धि का कारक देवगुरु ब्रह्स्पति ग्रह 29 जुलाई 2022 से अपनी स्वराशि मीन में वक्री हुए हैं। इसी कारण पूरे विश्व में उथलपुथल का माहौल बनने की स्थिति वर्तमान में पूरी तरह नजर आ रही है। वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु ग्रह देवगुरू बृहस्पति वर्तमान की वक्री अवस्था से 24 नवंबर 2022 को अपनी स्वराशि मीन में पुनः मार्गी हो जाएंगे। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं 24 नवम्बर 2022 के बाद ही यूरोप के देशों को थोड़ी बहुत सद्बुद्धि आएगी लेकिन वर्तमान में सम्भावित तृतीय विश्व युद्ध में परमाणु युद्ध का खतरा वर्तमान में गोचर में विपरीत ग्रहों की चाल के अनुसार चरम सीमा पर है।
एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि क्योंकि एक माह के लिए शासन का कारक सूर्य ग्रह 18 अक्टूबर 2022 से लेकर 17 नवंबर 2022 तक अपनी नीच राशि तुला पर गोचरीय परवर्तित चाल में असुरों के सेनापति चाण्डाल मायावी छाया ग्रह राहु की पूर्ण दृष्टि के प्रभाव में रहेगा जो कि पूरी दुनिया में एक भयावह स्थिति पैदा करने वाला योग बनाता है। राहु महा-मायावी एवम घातक ज़हरीली गैसों का कारक भी कहा जाता है। 18 अक्टूबर से एक माह के दौरान अपनी सर्वोच्चता साबित करने के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का खतरा बना हुआ है। सद्बुद्धि के कारक ब्रह्माण्ड के अति शुभ ग्रह देवगुरु बृह्स्पति वर्तमान में 28 जुलाई 2022 से लेकर 24 नवंबर 2022 तक वक्री अवस्था में होकर पूरी तरह पीड़ित अवस्था में हैं अर्थात अपने स्वाभाविक गुणों के फलस्वरूप वर्तमान में शुभ फल देने में सक्षम नहीं है। वर्तमान में केवल 23 अक्टूबर 2022 से ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह गोचर में जरूर मार्गी अवस्था में होकर सकारात्मक फल अवश्य प्रदान करेंगे वो केवल उन व्यक्तियों और देशों के लिए शुभ होंगे जो अंहकारी स्वभाव से पूरी तरह मुक्त होंगे। स्वतन्त्र भारत नक्षत्र के अनुसार एक शनि प्रधान देश है, इसलिए भारत वर्तमान की सम्पूर्ण विश्व की विपरीत परिस्थितियों के दौरान उभकर जरूर आयेगा शनि की 23 अक्टूबर 2022 से मार्गी अवस्था होने के बाद उसकी सकारात्मक सम्पूर्ण कृपा के कारण।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया इस बार वर्ष 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को लगने वाला है। सूर्य ग्रहण के कारण एक दिन पूर्व यानी 24 अक्टूबर, सोमवार को दीवाली मनाई जाएगी। इस बार सूर्य ग्रहण का समय 25 अक्टूबर को सायंकाल 04.29 मिनट पर शुरू होगा तथा शाम 05.42 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। किसी भी ग्रहण के पहले और बाद तक भारत में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल रहता है। इस आंशिक सूर्यग्रहण के सूतक काल का असर भारत पर नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण भारत के साथ ही दुनिया के कई देशों में दिखाई देगा। भारत में इसका प्रभाव आंशिक होने के कारण यहां सूतक मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण पाकिस्तान, अफगानिस्तान, यूरोप, अफ्रीका के कुछ देशों उत्तरी हिन्द महासागर, पश्चिमी एशिया आदि में अधिक समय दिखाई देगा। भारत में यह आंशिक सूर्यग्रहण नई दिल्ली, बेंगलूरु, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वाराणसी, मथुरा में दिखेगा। हेलसिंकी, मास्को, काबुल, इस्लामाबाद, तेहरान और बगदाद में भी आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित गौतम ने बताया कि 23 अक्टूबर 2022 से शनि ग्रह के मकर राशि में मार्गी होते ही शनि देव रूस के राष्ट्रपति पुतिन की चन्द्र कुंडली की राशि वृष के लिए जरूर मददगार साबित होंगे अर्थात पुतिन पूरी दुनिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में कामयाब होते अवश्य नजर आएंगे। अप्रैल 2023 तक पुतिन की वृष राशि की चन्द्र कुंडली से, दो ग्रह देवगुरु बृहस्पति और शनि सर्वाधिक शक्तिशाली अवस्था में गोचरीय चाल में मौजूद रहेंगे।
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