कानपुर के 1700 साल पुराने प्रसिद्व बारा देवी मंदिर की रहस्यमयी कहानी

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वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने 2 दिवसीय अपनी कानपुर यात्रा के दौरान किदवई नगर स्थित 1700 साल पुराने प्रसिद्व बारा देवी मंदिर के दर्शन किये जिसकी बेहद रोचक कहानी है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार बारा देवी का मंदिर लगभग 1700 वर्ष पुराना बताया जाता है। बारा देवी मंदिर को लेकर यह कहानी है कि यहां पर 12 बहनें आकर रहने लगी थी और वह पत्थर की बन गई तब से यह मंदिर पूजा जाने लगा।

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कानपुर के सबसे प्रसिद्ध मंदिर मां बारा देवी में रोजाना लाखों लोग दर्शन करते हैं, यह मंदिर बेहद पुराना है और इस मंदिर का बेहद रोचक किस्सा है इसलिये कानपुर और आस-पास के जिलों में रहने वालो लोगों में इस मंदिर की देवी के प्रति गहरी आस्था है। इस मंदिर को लेकर यह कहानी है कि पिता से हुई अनबन और उनके कोप से बचने के लिए 12 बहिनें किसी बहाने से घर से निकल आयीं यहां पर आकर रहने लगी थीं और वह पत्थर की बन गई तब से यह मंदिर पूजा जाने लगा। वहीं बहनों के श्राप देने की वजह से उनके पिता भी पत्थर के रूप में हो गए, तब से यहां पर भक्तों की भीड़ लगने लगी इस इलाके का नाम भी बारा देवी पड़ गया।

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि बारा देवी मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भक्त अपनी मनोकामना को ध्यान में रखकर मंदिर में चुनरी बांधते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार देवी के नवरात्र पर्व काल में प्रत्येक दिन लगभग यहां पर एक लाख से अधिक लोग दर्शन करते हैं। बारा देवी मंदिर को लेकर मान्यता यह भी है कि यहां पर सभी की मुरादे पूरी होती हैं। वहीं मुरादें पूरी होने के बाद भक्त यहां पर मां का श्रृंगार करते हैं, इतना ही नहीं यहां पहले खतरनाक तरीके से नवरात्रों में भक्त अनोखे करतब दिखाते थे कोई मुंह में नुकीली धातुओं को आर पार कर मंदिर जाते थे तो कई लोग यहां पर जीभ काटकर भी चढ़ा चुके हैं लेकिन अब प्रशासन के चलते इस तरीके की प्रथाओं पर रोक लग गई है।

Dr. Bhanu Pratap Singh