Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा । सरकारी मशीनरी आंदोलित किसानों और राजनीतिक दलों के आंदोलन से निपटने में तो पूरी ताकत लगा रही है लेकिन नये कृषि कानूनों पर किसानों के बीच बोलने से अधिकारी बच रहे हैं। किसान गोष्ठी में किसानों ने बजरा सहित दूसरी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने के मुद्दा अधिकारियों के सामने उठाया तो अधिकारी इस पर कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे सके।
रवि की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए जरूरी जानकारी दी जा रही हैं
जब एक किसान ने पूछा कि उसका बाजरा का एमएसपी 2150 होने के बाद भी 1150 रूपये में क्यों बिना तो अधिकारी इसके लिए खरीद केन्द्र नहीं बनाये जाने की बात कह कर पल्लाझाडने लगे। हालांकि किसान इससे संतोष्ठ नहीं हुए। किसानों को ब्लाक स्तरीय किसान गोष्ठी के माध्यम से सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देने के साथ ही रवि की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए जरूरी जानकारी दी जा रही हैं। मांट के राजकीय बीज केंद्र पर आयोजित दो दिवसीय किसान गोष्ठी के दूसरे दिन किसानों को जानकारी देने के साथ ही उनकी शंकाओं का भी समाधान किया गया।
प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना के नियमों में जो बदलाव किये गये हैं उनकी भी जानकारी दी गई है
गोष्ठी में दूसरे दिन उपकृषि निदेशक धुरेन्द्र कुमार भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि किसानों को गोष्ठी के माध्यम से उनके लिए चलाये जा रहीं योजनाओं की जानकारी दी गई है। प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना के नियमों में जो बदलाव किये गये हैं उनकी भी जानकारी दी गई है। इस दौरान गोष्ठी में मौजूद किसानों से पूछा गया कि उन्हें किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है कि तो शतप्रतिशत किसानों ने हां में हांमी भर दी। इस पर धुरेन्द्र कुमार ने कहाकि जिन किसानों को सम्मान निधि किसी वजह से नहीं मिल रही है उन्हें भी जल्द मिलेगी। बस इसके लिए कुछ तकनीकी खामी रही होंगी उन्हें पूरा करना है।
वह दुकानदार से उधर लेते हैं इस लिए दुकानदार उन्हें महंगा भी दे सकता है
किसानों ने खाद की कालाबाजारी का भी मुद्दा उठाया। इस पर अधिकारियों ने किसानों से कहाकि जब वह कहते हैं कि हमें नाम बातएं तो किसान पीछे हट जाते हैं। दुकानदार के साथ किसान किसी न किसी बात पर कंप्रोमाइज करते हैं। वह दुकानदार से उधर लेते हैं इस लिए दुकानदार उन्हें महंगा भी दे सकता है। उपकृषि निदेषक ने कहाकि कोई व्यक्ति गलत हो सकता है पूरी संस्था बेईमान नहीं होती है। किसान मनोज कुमार ने कहाकि अधिकारी अपनी बात करने में व्यस्त रहते है, किसानों की सुनने को कोई तैयार नहीं होता।