16वीं शताब्दी में उड़ीसा में 5 महान संत हुए, जिनके नाम थे संत अच्युत आनंद दास, संत अनंत दास, संत जसवंत दास, संत जगन्नाथ दास और संत बलराम दास। इन्हें “पंच सखा” के नाम से जाना जाता है। इन संतों ने उड़ीसा की वैष्णव परंपरा में आध्यात्मिक साहित्य और दर्शन को एक नया आकार दिया।
संत अच्युत आनंद के पास भूत, वर्तमान और भविष्य को देखने की अद्भुत शक्ति थी। उन्होंने ताड़ के पत्तों पर भविष्य मालिका की रचना की। भविष्य मालिका ग्रंथ में कई बड़ी भविष्यवाणियां हैं, लेकिन 318 पुस्तकों में से अधिकांश संत अच्युत आनंद दास द्वारा लिखी गई हैं।
भविष्य मालिका की भविष्यवाणी
भविष्य मालिका में कलियुग के अंतिम काल और युग परिवर्तन के बारे में कई सटीक भविष्यवाणियां की गई हैं। कलियुग का अंत होगा, महाविनाश, तीसरा विश्व युद्ध और कल्कि अवतार। भविष्य मालिका में कलियुग के अंत, महाविनाश, प्राकृतिक आपदा और विश्व युद्ध के बारे में कुछ संकेत बताए गए हैं। उन्हें हम गहराई से समझने की कोशिश करते हैं, भविष्य मालिका ग्रन्थ में उल्लेखित भविष्य में घटित होने वाले संकेतों से।
कलियुग के अंत का संकेत
1- संत अच्युत आनंददास ने भविष्य मालिका में कलियुग के अंत के संकेत लिखे हैं , जैसे सामाजिक अस्थिरता, धर्म का नाश, भ्रष्टाचार आदि।
2- लोग ईश्वर को भूल जाएंगे और उनके खिलाफ बोलना शुरू कर देंगे, धर्म में विश्वास करने वाले लोग सीमित हो जाएंगे।
3- लोग अपने गुरुओं और बड़ों का आदर नहीं करेंगे; संत लोगों को मूर्ख बनाने का काम करेंगे। जो पिछले कई वर्षों से भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में घटित हो रहा है।
4- लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूल जायेंगे।
5- लोग भ्रष्टाचार और अपराध से पैसा कमा रहे होंगे। ये सब भी पिछले कई वर्षों से भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में हो रहा है।
6- पुरुष और स्त्रियाँ दोनों स्वछन्द हो जाएंगे, समाज के लोक-लाज की परवाह नहीं करेंगे, ये सब भी पिछले कई वर्षों भारत में तेजी से घटित हो रहा है।
कलियुग में सर्वनाश के लक्षण
भविष्य मलिका के अनुसार , किसान खेती में रुचि लेना बंद कर देंगे और जंगली जानवर गांवों और शहरों पर हमला करना शुरू कर देंगे। हम सभी जानते हैं कि जब भूकंप या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, तो सबसे पहले जानवरों को ही इसका अहसास होता है।
कलियुग में विनाश के संकेत निम्नलिखित हैं:
1- बारिश से किसान निराश होकर खेती छोड़ देते हैं। सूखे के कारण अकाल पड़ने पर बहुत से किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं
2- सूर्य अपनी दया खो देगा और पूरी दुनिया में गर्मी बढ़ जाएगी।
3- चक्रवाती हवाएं चलेंगी और तेज हवाओं की आवाज से लोग डर जाएंगे।
4- जंगली जानवर जंगल छोड़कर गांवों और शहरों पर हमला करेंगे। आजकल ये सब देखने को हमें कई राज्यों में मिलता है।
5- भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा। जगन्नाथ पुरी मंदिर और ध्वज गिर जाएंगे, त्रिशूल के वस्त्र में आग लग जाएगी।
6- ओडिशा में तूफान आएगा, पवित्र बरगद का पेड़ टूट जाएगा और उसके बाद लोगों की मौत का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
6- नई-नई बीमारियाँ फैलेंगी और उनका कोई इलाज नहीं होगा। लाखों लोग अपनी जान गँवा देंगे। ये सब भी कोरोना काल में सम्पूर्ण विश्व में घटित हो चुका है।
भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में 2022 से 2027 के बीच प्राकृतिक आपदाएं मचाएंगी विनाश
दुनिया के कई हिस्सों में प्राकृतिक आपदाएँ तबाही मचाती नज़र आएंगी। कई देशों में भूकंप और जानलेवा बाढ़ आएगी। कहीं बहुत ज़्यादा बारिश होगी तो कहीं सूखा पड़ेगा। मौसम का चक्र बदलेगा जिसकी वजह से धरती पर बहुत ज़्यादा गर्मी पैदा होगी। कुछ प्राकृतिक आपदाएँ निम्नलिखित हैं:-
1- वर्ष 2022 से 2027 तक पूरे विश्व को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा।
2- पृथ्वी का तापमान बढेगा, कई ग्लेशियर टूट जायेंगे या पिघल जायेंगे, पीने के पानी की कमी हो जाएगी।
3- बाढ़ से कई शहर और गाँव लुप्त हो जायेंगे।
4- भूकंप के कारण जान-माल की भारी हानि होगी।
5- तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत में दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेंगी, वहीं शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने पर तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा। यह विश्व युद्ध 6 साल 6 महीने तक चल सकता है। इस युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल होगा, जिससे धरती पर बहुत से लोग मारे जाएंगे और बहुत कम लोग बच पाएंगे। शनि ढाई वर्षों के लिए कुम्भ राशि पर 17 जनवरी 2023 से गोचरीय चाल में पहुंच चुके हैं।
कलियुग में 2 सूर्य आकाश में दिखाई देने लगेंगे
1- आसमान में 2 सूरज दिखाई देंगे। एक सूरज और दूसरा कोई और खगोलीय पिंड। यह चमकता हुआ पिंड एक छोटा उल्का पिंड होगा। यह उल्का पिंड दिन के समय हिंद महासागर की बंगाल की खाड़ी में गिरेगा। इससे बहुत बड़ी सुनामी आएगी और ओडिशा के 6 जिले खत्म हो जाएंगे।
2- चीन और अन्य 13 इस्लामिक देश भारत पर हमला करेंगे
3- शनि कुम्भ राशि में से निकलकर गोचरीय परिवर्तित चाल में 29 मार्च 2025 से लेकर 23 फरवरी 2028 तक मीन राशि में रहेगा, कभी मार्गी तो कभी उलटी चाल चलेगा और इस दौरान भारत विश्व युद्ध का सामना करेगा। भारत 13 महीने तक महायुद्ध लड़ेगा और पाकिस्तान और चीन समेत 13 इस्लामिक देश भारत पर हमला करेंगे। चीन कई टुकड़ों में बंट जाएगा और बाकी 12 इस्लामिक देश अपना अस्तित्व खो देंगे। भारत शुरुआत में अर्थात पहले 5 साल और 5 महीने तक तीसरे विश्व युद्ध में भाग नहीं लेगा, आखिरी के 13 महीने के बाद भारत युद्ध में शामिल होगा। इस समय भारत में सैन्य शक्ति मजबूत रहेगी।
कलियुग में भगवान कल्कि अवतार और युद्ध विराम
1- भारत पर आक्रमण से लोगों का ध्यान भटकेगा, दुश्मन सेना जगन्नाथ पुरी को घेर लेगी। उसी समय युद्ध चरम पर होगा और उसी समय सैन्य शासन लागू हो जाएगा। दुश्मन बंगाल के राम मंदिर और काली मंदिर पर हमला करेगा।
2- देश की विपरीत परिस्थितियों में लोग भगवान से प्रार्थना करने लगेंगे कि वे उन्हें इस हमले से बचाएँ। फिर भगवान विष्णु के 10वें स्वरूप भगवान कल्कि अदृश्य रूप में प्रकट होंगे। जो किसी को दिखाई नहीं देंगे, लेकिन देश के लोगों की प्रार्थना पर भगवान कल्कि शत्रुओं पर अपनी दिव्य अमोघ शक्तियों से शत्रुओं पर विपत्ति ढाएँगे, इससे शत्रुओं में खलबली मच जाएगी।
3- भविष्य मालिका की भविष्यवाणी के अनुसार, कल्कि अवतार का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में पुष्य नक्षत्र में होगा, जिसमें शेषनाग की शक्तियां भी साथ में सम्मलित होंगीं, कल्कि अवतार जो कि कलियुग में हो चुका है, लेकिन वह अभी भी गुप्त स्थान पर अदृश्य रूप में मौजूद हैं। सामान्य जनमानस कलियुग में उन्हें पहचान नहीं पायेगा अर्थात वह भृमित रहेगा। ऐसा कथन भविष्य मालिका में पूर्ण रूप से उल्लेख है।
