राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य और अधिष्ठाता दादाजी महाराज ने कहा – जो कुछ सुना और जो बताया गया है उसके अनुसार कार्रवाई करो, फायदा हो तो जमना, नहीं हो तो उठ जाना।
हजूरी भवन, पीपलमंडी, आगरा राधास्वामी मत (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं, जो आगरा विश्वविद्यालय ) Agra University)के दो बार कुलपति रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan) में हर वक्त राधास्वामी नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 23 अक्टूबर, 1999 को ग्राम भीमखंड, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने बताया कि चैतन्य पुरुष के अंदर आस्था लाइए और वह चैतन्य पुरुष परम पुरुष पूरनधनी स्वामीजी महाराज हैं और परम पुरुष पूरनधनी हजूर महाराज हैं।
मैं उन नवयुवकों को चेतावनी देना चाहता हूं जिन्हें दुनिया की हर चीज पसंद है, लेकिन परमार्थ की बात सुनना पसंद नहीं है। ऐसे नवयुवक भारतीय संस्कृति के मूल्यों में गिरावट ला रहे हैं और अपने आपको समझते है कि उन्होंन बड़ी विद्या पा ली है। मैंने तो विद्या बहुत पाई, अनेक पद भी गाए लेकिन इन सब चीजों को पाने के बाद देखा कि इनमे कुछ नहीं रखा है। जो अनुराग मालिक के चरनों में पाया, जो सुख की अनुभूति वहां मिली और उन दर्शनों से जो तृप्ति हुई, वह दुनिया के पदों में नहीं है। यह तो मैं अपने अनुभव की बात कहता हूं।
अनुभवहीन लोगों को अनुभव जगाना चाहिए। अनुभव जागता है अनुभवी के संग बैठने से, जमने से लेकिन उखड़ने से नहीं। उखड़ती तो ईख है। बैठिए, जमिए, कुछ दिन लगन से सत्संग कीजिए, उनकी गत-मत को समझिए और फिर जो कुछ आदेश दें, उसके अनुसार करनी कीजिए।
इक्कीसवीं शताब्दी में आप लोग दस्तक दे रहे हैं– क्या आधार है आपके पास। अगर वास्तविक तौर पर अपने प्रति, अपने परिवार, समाज औऱ देश के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहते हो तो तुमको मालिक की हस्ती में विश्वास लाना होगा। पहले आस्था लाइए पर यह जरूर देख लीजिए कि किसमें आस्था लानी है। जड़ में आस्था लाओगे तो जड़ हो जाओगे। चैतन्य पुरुष के अंदर आस्था लाइए और वह चैतन्य पुरुष परम पुरुष पूरनधनी स्वामीजी महाराज हैं और परम पुरुष पूरनधनी हजूर महाराज हैं। अगर कोई उनको साकार रूप में देखना चाहे तो उसको वक्त का गुरु ढूंढना चाहिए और फिर यह कह दिया-
जिन ढूंढा तिन पाइयां गहरे पानी पैठि।
मैं बौरा बूड़न डरा, रहा किनारे बैठि।।
जो कुछ सुना और जो बताया गया है उसके अनुसार कार्रवाई करो, फायदा हो तो जमना, नहीं हो तो उठ जाना। उखड़े हुए तो हो ही। मैं तो आपको जमाने आया हूं और ऐसे जमाने के बाद विरह और तड़प की आग में थोड़ा से सुलगाने आया हूं, फिर पानी बनाने आया हूं, फिर और गरमाने आया हूं, फिर भाप बनाने आया हूं और फिर ठंडा करके उस तख्त पर ले जाने के लिए आया हूं जहां फिर इन अवस्थाओं से गुजरना न पड़े। (क्रमशः)
(अमृतबचन राधास्वामी तीसरा भाग, आध्यात्मिक परिभ्रमण विशेषांक से साभार)
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