Aligarh, Uttar Pradesh, India. मंगलायतन विश्वविद्यालय में शुक्रवार को कई विभागों द्वारा अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।कार्यक्रमों के दौरान कोविड-19 से बचाव के नियमों का भी पालन किया गया।
“प्रभावी समय प्रबंधन” पर हुई चर्चा – विश्वविद्यालय के आईईआर द्वारा छात्रों के लिए कैपेसिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें “प्रभावी समय प्रबंधन” पर चर्चा की गई। डॉ संजय पाल ने समय प्रबंधन की आवश्यकता के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन से प्रभावशीलता बढ़ती है और व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। द्वितीय सत्र में डॉ वाई पी गौर ने समय प्रबंधन की युक्तियों की व्याख्या की। वहीं, राम कुमार पाठक ने कहा कि उचित समय प्रबंधन से ही व्यक्ति सफल होता है। क्योंकि सबके के पास प्रतिदिन 24 घंटे का समय होता है। संचालन विभाग अध्यक्ष डॉ दीपशिखा सक्सेना ने किया। आयोजन में डॉ शिव कुमार, अनुराधा यादव, डॉ कविता शर्मा, पूनम गुप्ता का सहयोग रहा।
कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन – इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज द्वारा कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उद्घाटन भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरूआत डॉ स्वाति अग्रवाल ने की। आयोजन दो सत्रों में हुआ। डॉ मोहम्मद साकिब ने “बैटरी असेंबलिंग कोर्स” पर अपनी बात रखी। उन्होंने बैटरी के संयोजन की व्याख्या की। पहले सत्र की अगली वक्ता डॉ. हिरा फातिमा ने बैटरी में गणित के महत्व को समझाया।दूसरे सत्र में वक्ता डॉ वेद नाथ झा ने “स्प्लिसिंग ऑफ़ फाइबर” पर अपने विचार रखे। इस दौरान प्रभात बंसल, डॉ हरीश सारस्वत, राजेश उपाध्याय आदि मौजूद थे।
“स्क्रिप्ट लेखन” पर कार्यशाला आयोजित – पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा “स्क्रिप्ट लेखन” विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में विभाग की अध्यक्ष मनीषा उपाध्याय ने कहा कि यदि आपको लिखने का शौक है और आपकी सोच दूरगामी है तो स्क्रिप्ट राइटिंग को करियर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि दर्शकों को एक अच्छी स्टोरी की खोज रहती है। लेकिन यह तभी सम्भव है जब हम उस स्टोरी पर उसकी नींव से कार्य करें और उसके पहलुओं को बारीकी से समझें। उन्होंने कहा कि भाषा में मानसिकता, व्यक्तित्व और गंभीरता झलकनी चाहिए। अध्यक्षता पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन प्रो शिवाजी सरकार ने की। इस दौरान मयंक जैन आदि मौजूद थे।
अचार-विचार करते हैं मानवीय समस्याओं का समाधान – शोध कार्य हो या जीवन का कोई भी अन्य क्षेत्र नीति शास्त्र के बिना सम्भव नहीं है। अचार-विचार ही मनुष्य के कार्य और मानवीय समस्याओं का समाधान करते हैं। यह बातें मंविवि के सेण्टर फॉर फिलोस्फिकल साइंसेज के डायरेक्टर प्रो जयंतीलाल जैन “एथिक्स इन रिसर्च” विषय पर आयोजित कार्यशाला में कहीं। आईक्यूएसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रो जैन ने एथिक्स की महत्वता को समझाया। उन्होंने कहा कि रिसर्च करते समय बौद्धिक सम्पदा के अधिकारों का पूर्णतः पालन करना चाहिए। शोध कार्य में नीति शास्त्र का विशेष महत्व है। नीतिगत शोध उसके परिणाम को प्रस्तुत करने में सहायक होते हैं। वहीं, डायरेक्टर आईबीएमईआर प्रो आरके शर्मा व कृषि विभग के अध्यक्ष डॉ. सईद अहमद दानिश नकवी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम निदेशक, डायरेक्टर आईक्यूएसी डॉ वाई पी सिंह रहे। समन्वयन डॉ अनुराग शाक्य का रहा। इस दौरान प्रो गुरुदास उल्लास, प्रो असगर अली अंसारी, डॉ राजीव शर्मा, डॉ सौरभ कुमार, डॉ सिद्धार्थ जैन, डॉ अशोक उपाध्याय, डॉ पूनम रानी, डॉ आरके घोष, मोहन माहेश्वरी आदि मौजूद थे।
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