भारत का अंतिम राजा हिन्दू शासक होगा
भविष्य मालिका के अनुसार ओडिशा के अंतिम राजा गजपति महाराज होंगे और साथ ही भारत का अंतिम राजा सबसे शक्तिशाली हिंदू शासक अर्थात भारत का प्रधानमंत्री योगी पुरुष होगा और उसके कोई संतान नहीं होगी। ऐसा भविष्य मालिका में स्पष्ट रूप से उल्लेख है।
16 वीं शताब्दी के भविष्य मालिका ग्रंथ में दिए गए उपरोक्त महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्यों को मुझे इसलिए लिखना पड़ा, क्योंकि घोर कलियुग में ढोंगी एवम आडम्बरी धार्मिक प्रवचनकर्ता/कथावाचक एवम ध्यान गुरुओं का नेटवर्क सम्पूर्ण देश के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है, लेकिन उत्तरप्रदेश के हाथरस जिले में एक धार्मिक प्रवचन कर्ता जो कि भोले बाबा के नाम से जाना जाता है, जो कि अपने आप को स्वयंभू सिद्ध अवतारी पुरुष बताकर पिछले 30 वर्षों से भोले भाले, आम जनमानस को गुमराह कर रहा था, जो कि दलित समाज से आता है, 02 जुलाई दिन मंगलवार को उसके धार्मिक प्रवचन में, और प्रवचन खत्म होने के बाद पांडाल से बाहर गाड़ी से निकलने पर प्रवचनकर्ता के चरणों और उसकी गाड़ी के पहियों की धूल लेने की होड़ में मची भगदड़ में 122 भोले-भाले एवम सीधे सादे लोग काल के गाल में चले गए,* ऐसे न जाने कितने अनगिनत धार्मिक प्रवचन कर्ता पूरे देश में फैले हुए हैं, जो कथा वाचक एवम ध्यान गुरु अपने मायावी आडम्बरों से भोली भाली आम जनता को पिछले कई वर्षों से गुमराह कर रहे हैं। लेकिन उपयुक्त समयावधि आने पर दिव्य कृपा के प्रकोप से इनके काले कारनामे पूरे देश में कई आडम्बरी धार्मिक प्रवचनकर्ताओं के होते रहे हैं। क्योंकि एक अदृश्य दिव्य शक्ति पृथ्वी लोक पर सब कुछ देख रही है, पृथ्वी पर मनुष्यों के आडम्बरों को।
कुल मिलाकर 16 वीं शताब्दी में उड़ीसा के पंच संतों के द्वारा लिखे गए भविष्य मालिका के रहस्यमयी ग्रंथ में जो कुछ भी लिखा हुआ है, उसे संक्षिप्त रूप में बताने की कोशिश मेरे द्वारा की गई है, *जिससे ये स्पष्ट हो जाये कि श्री हरि विष्णु का कल्कि अवतार का जन्म कलियुग में एक ब्राह्मण परिवार में पुष्य नक्षत्र में मनुष्य रूप में होगा, ये महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्य भविष्य मालिका के अलावा पौराणिक ग्रन्थ भविष्य पुराण में भी लिखा हुआ है,* लेकिन भविष्य मालिका ग्रंथ के अनुसार कलियुग में श्री हरि विष्णु का कल्कि अवतार, मनुष्य रूप में हो चुका है, श्री हरि विष्णु का पृथ्वी पर मनुष्य अवतार सार्वजनिक रूप से किसी को दृश्य भी नहीं होगा अर्थात उसको सामान्य आम-जनमानस पहचान ही नहीं पायेगा, क्योंकि कलियुग में मनुष्य रूप में ब्राह्मण परिवार में जन्म ले चुके कल्कि अवतार 64 कलाओं युक्त हैं। इस सन्दर्भ में मेरे द्वारा भी एक रहस्यमयी विश्लेषण जनवरी 2024 में अयोध्या में नव निर्मित भव्य राम मंदिर के 22 जनवरी 2024 को शुभारंभ से पूर्व कई राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुका है।
एस्ट्रोलॉजर पं. प्रमोद गौतम
वरिष्ठ पत्रकार/आध्यात्मिक हीलर
चेयरमैन- वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था
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