Radha soami guru

राधास्वामी गुरु दादाजी महाराज ने 20 साल पहले कही थी ये बात और भारत में आए राफेल

NATIONAL REGIONAL RELIGION/ CULTURE

बुधवार को भारत सरकार ने लड़ाकू विमान राफेल (rafael) मंगवाए हैं। भारतीय वायु सेना (Indiam Air force) को ये दिए गए हैं। इससे भारत को अभेद्य सुरक्षा हासिल हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत पूरे विश्व ने राफेल आने पर जश्न मनाया। एक देश का दूसरे देश के प्रति अविश्वास के कारण हथियारों की होड़ मची हुई है। जो कुछ आज हो रहा है, उस बारे में राधास्वामी मत के आचार्य दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर, पूर्व कुलपति आगरा विश्वविद्यालय) ने 20 साल पहले ही कह दिया था। तब यह बात सुनने वाले समझ नहीं सके थे, लेकिन आज वही बात सत्य साबित हो रही है। दादाजी महराज ने अपने आध्यात्मिक परिभ्रमण के दौरान 27 मार्च, 2000 को सारस मोटल परिसर, रायबरेली (उत्तर प्रदेश) में सतसंग किया था। तब  दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा था- अपनी सुरक्षा के लिए वह तरह-तरह के हथियार जमा करता है। हथियारों की होड़, हथियारों की दौड़ से शांति और दूर चली जाती है। यही दुर्दशा सारे विश्व में हो रही है। यहां पढ़िए पूरी बात। (यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दादाजी महाराज ने 21 साल पहले कोरोनावायरस के बारे में भी इशारों में भविष्यवाणी कर दी थी। तब का सतसंग आज समझ में आया है।)

सर्वत्र प्रेम का अभाव

आज के युग में भौतिकता की चकाचौंध है और सर्वत्र प्रेम का अभाव है। लोग यह सोच-विचार करते रहते हैं कि उन्हें अपनी जिन्दगी में बड़े-बड़े पद, धन और सुख-चैन आजन्म मिलता रहे तो ऐसा होता नहीं है। बड़े-बड़े राजा धराशायी हो गए। बड़े-बड़े महाजनों का बेड़ा गर्क हो गया। कोई चीज यहां ठहर नहीं सकती। आप किसी को कहें कि मेरा अपना है, क्या आपने उसे भरोसे के काबिल पाया।

विश्वास की कमी से नुकसान

जितनी आधुनिकता आज बढ़ती चली जाती है उतना ही भरोसा एक दूसरे पर से गायब हो गया है। इसलिए समाज में और विश्व में जहां भी मानव आबादी है, उसमें अब विश्वास जाता रहा है। परिवार व समाज ही नहीं, देश-देश के बीच विश्वास नहीं रहा है। जहां विश्वास नहीं होता, वहां इंसान धीरज खोता है, अशांति होती है, विप्लव होता है, झगड़े-फसाद होते हैं और उसमें सुख और चैन जो थोड़ा बहुत है, वह भी समाप्त हो जाता है।

हथियारों की होड़

चारों ओर दुख, भय, गलतफहमी और विरोध है। अब इंसान ज्यादा डरेगा, दूसरे पर विश्वास नहीं करेगा तो उसको अपनी सुरक्षा की फिक्र होती है। अपनी सुरक्षा के लिए वह तरह-तरह के हथियार जमा करता है। हथियारों की होड़, हथियारों की दौड़ से शांति और दूर चला जाती है। यही दुर्दशा सारे विश्व में हो रही है। कारण यह है कि हम उस प्रेम के आकर्षण से बहुत दूर जा गिरे हैं- जैसे समुद्र कहीं तथा यह बूंद कहीं और पड़ी हुई तड़प रही है।

हमारा बचपन

हर व्यक्ति जो सोच शक्ति रखता है, उसको यह समझना चाहिए कि आखिर आज के विज्ञान ने उसे दिया क्या है। यह सब सुख सुविधाएं जानलेवा हैं। जरा सा बिजली का करेंट लग जाए तो आदमी तड़पकर समाप्त हो जाता है। क्या इलेक्ट्रॉनिकमैगनिक वेव तथा इतनी बढ़ी हुई न्युक्लियर पॉवर शांति दे सकती है। आप कह लीजिए कि आपने समृद्धि पा ली है, आपने बहुत कुछ सीखा है लेकिन मेरे ख्याल से तो आप और अधिक अज्ञानी हो गए हैं। साधारण जिन्दगी का तौर-तरीका जिसमें हमने अपना बचपन गुजारा बहुत सरल और सुखद था। तनाव रहित समाज था। तनाव रहित परिवार होते थे। (क्रमशः)