सनातन धर्म की रक्षा हेतु ‘विवाह संस्था’ को बचाने का संकल्प: हिन्दी साहित्य भारती का जन जागरण अभियान
फिरोजाबाद/आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। सनातन धर्म की रक्षा हेतु ‘विवाह संस्था’ को बचाने के लिए जन जागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद में आयोजित बैठक में हिन्दी साहित्य भारती ने सनातन धर्म की चुनौतियों पर विचार किया। विवाह संस्था को खतरे में मानते हुए जन जागरण अभियान चलाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। युवाओं में विवाह के प्रति उदासीनता और हिन्दू जनसंख्या में कमी पर चिंता व्यक्त की गई।
संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा
हिन्दी साहित्य भारती की उत्तर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक शिकोहाबाद के संत जानू बाबा महाविद्यालय, मैनपुरी रोड पर हुई। विभिन्न जनपदों के जिलाध्यक्ष और महामंत्री उपस्थित थे। संगठन के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई। प्रान्त प्रमुखों ने संगठनात्मक गतिविधियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। सनातन धर्म की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई। विवाह संस्था को सनातन धर्म का आधार माना गया।
विवाह संस्था पर संकट
विचार-मंथन से निष्कर्ष निकला कि विवाह संस्था खतरे में है। युवक और युवतियाँ 30-35 वर्ष तक विवाह नहीं कर रहे। इससे सनातन धर्म का भविष्य अंधकारमय है। हिन्दू जनसंख्या में भारी गिरावट आ रही है। सनातन धर्म का प्रभुत्व दिन-प्रतिदिन लुप्त हो रहा है। अगले 15-20 वर्षों में गंभीर दुष्परिणाम झेलने पड़ेंगे। विवाह जैसी पवित्र संस्था को बचाने के लिए जन-जन को जागरूक करना होगा। इसके लिए जन जागरण अभियान चलाए जाएंगे।
तुष्टिकरण नीतियों की आलोचना
मुख्य अतिथि हिन्दी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षामंत्री डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकारों की तुष्टिकरण नीतियाँ हिन्दू जनसंख्या की कमी के लिए जिम्मेदार हैं। “हम दो, हमारे दो” नारा केवल हिन्दुओं पर लागू किया गया। अन्य धर्मों के अनुयायियों ने इसे स्वीकार नहीं किया। इससे मुस्लिम आबादी में गुणात्मक वृद्धि हुई। यह भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है।

विचार-विमर्श और सम्मान समारोह
आगरा से कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार, जिला मीडिया प्रभारी श्री ओ.पी. गौर, समाजसेवी श्री सुरेन्द्र सिंह चाहर (प्रधानाध्यापक), और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी श्री फूल सिंह सिकरवार ने विचार व्यक्त किए। ब्रज प्रान्त के अध्यक्ष डॉ. अनूप शर्मा (प्रधानाचार्य, अलीगढ़) ने आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, मैनपुरी, पीलीभीत, बरेली आदि जनपदों के कार्यकर्ताओं का परिचय कराया। डॉ. देवी सिंह नरवार और डॉ. अनूप शर्मा को पगड़ी व पटका पहनाकर सम्मानित किया गया।
संपादकीय: सनातन धर्म और विवाह संस्था का संरक्षण – एक राष्ट्रीय दायित्व
सनातन धर्म भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। विवाह संस्था इसकी रीढ़ है। हिन्दी साहित्य भारती का यह प्रयास सराहनीय है। इसने सनातन धर्म की रक्षा के लिए विवाह संस्था को सशक्त करने का संकल्प लिया है। युवाओं में विवाह के प्रति उदासीनता चिंता का विषय है। आधुनिक जीवनशैली ने इसे कमजोर किया है। करियर की दौड़ ने इसे प्रभावित किया है। पश्चिमी प्रभाव ने इसे कमजोर किया है। 30-35 वर्ष तक विवाह न करना सामाजिक संकट का प्रतीक है।
हिन्दू जनसंख्या में कमी गंभीर चुनौती है। डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने ठीक कहा। पूर्व सरकारों की तुष्टिकरण नीतियों ने संकट को बढ़ाया। “हम दो, हमारे दो” नारा हिन्दुओं पर थोपा गया। अन्य समुदायों ने इसे नजरअंदाज किया। जनसंख्या असंतुलन ने देश की एकता को खतरे में डाला। यह सांस्कृतिक पहचान का सवाल है।
हिन्दी साहित्य भारती का जन जागरण अभियान स्वागतयोग्य है। विवाह को सनातन धर्म का आधार मानना होगा। युवाओं को विवाह का महत्व समझाना होगा। पारिवारिक जीवन की सुंदरता बतानी होगी। सनातन मूल्यों के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षा और साहित्य से अभियान को गति देनी होगी। सरकार को परिवार और विवाह को प्रोत्साहित करना होगा।
सनातन धर्म का भविष्य हमारी जिम्मेदारी है। विवाह संस्था को बचाना परंपरा का सवाल नहीं है। यह सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का संकल्प है। हिन्दी साहित्य भारती का अभियान नई चेतना जगा सकता है। सभी हिन्दुओं को सहयोग करना चाहिए। सनातन धर्म को सशक्त बनाना हमारा कर्तव्य है। यह आने वाली पीढ़ियों के प्रति उत्तरदायित्व है।
डॉ भानु प्रताप सिंह, सपादक
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